जगत जननी माँ दुर्गा नारी शक्ति का स्वरूप हैं। महिशासुर मर्दिनी माँ दुर्गा ने महिशासुर का वध पूरे संसार को नारी शक्ति का यह संदेश दिया था, कि जो नारी नर को इतना कष्ट सह कर जन्म दे सकती है, ज़रूरत पड़ने पर उसके अत्याचारों का विरोध भी कर सकती है और उसका सम्पूर्ण नाश भी कर सकती है।
इस देश में माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। अगर हम माँ दुर्गा की मूर्तिओं और तस्वीरों पर गौर करें तो हम देखते हैं, कि इन मूर्तियों में माता अलग अलग वाहन पर विराजमान हैं।
बहुत से लोगों को इनके अलग अलग रूपों के विषय में थोड़ा बहुत ज्ञान तो है, पर हम शर्तिया तौर पर ज़रूर कह सकते हैं, कि लोगों को माता दुर्गा के इन अलग अलग वाहनो के विषय में अधिक ज्ञान नहीं होगा। इस लेख के माध्यम से हम माँ दुर्गा के अलग अलग वाहनों के विषय में एवं उनके महत्व के विषय में जानकारी देंगे।
विभिन्न देव देवियों के वाहन का अपना अपना अलग अर्थ होता है। ये वाहन न केवल देव देवियों की सवारी होते हैं, बल्कि ये वाहन गहन मूल्यों के संकेतात्मक प्रतीक भी होते हैं। ज़्यादातर ये वाहन उन पापी और बुरी शक्तियों के प्रतीक होते हैं, जिनका दमन कर देव देवियों ने इस विश्व में शांति और धर्म की स्थापना पुनः की हो।
देवी दुर्गा के मूलतः दो वाहन हैं। उन्हे कुछ कुछ मूर्तियों और चित्रों में शेर पर तो कुछ कुछ तस्वीरों में उन्हें बाघ पर विराजते देखा जा सकता है। एक विशेष तथ्य यह भी है, कि महिशासुर नामक अत्याचारी राक्षस का वध किया था, तो तब उनका वाहन सिंह था। इसके विपरीत जब उन्होने अन्य राक्षसों का वध किया था, तब बाघ उनका वाहन था।
ऐसा भी माना जाता है, कि उनका बाघ पर विराजने वाला रूप सिंह पर विराजने वाले रूप की तुलना में अधिक भयावह है। अपितु सिंह पर विराजने वाला रूप सौंदर्यात्मकता का प्रतीक है।
सिंह हो या बाघ, दोनों ही वाहन बड़े ही हिंसात्मक पशु हैं। ये क्रोध, क्रूरता, हिंसा इत्यादि के प्रतीक हैं।
अतः ये वाहन इन दुर्गुणों पर विजय पाने का प्रतिकात्मक स्वरूप हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, ये अच्छाई के साथ अपने अंदर बसी हर तरह की बुराइयों से उभरने की और उन पर जीत हासिल करने का संकेत हैं।
एक ऐसा विश्वास भी है. एक युद्ध में माँ दुर्गा ने राक्षसों के राजा का दमन किया था। जिसकी वजह से हिमावत ने उन्हे एक सफ़ेद शेर भेंट में दिया था। शेर हिंसा, अशांति, लोभ, स्वार्थ, ईर्ष्या तथा ऐसे ही अन्य दुर्गुणों का प्रतीक है। ऐसे पशु पर नियंत्रण पाकर, उस पर नियंत्रण कायम किए रखने एवं उसका वाहन के रूप में प्रयोग यही दर्शाता है, कि यदि एक मनुष्य चाहे तो अपनी हर तरह की बुराइयों को नियंत्रण में रख सकता है।
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