परफ्यूम हमारे व्यक्तित्व को ना सिर्फ प्रभावशाली बनता है, बल्कि आस पास के वातावरण को भी सुगन्धित बनाता है. हर परफ्यूम के चुनाव में सावधानी देनी होती है. हो सकता है आपको जो सुगंध लगे, वो किसी को काफी तीव्र सिरदर्द का एहसास दिला सकता है. इसके अलावा कुछ और चीजों का भी ध्यान देना पड़ता है, जैसे की वो परफ्यूम किस किस्म का है. अमूमन लोग परफ्यूम ख़रीदते समय ये ध्यान नहीं देते कि किस तरह का है.
परफ्यूम बहुत किस्म के होते हैं |
परफ्यूम की किस्में इस प्रकार हैं :-
परफूम : Parfum
इस परफ्यूम में खुश्बू की मात्रा सबसे ज़्यादा होने के कारण इसकी प्राइस भी मार्किट में सबसे ज़्यादा होती है. जहाँ नार्मल परफ्यूम में १०-३०% फ्रेग्रेन्स होती है, वही पर्फोमे में १५-४०% फ्रैग्रैंस की मात्रा होती है. जिनकी त्वचा सेंसिटिव है, उन्हें इस परफ्यूम का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि इसमें अल्कोहल की मात्रा कम होती है और ये ज़्यादा देर तक रुकता भी है.
इअउ दे परफूम: Eau De Parfum
इसमें फ्रेग्रेन्स की मात्रा १५-२०% तक होती है, जो तक़रीबन ४ से ५ घंटे चलता है. चुकी इसमें अल्कोहल की मात्रा ज़्यादा होती है, ये पर्फोमे से सस्ता होता है. इसे रोज़ाना इस्तेमाल के लिए उपयुक्त माना जाता है.
इअउ दे टॉइलेट्टे : Eau De Toilette
इसमें फ्रेग्रेन्स की मात्रा ५ से १५% होती है, जिस कारण ये बहुत सस्ता प्रोडक्ट माना जाता है, और बड़े ही चाव से लोग ख़रीदते है. अमूमन लोग इसे दिन के समय और इअउ दे पर्फोमे को रात में इस्तेमाल करते है. ये नाम उन्हें फ्रेंच भाषा से मिला है, जिसका मतलब है तैयार होना.
कोलोन : Cologne
इसमें फ्रैग्रैंस की मात्रा बहुत ही कम होती है. २-४% फ्रैग्रैंस के साथ इसमें सिर्फ अल्कोहल होता जिसे बड़ी बोतलों में भरकर बेचा जाता है. इतनी कम मात्रा होने के कारण इसकी खुश्बू बस २ घन्टे ही रहती है.
फ़्रैच परफ्यूम :
१-३% फ्रैग्रैंस के बाद इसमें सिर्फ अल्कोहल और पानी रहता है.
इन सब बेसिक किस्मों के अलावा मिस्ट्स और आफ़्टरशेव होते हैं, लेकिन उनमे भी फ्रेग्रेन्स की मात्रा सबसे कम होती है. आप जब भी मार्किट जाए तो इस बात का ज़रूर ध्यान रखे की, आपकी आवश्यकता क्या है और उस अनुसार की परफ्यूम ख़रीदे.
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