2019 में हरियाली अमावस्या गुरुवार, 1 अगस्त को पड़ेगी। दूधेश्वर नाथ मंदिर के महंत नारायण गिरिजी के अनुसार इस वर्ष हरियाली अमावस्या के दिन पंच महायोग का संयोग बनेगा। ऐसा संयोग पूरे 125 वर्ष बाद बन रहा है।
श्रावण कृष्ण पक्ष में मनाई जाने वाली हरियाली अमावस्या मुख्य रूप से उत्तर भारत का एक विशेष पर्व है। इसके अलावा देश के अन्य स्थानों पर भी इसे पर्यावरण संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है। हरियाली अमावस्या के दिन शिवजी की पूजा करने का विशेष महत्व माना गया है। इस पर्व पर लोग मेले का आयोजन करते हैं और पौधारोपण करके पुण्य की प्राप्ति करते हैं।
हरियाली अमावस्या का महत्व
हरियाली अमावस्या – जैसा कि नाम से ही पता लगता है, यह पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण से मुक्ति के उद्देश्य से हर साल मनाई जाती है। इस दिन सवेरे किसी पवित्र जलाशय या नदी में स्नान करके नीम, आँवला, तुलसी, पीपल, वटवृक्ष और आम के पेड़ लगाने का विशेष महत्व है।
श्रावण के दिनों में हरियाली अमावस्या को बहार के समान माना जाता है, जो धरती को हरा-भरा कर देती है। हिन्दू संस्कृति और ग्रंथों के अनुसार प्राचीन समय से ही पेड़-पौधों में भगवान के अस्तित्व को मानकर उनकी पूजा करने का महत्व बताया गया है। अतः हरियाली अमावस्या के दिन पेड़-पौधों को रोपित करने और उनकी पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। हरियाली अमावस्या का मुख्य उद्देश्य वर्तमान में बढ़ रहे प्रदूषण और गंदगी की समस्या को हल करना है।
वर्तमान में वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव के कारण कई बिमारियाँ पनप रही है। जिनसे दिनों-दिन अनेक लोग मौत के घाट उतर रहे हैं।
प्रदूषण को खत्म करने के लिए प्राचीन समय से ही वायु में वरुण देवता और जल में जल देवता का निवास बताया गया है। ताकि लोग वायु और जलाशयों को अपवित्र या गंदा नहीं करें और उनके महत्व को समझें।
हरियाली अमावस्या के दिन कई जगहों पर शिवजी का मेला लगता है।
मेले में गुड़ और धानी का प्रसाद वितरित किया जाता है जो कि कृषि की अच्छी पैदावार का प्रतीक होता है। इस दिन गेहूँ, मक्का, ज्वार, बाजरा जैसे अनेक अनाज बोए जाते हैं और खेतों में हरियाली की जाती है। ताकि सालभर कोई भूखा न रहे और प्रदूषण से भी काफी हद तक मुक्ति मिल सके।
अतः पर्यावरण को संतुलित और शुद्ध बनाए रखने के उद्देश्य से ही अनेक वर्षों से हरियाली अमावस्या खूब धूम-धाम से मनाई जाती है। इसका मुख्य लक्ष्य प्रदूषण को समाप्त कर पेड़ों की संख्या में अधिक से अधिक वृद्धि करना है। यदि इस दिन कोई भी व्यक्ति एक भी पेड़ रोपित करता है, तो उसे पुण्य की प्राप्ति होती है और वह जीवन भर सुखी और समृद्ध बना रहता है। पेड़ों में देवताओं का वास माना जाता है इसी कारण से इन्हें लगाने वाले व्यक्ति पर भगवान की असीम कृपा बनी रहती है।
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