अमूमन मांएं यह कहती हुई सुनी जा सकती है, “क्या करूं, मेरा दसवीं में पढ़ने वाला बेटा तो पढ़ाई करना ही नहीं चाहता। बोर्ड की परीक्षा देनी है लेकिन अभी तक पढ़ाई को गंभीरता से लेना नहीं सीखा है। वह तो दोस्तों के साथ बस अड्डेबाजी और क्रिकेट में रमा रहता है।”
तो आइए आज हम किशोर वय के बच्चों से संबंधित इस समस्या पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
बच्चे की समस्या बेहद ध्यान से सुनें:
किशोरावस्था में आपका किशोर बच्चा अनेक शारीरिक और मानसिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा होता है। इस काल में वह मूड में बदलाव (mood swings), नियमों के उल्लंघन, आक्रामक व्यवहार, गुस्सा और बहस जैसी प्रवृतियां प्रदर्शित कर सकता है। ध्यान रखें कि आपको इन समस्याओं पर ध्यान केंद्रित नहीं करना है। वरन इनकी जड़ में मौजूद बच्चे की समस्या पर ध्यान देना है।
जब भी आपका बच्चा क्रोध दिखाए, आक्रामक हो जाए, आपके साथ बहस पर आमादा हो जाए, उसकी समस्या को पूरे ध्यान से सुनें और बच्चे को एहसास दिलाएं कि आप पूरी एकाग्रता से उसकी समस्या को सुन रही हैं। जब बच्चा देखेगा कि आप उसकी समस्या को गंभीरता से ले रही हैं, वह भी आपकी बात को महत्व देगा और आपके विचार को अपनाने के लिए प्रेरित होगा। आप पर भरोसा करना सीखेगा और समस्या के समाधान की राह बनेगी।
अपने बच्चे की तरह महसूस करें और सोचें:
अपने बच्चे की समस्या को हल करने से पहले आपको यह समझना चाहिए कि वह इस विषय में क्या महसूस करता है और क्या सोचता है।
सबसे पहले अपने बच्चे से बात करें एवं पढ़ाई के प्रति उसके विचार जाने । फिर उसे अपना दृष्टिकोण बताएं।
सबसे महत्वपूर्ण है यह जानना कि आखिर वह पढ़ाई क्यों नहीं करना चाहता?
उससे बात कर पता लगाएं, उसे पढ़ाई करने से क्या रोक रहा है। वह किस बात से पढ़ाई में बाधित अनुभव कर रहा है?
हो सकता है आपके बच्चे को एक ही विषय अच्छा लगता हो और अन्य विषयों को पढ़ना उसे नापसंद हो या वह उनसे डरता हो।
या आपका बच्चा कक्षा की पढ़ाई को समझ नहीं पाता हो या उसके साथ तारतम्य नहीं बिठा पाता हो।
उससे बात करने से आपको समस्या के तह में जाने में मदद मिलेगी।
उसकी समस्या को विस्तार में जानकर आप उसकी स्कूल की क्लास टीचर के साथ मिलकर उसकी समस्या का समाधान करें।
बच्चे से बेहद शांति से पेश आयें:
आपसी बातचीत से उसकी समस्या का हल करें।
यदि आपका बच्चा आपकी उम्मीद के अनुरूप नहीं पढ़ता तो भी बच्चे पर चीखें चिल्लायें नहीं। बेहद शांति से उससे कहें कि जैसे आप घर का काम करती हैं, उसके पिता ऑफिस जाते हैं, वैसे ही उसका एकमात्र कार्य है पढ़ाई करना।
उसके साथ नरमाई लेकिन दृढ़ता से बात करें।
अपनी किसी मांग के लिए बच्चे के गुस्सा करने पर उसे धमकाने या उसपर चीखने चिल्लाने की अपेक्षा उससे कहें, “टेस्ट की अच्छी तरह से तैयारी करने पर तुम एक घंटे के लिए अपने दोस्त से मिलने जा सकते हो या उससे फ़ोन पर बात कर सकते हो।
उसे पढ़ाई का महत्व और फायदे समझाएं:
उसे समझाएं कि पढ़ाई करना क्यों जरूरी है। आप उससे कह सकती हैं कि वयस्क होने पर उसे स्वयं अपनी और अपने परिवार की जिम्मेदारी लेनी होगी। यदि उसे एक सुविधा संपन्न जीवन बिताना है तो उसे कोई मुकाम हासिल करना ही होगा। कुछ अच्छा बनना ही होगा। उसे समझाएं कि पढ़ाई करके ही वह इंजीनियर, डॉक्टर, आर्किटेक्ट, टीचर, लेखक, लेक्चरर, अफसर बन सकता है। अपना व्यापार करने के लिए भी पढ़ाई बहुत आवश्यक है। उसे बताएं कि इंजीनियरिंग, मेडिकल, विभिन्न क्षेत्रों में अफ़सर बनने के लिए बहुत कठिन प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है।
उसे यह भी समझाएं कि अगर वह पढ़ाई नहीं करता है तो वह एक अच्छी आरामदेह जिंदगी नहीं जी पाएगा। उससे कहें उसे निर्णय लेना है उसे एक सुविधा संपन्न सुखी जीवन जीना है या इसका विपरीत।
उसे समाज के अशिक्षित तबके के बारे में बताएं कि अधिकतर अशिक्षित लोगों को जीविकोपार्जन के लिए बहुत कड़ा संघर्ष करना पड़ता है।
अपने बच्चे के साथ पढ़ाई लिखाई करने के फायदों के विषय में गहराई से चर्चा करें।
आपको उसे समझाना चाहिए कि किसी भी क्षेत्र में बढ़िया करियर बनाने के लिए उसे दसवीं के बाद में दो-तीन वर्ष बहुत कड़ा परिश्रम करना होगा आपको उसे बताना चाहिए इसके लिए उसे बहुत प्रयास करने होंगे। कुछ वर्षों तक उसे दोस्तबाजी, मनोरंजन, घूमना फिरना आदि कुछ हद तक बंद करना होगा। तभी उसे अपने पसंदीदा करियर में प्रवेश मिल पाएगा।
बच्चे से उसके लक्ष्य एवं उम्मीदों के विषय में खुलकर चर्चा करें। उन्हें ऊंचे सपने देखने के लिए प्रेरित करें।
बच्चे को अपने परिचय क्षेत्र में सफ़ल लोगों से मिलवाएँ:
बच्चे को स्पष्ट कर दें कि शाम को 5:00 से 7:00 बजे का समय उसका होमवर्क करने का है और 8:00 बजे से 11:00 बजे तक का समय सेल्फ स्टडी का है और आप इसमें किसी भी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं करेंगी। जिन बच्चों के लिए शुरू से ऐसा कोई रूटीन निर्धारित नहीं किया जाता वहां अभिभावकों को हर समय बच्चे को पढ़ने के लिए बैठाने के लिए उसके पीछे लगना पड़ता है।
बच्चे की भरसक मदद करें:
बच्चे अधिकतर पूरा दिन स्कूल में बिताकर शाम होते होते थक जाते हैं। इसलिए होमवर्क करने में आलस का अनुभव करते हैं। उन्हें मात्र पढ़ने के लिए कहना पर्याप्त नहीं होगा। अपने बच्चे के साथ बैठें, उसकी डायरी चेक करें उसे क्या होमवर्क मिला है। जो होमवर्क उसे मुश्किल लग रहा हो उसमें उसकी मदद करें। जो पाठ उसे मुश्किल लग रहे हो उसमें उसकी मदद करें।
बच्चे के लिए ट्यूशन की व्यवस्था करें:
यदि आपके बच्चे को कोई विशेष विषय कठिन लगता है तो उस विषय में सहायता के लिए उसे कोचिंग दिलवा सकती हैं। आप उसके लिए उस विषय की शैक्षणिक CD खरीद सकती हैं या उसे यूट्यूब पर समुचित वीडियो चुनकर दे सकती हैं।
बच्चे की स्कूल डायरी रोज़ चेक करें:
यदि आपका बच्चा पढ़ाई में कमजोर है तो उसकी स्कूल डायरी रोज़ चेक करें। वह कक्षा में अपना क्लास वर्क पूरा करता है या नहीं, टेस्ट की समुचित तैयारी करता है या नहीं, नियमित रूप से होमवर्क और प्रोजेक्ट पूरे करता है या नहीं इन सब बातों पर ध्यान दें। उसकी स्कूल की सभी कापियां चेक करें कि उनमें कक्षा में शिक्षिका द्वारा करवाया गया काम पूरा है या नहीं।
स्कूल की पैरंट टीचर मीटिंग सदैव अटेंड करें:
अपने बच्चे के स्कूल की पैरंट टीचर मीटिंग सदैव नियमित रूप से अटेंड करें। उसकी क्लास टीचर से उसके स्कूल में व्यवहार, पढ़ाई में प्रगति की रिपोर्ट, प्रत्येक विषय की शिक्षिका से मिलकर प्रत्येक विषय में उसकी प्रगति का लेखा-जोखा लें। यदि उसे किसी विषय में समस्या हो तो शिक्षिका के साथ मिलकर उस समस्या का हल करने का प्रयास करें।
बच्चे से उसकी सामर्थ्य से अधिक अपेक्षा न करें:
बच्चे की सामर्थ्य से अधिक अपेक्षा उसे तनाव दे सकती है। उसे समझाएं कि नियमित रूप से की गई पढ़ाई और कड़ी मेहनत सदैव अच्छे परिणाम देते हैं।
एक बार में एक छोटा लक्ष्य निर्धारित करवाएं:
बच्चे को एक बार में एक छोटा लक्ष्य रखने के लिए कहें। जैसे वह एक दिन में एक पाठ को पढ़कर समझने का लक्ष्य बना सकता है। अगले दिन उसके साथ उसके सभी प्रश्नोत्तर पढ़कर याद करने का लक्ष्य बना सकता है। एक पाठ पूरा होने पर वह अगला पाठ शुरू कर सकता है।
इस तरह से नियमित रूप से अपनी पढ़ाई को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटने से कुछ ही समय में बहुत अच्छे परिणाम पा सकता है।
बच्चे को पढ़ाई के साथ अपने शौक पूरे करने की छूट दें:
पढ़ाई के साथ अन्य गतिविधियों जैसे क्रिकेट, फ़ुटबॉल, गाना, टीवी देखना, सोशल मीडिया पर समय बिताना, वीडियो गेम आदि के लिए उसकी सहमति से सीमित समय निर्धारित कर दें। इससे वे पढ़ाई और स्कूल के रूटीन की एकरसता से मुक्ति पाएगा। इन गतिविधियों के बाद वह दूने उत्साह और जोश से पढ़ाई कर सकता है।
बच्चे की किसी भी उपलब्धि के लिए उसकी प्रशंसा करें:
बच्चे की प्रशंसा करने में कोताही न करें। यदि उसने किसी दिन पूरी एकाग्रता से पढ़ाई की है तो उसके प्रयासों की प्रशंसा करें। यदि वह किसी टेस्ट या परीक्षा में अच्छे नंबर लाया है तो उसकी कड़ी मेहनत की बड़ाई करें। उससे साफ-साफ कहें “बहुत बढ़िया। मुझे पता है तुमने इस बार टेस्ट के लिए बहुत कड़ी मेहनत की है।”
उसकी सफलता पर आप उसे आइसक्रीम खिलाने या होटल में खाना खिलाने या उसकी पसंदीदा पिक्चर दिखाने ले जा सकती हैं।
बच्चे की पढ़ाई के लिए शांत जगह निर्धारित करें:
उसके लिए उसकी पसंद के अनुरूप घर का सबसे शांत कोना चुनें जहां वह बिना किसी व्यवधान के पढ़ाई कर सके। जहां टीवी, रेडियो, बहन भाई या आपकी किसी से बातचीत अथवा फोन पर बातचीत की आवाज सुनी जा सकती हो। उसे पढ़ते समय अपने पास फोन रखने की अनुमति कतई न दें।
पढ़ाई के मध्य छोटे-छोटे ब्रेक लेने की अनुमति दें:
कोई पाठ पढ़ना खत्म करने के बाद या एक घंटे की पढ़ाई के बाद उसे पूरे घर में चहलकदमी करने, आपसे या अपने भाई बहन से पांच दस मिनट बातचीत करने, फोन पर मैसेजिंग या बात करने की छूट दें ।
पढ़ते वक्त संगीत:
यदि आपका बच्चा बहुत देर तक पढ़कर ऊब महसूस करने लगा हो तो आप उसे एकाग्रचित्तता में मददगार संगीत सुनने के लिए कह सकती हैं। ऐसा संगीत निम्न वेबसाइट पर उपलब्ध है:
- coffitivity.com
- noisli.com
- focusatwill.com
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