आधुनिक आविष्कारों ने हमारा जीवन आरामदायक तो निश्चित ही बना दिया है। घंटों का काम सेकेंडों में हो जाता है। लेकिन इस कारण किसी भी काम को करने में शरीर में कोई खास हरकत नहीं होती है और इस कारण महिला हो या पुरुष, सबका वज़न तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। अब सुविधा का आलम यह है कि हर व्यक्ति इस बढ़े हुए वजन को भी बिना किसी एक्सरसाइज़ के घटाना चाहता है। तो आपकी इस समस्या का हल है इंटरमिटेंट फास्टिंग, जिसे विश्व के अनेक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का भी समर्थन मिल रहा है। आइये जानते हैं कि क्या होती है इंटरमिटेंट फास्टिंग और क्या इसके द्वारा वजन घटाया जा सकता है ?
इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या होती है?
इंटरमिटेंट फास्टिंग को सरल शब्दों में अनिरंतर उपवास या रुक-रुक कर खाना भी कहा जा सकता है। इस प्रकार के उपवास या फास्टिंग विधि में खाना खाने के समय अंतराल को बदला जाता है। हर डाइटिंग प्लान का फोकस इस बात पर होता है कि क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। लेकिन इंटरमिटेंट फास्टिंग में सारा ध्यान क्या खाने है कि बजाय ‘कब खाना है?’ – इस बात पर होता है।
आमतौर पर, इस तकनीक से उपवास या फास्टिंग करने पर हफ्ते में दो दिन में दो समय के खाने में लगभग 16 घंटों या 24 घंटों का अंतराल आता है। इसी कारण फास्टिंग की इस तकनीक को रुक-रुक कर खाना भी कहा जाता है। अमूमन हिन्दू धर्म के अलावा मुस्लिम, बौद्ध, ईसाई और यहूदी धर्म में भी इस प्रकार के उपवास का प्रचलन काफी पहले से चला आ रहा है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग से वजन कैसे कम करें?
जो लोग अपना वजन कम करने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग करना चाहते हैं, उन्हें अपनी सेहत और जीवन शैली के अनुसार ही इसके लिए डाइट प्लान बनाना चाहिए। यह फास्टिंग निम्न प्रकार से की जा सकती है:
1. एक दिन छोड़कर खाना:
इसके अंतर्गत आप एक दिन छोड़कर यह फास्ट या उपवास करते हैं। इस उपवास में अगर आप चाहें तो हल्की डाइट ले सकते हैं। यह तेज़ी से वजन घटाने में सहायक होती है।
2. रोज़ 14-16 घंटों का उपवास:

हम सभी नित्य 6-10 घंटों का उपवास तो करते ही हैं – सोने के कारण! यह तकनीक इसी उपवास को थोड़ा लंबा खींच रही है। इस तकनीक में आपको 14 से घंटों का नियमित उपवास करना है। मान लीजिये कि आप रात्रि भोजन साढ़े आठ बजे करते हैं, ग्यारह बजे सोने चले जाते हैं और सुबह साढ़े-छह सात बजे उठते हैं। फिर सुबह का नाश्ता आप साढ़े आठ बजे करते हैं। इस का अर्थ यह है कि करीब 12 घंटे का उपवास तो आप वैसे भी रख रहे हैं। बस आपको इसमें दोनों ओर 1-2 घंटे बढ़ाने हैं।
आप रात्रि का भोजन थोड़ा जल्दी कर लें – साढ़े आठ की बजाय साँय सात बजे। सुबह का नाश्ता नौ बजे कर लीजिये। बस इतना बदलाव लाने से ही आपका 14 घंटों का इंटरमिटेंट फास्टिंग शुरू हो जाएगा। कुछ हफ्तों बाद आप चाहें तो इसे 14 से बढ़ाकर 15-16 घंटे कर सकते हैं।
मैंने अपनी दिनचर्या के अनुसार समय दिये हैं। आप अगर 6 बजे उठते हैं या आठ बजे, उस हिसाब से आप समयों को बादल लें। मुख्य बात यह है कि हर 24 घंटों में 14 घंटों का एक अंतराल होना चाहिए जिसमें आप पूर्ण रूप से उपवास कर रहे हैं।
अगर आपको इतने लंबे समय में कमजोरी महसूस होती है तब बीच में बिना शुगर वाला कोई भी तरल पेय लिया जा सकता है।
3. हफ्ते में एक-दो बार 24 घंटों का उपवास:
यह उपवास लगभग 24 घंटों का होता है और इन 24 घंटों में निराहार रहना होता है। इस दौरान आप चाहें तो तरल पेय के रूप में चाय, पानी या कॉफी पी सकते हैं। इसके द्वारा वजन भी तेज़ी से घटेगा और इमम्यून सिस्टम भी ठीक रहेगा। इस प्रकार का उपवास आप हफ्ते में एक या दो बार अपनी सेहत को ध्यान में रखकर कर सकते हैं।
4. थोड़ा-थोड़ा खाएं:
फास्टिंग की यह तकनीक सबसे सरल मानी जाती है। इसमें अगर आपको भूख नहीं लगी है तब न खाएं। यह तकनीक उस भ्रम का जवाब है जिसके अनुसार यह माना जाता है कि स्वस्थ रहने के लिए हर 3-4 घंटे में कुछ न कुछ खाना चाहिए। बस यह ध्यान रखें कि इस फास्ट के बाद जो भी खाएं, वह हेल्दी और पोषण से भरपूर होना चाहिए।
5. दिन भर कुछ न खाएं:
व्रत रखने के इस तरीके में दिन में 4-4 घंटों में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में फल खाएं और रात को पेट भर कर पौष्टिक खाना खाएं। इंटरमिटेंट फास्टिंग की यह तकनीक आजकल बहुत पॉपुलर हो रही है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग से न केवल वजन में तेज़ी से कमी आती है बल्कि शरीर के टॉकसिंस भी बाहर निकल जाते हैं। इससे स्किन साफ और चमकीली हो जाती है। इसके अलावा ब्लड शुगर और कोलेस्टरोल में कमी होने से आपका हृदय भी स्वस्थ रहता है।
अस्वीकरण: यह लेख आपकी जानकारी के लिए है। श्रेष्ठ रहेगा कि आप अपने डाक्टर से परामर्श कर अपने लिए सही प्लान बनाएँ। खासकर आपको कोई विशेष बीमारी है, तब तो आपको निश्चित ही पहले डाक्टर साहिब की सलाह लेनी चाहिए।
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