दसबस पर हमने एक लेख में इस बात पर जिक्र किया था की क्यों हिन्दू धर्म को एक वैज्ञानिक धर्म माना जाता है। चाहे वो एक माथे पर लगाने वाली बिंदी हो, या फिर शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू धर्म में हर नियम, हर निर्माण के पीछे कोई न कोई तार्किक, वैज्ञानिक कारण छिपा होता है।
उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ मंदिर के बारे में तो आपने अवश्य ही सुना होगा। तमिल नाडु में स्थित है शिवजी का एक और ज्योतिर्लिंग – रामेश्वरम मंदिर। इन दोनों ज्योतिर्लिंगों के बीच की दूरी लगभग 2400 किलोमीटर है। दक्षिण भारत में ही स्थित हैं प्रसिद्ध पंचभूत स्थल – पाँच तत्वों की शुद्धि के लिए पाँच शिव मंदिर। यह सभी प्राचीन मंदिर हजारों वर्ष पुराने हैं। पर आप यह जान हैरान रह जाएँगे कि शिवजी के इन सातों मंदिर की देशांतर रेखा (longitude line)एक है। सरल भाषा में कहें तो, यह सातों मंदिर एक सीधी रेखा में है! है न एकदम अविश्वशनिय बात।
आज की हमारी कल्पना से भी परे है उस जमाने का विज्ञान और तकनीक। जो हमने ऊपर लिखा है, उस पर थोड़ा गौर फरमाइए। हजारों वर्ष पूर्व बने यह मंदिर एक दूसरे से हजारों कोस दूर है। सबसे उत्तर में स्थित केदारनाथ मंदिर हिमालय की बर्फीली चोटियों के मध्य स्थित है। जबकि रामेश्वरम मंदिर हिन्द महासागर के करीब। पंचभूत मंदिर इन दोनों के बीच। फिर किसी ने तो इतनी योजनबद्ध तरीके से इनका निर्माण किया कि यह सभी एक ही देशांतर रेखा (79° पूर्व) में स्थित हैं। ध्यान रखिए – पृथ्वी पर ऐसी 360 देशांतर रेखाएँ हैं!
दक्षिण भारत में स्थित पंचभूत स्थल पाँच शिव मंदिरों का एक संग्रह है, जिसमें से हर मंदिर पाँच तत्वों में से एक को समर्पित है। पृथ्वी, आकाश, जल, वायु और अग्नि।
पांचों तत्वों की शुद्धि के लिए किसी ने इन प्राचीन मंदिरों का निर्माण किया। हर मंदिर का अपना एक अलग इतिहास है, एक अलग कहानी। पर फिर भी सोचिए, पाँच तत्वों की शुद्धि के लिए यह पाँच शिव लिंग, जो एक दूसरे से सैकड़ों कोस दूर हैं, यह सभी एक ही देशांतर रेखा में हैं। आश्चर्यजनक, है कि नहीं?
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