महभारत हमारे देश की ऐसी कथा है जिसमें बहादुरी,निष्ठा,सत्य और ईमानदारी की एक अनोखी मिसाल देखने को मिलती है। महाभारत के कई ऐसे किरदार हैं जो स्वयं ही अपनी जीवन की अंदरूनी समस्याओं से लड़ रहे थे लेकिन उन्होनें फिर भी हार नहीं मानी। आइये पढ़ते हैं ऐसे ही कुछ किरदारों के बारे में:
आप सोचेंगे शकुनी क्यूँ लेकिन सत्य है कि उनकी हर हरकत के पीछे उनके साथ हुए अत्याचार की कथा छुपी है। भीष्म ने जब ध्रितराष्ट्र के लिए गांधारी का हाथ माँगा तो उनके भाई शकुनी को ये बात रास नहीं आई क्यूंकि ध्रितराष्ट्र नेत्रहीन थे। इस वजह से ध्रितराष्ट्र ने उनके पूरे परिवार को तड़पा के मरवा दिया।
अगर किसी ने अपने पूरे परिवार को अपने आँखों के सामने ख़तम होते देखा हो तो ज़ाहिर नहीं है कि वह विष से भर बदले की भावना मन में रखेगा। शकुनी का प्रतिशोध नाम की किताब में लेखक क्षितिज चित्रों और काव्य के माध्यम से पूरे महभारत के ग्रन्थ को शकुनी की नज़र से दिखाने का प्रयत्न कर रहे हैं। इस किताब को पढने के बाद आपके मन में शकुनी के लिए दया का भाव निश्चित रूप से उत्पन्न होगा।
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कर्ण हर मायने में एक बेहतरीन योद्धा था और स्वभाव से भी उनके बराबर कोई बड़े दिल का व्यक्ति नहीं था। लेकिन अपनी माँ की एक गलती के कारण क्षत्रिय होते हुए भी उन्हें ज़िन्दगी भर सूत पुत्र के नाम से जाना गया। यही नहीं, सर्व गुण संपन्न होते हुए भी द्रौपदी ने उनसे विवाह करने से इंकार कर दिया। मनु शर्मा द्वारा लिखित कर्ण की आत्मकथा में उन की दुविधाओं और संघर्ष को एक बेहतरीन रूप से पेश किया गया है। ये पुस्तक हमें इस बात का एहसास भी दिलाती है कि कैसे सब कुछ होने के बाद भी कुछ लोगों को जिंदगी भर एक कठिन जीवन व्यतीत करना पड़ता है।
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कृष्ण तो शायद सब के चहेते किरदार हैं। मनमोहक अदाओं और युद्ध नीतियों का अनूठा समागम ही उन्हें ये लोकप्रियता प्रदान करता है। ये उन्हीं की दूरदर्शिता का नतीजा था कि पांडवों को युद्ध के परिणाम की चिंता नहीं करनी पड़ी। सुमेध गावंडे की कल्पना कृष्ण से प्रश्न आपको अपने जीवन के कुछ मूल्यों पर सवाल उठाने पर मजबूर कर देगा। ये किताब आपको श्री कृष्ण के नज़रिए से जीवन जीने की प्रेरणा देगी और साथ में कृष्ण के जीवन के कुछ अहम राज़ भी खोलेगी।
अनुपम सौन्दर्य की मल्लिका द्रौपदी सर्व गुण संपन्न कन्या थी। उनका विवाह तो एक ऊँचे कुल में हुआ लेकिन कुंती के एक वचन ने उन्हें पांच पतियों की पत्नी बना दिया। इसके बाद परिस्थितियां ऐसी बन गयी कि उन्हें अपने जीवन का काफी समय वनवास में बिताना पड़ा। उनका सब्र का बांध तब टूट गया जब हस्तिनापुर की राजसभा में दुःशासन ने सबके सामने उनका चीरहरण करने की कोशिश की।
इतना सब सहने के बाद भी वह अपने धर्म पर अडिग रही यही गुण उनको सबसे रोचक बनाता है। चित्रा बैनर्जी दिवाकरुणी की “द्रौपदी की महाभारत” एक झलक है द्रौपदी के अंतर मन की अवस्था की। साथ ही इस किताब से द्रौपदी के चरित्र की कई ऐसी बातें सामने आती हैं जो शायद साधारण लोगों को मालूम नहीं होंगी।
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जिंदगी की शुरुआत में ही अपनी माँ का साथ खो देने के बाद भीष्म को ऐसी प्रतिज्ञा लेनी पड़ी जिस वजह से उन्हें जीवन भर अकेले रहना पड़ा। इसके इलावा पांडवो को ज्यादा प्रेम करने के बावजूद भी उनकी निष्ठा कुरु साम्राज्य को समर्पित थी। वसुंधरा की रचना भीष्म पितामह इस महान व्यक्तित्व के जीवन के कई राज़ खोलता है और बताता है कि क्यूँ भीष्म पितामह को अपनी पूरी जिंदगी अकेले काटने का फैसला लेना पड़ा और वो क्या मजबूरी थी जिस वजह से वह पांडवों का कभी साथ नहीं दे पाए।
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हमारी बात मानें, तो यह पुस्तक खरीदें। यह एक बेहद खूबसूरत उपहार भी बन सकती है। [amazon box=”0143422944″ title=”जय: महाभारत का सचित्र पुनर्कथन” description=”लेखक: देवदत्त पटनायक”]
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Katha to bahut achcha laga verry nice....
Mahabharat ki katha to bahut hi jada manmohak pratit hota h...