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१८ तरह की साड़ियों के १०८ ख़ूबसूरत चित्र: चंदेरी साड़ी , कांजीवरम साड़ी…..

किसी नए अंदाज़ कि साड़ी का चित्र अगर किसी महिला तो कहीं दिख जाये – चाहे किसी फ़िल्मी पत्रिका में या फिर अखबार के साथ आनेवाले रंगीन सप्लीमेंट के पन्नों पर, वो महिला एक पल के लिए तो साड़ी के चित्र में खो ही जाती है.

जब भी किसी शादी या कोई अन्य त्यौहार आता है, तो महिलाओं के लिए सबसे चिंताजनक विषय बन जाता है, कि वह कौन सी साड़ी पहने ?

हमारे यह त्यौहार कभी ख़त्म नहीं होते हैं ,ऐसे में दुविधा होना स्वाभाविक है। लेकिन सिर्फ उनके लिए जिन्हें साड़ियों के अलग अलग डिज़ाइन नहीं पता है।
कहीं आप भी साड़ियों के अलग अलग ख़ूबसूरत पैटर्न से अनजान तो नहीं ?

अगर हाँ, तो चिंता मत कीजिये यहाँ हम आपके लिए लाये हैं, साड़ियों के १८ विभिन्न प्रकार। कांजीवरम से लेकर चंदेरी तक सभी साड़ियों के बारे में जाने विस्तार से उनके १०८ ख़ूबसूरत चित्रों के साथ

१. कांजीवरम साड़ी के चित्र 

मुख्यतः यह साड़ी दक्षिण क्षेत्रों में ख़ासकर कांचीवरम में तैयार की जाती है, जिस वजह से ही इसका नामकरण कांजीवरम साड़ी रखा गया होगा। यह साड़ी जितनी पौराणिक कथाओं से जुड़ी है, उतनी ही मॉडर्न ज़माने में प्रचलित भी है।

कांजीवरम साड़ी की तो बात ही कुछ और है.

 

२. बनारसी साड़ी के चित्र 

ये साड़ी ख़ासकर वाराणसी में बनाई जाती है। इस साड़ी पर सोने और चांदी के ज़री से काम किया जाता है, जिसके कारण यह सिर्फ भारत में ही नहीं विश्व में प्रख़्यात है।

 

 

३. पटोला साड़ी के चित्र 

यह आमतौर गुजरात पाटला शहर में ही देखने को मिलेगी। इसे बनाने में काफी समय लग जाता है, क्योकि रेशम के धागों की बुनाई हाथों से की जाती है.  जिसके कारण यह साड़ी काफी महंगी होती है।

 

४. हकोबा साड़ी  के चित्र 

हकोबा साड़ी की अपनी एक अलग ही पहचान है। इस शैली की साड़ियों को धारण करने के बाद आप जहाँ भी जिस फंक्शन में जाएँगी, वहाँ की रौनक स्वयं ही बन जाएंगी।

 

५. चंदेरी साड़ी :

सिल्क , चंदेरी कपास और रेशम कपास से बनी हुई यह मध्यप्रदेश की फेमस साड़ी है। ऐसा मन जाता है, कि इस शैली का विकास २ और ७ वि शताब्दी के बीच किया गया था।

 

 

६. महेश्वरी साड़ी 

३०० काउंट के अत्यंत ही महीन धागे से बनी हुई महेश्वरी साड़ी आपके वार्डरॉब की शान बढ़ाने के लिए काफी है। बहुत ही बारीक़ कारीगरी द्वारा इसपर काम किया जाता है।

 

७. बोमकई साड़ी : 

यह ओडिशा के बुनकरों के हाथो की कारीगरी का एक अध्भुत नमूना है। इसकी लोकप्रियता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है, कि ऐश्वर्या राय ने अपनी शादी में इसी शैली की साड़ी पहनी थी।

८. बंधेज साड़ी : 

राजस्थान की शान बंधेज साड़ी जिसमे वहाँ की कला शैली की झलक साफ़ दिखाई देती है। मुख्यतः यह राजस्थान में ही बनाई जाती है।

 

९. टस्सर साड़ी के चित्र : 

सिल्क साड़ियों की एक अलग ही पहचान है, “टस्सर सिल्क साड़ी“। इसमें प्रयोग होने वाले सिल्क का कपड़ा भी अलग होता है और उसकी डिज़ाइन भी.

 

 

१०. कांथा साड़ी के चित्र

यह ईस्ट साउथ एशिया की एम्ब्रोइडरी द्वारा की हुई कारगरी का सर्वोत्तम नमूना है। पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में बोलपुर और शांतिनिकेतन कांथा साड़ी कला के प्रमुख स्थान हैं.

➡ दसबस टीम ने यह वीडियो शांतिनिकेतन ख़ास में शूट किया था. वीडियो के बोल बंगाली में है. 

 

 

 

 

११. .पैठनी साड़ी के चित्र : 

महाराष्ट्र के पैठण शहर की सौगात है, यह पैठनी साड़ी हाथों से बुनकर तैयार की जाती है। सबसे महंगी साड़ियों में से एक माने जाने वाले है यह साड़ी।

१२. जामदानी साड़ी के चित्र 

बंगाल या बांग्लादेशी संस्कृति की यह साड़ी एक बहुत ही बारीक़ मस्लिन के कपड़े से तैयार की जाती है। वहाँ की हर दुल्हन की यही ख्वाहिश होती है, कि उनके पास जामदानी साड़ी ज़रूर हो।

 

१३. बालूछरी साड़ी के फोटो 

पश्चिम बंगाल की सुप्रसिद्ध बालूछरी साड़ी सदियों से चली आ रही पारम्परिक साड़ियों में से एक है। इसकी छपाई शैली ही इसके मुख्य आकर्षण का केंद्र है।

 

१४.  कांथा टंगैल साड़ी के चित्र 

इस साड़ी की ख़ासियत है इसकी बॉर्डर और पल्लू पर किया हुआ काम। कोई भी इसे एकनज़र से देखे तो उसमे पारम्परिकता की झलक साफ़ देखने को मिलती है।

 

१५. नव्वारी पातल साड़ी के फोटो 

पुणे , सतारा में प्रसिद्ध यह नव्वारी साड़ी आम साड़ियों के मुकाबले थोड़ी ज़्यादा लम्बी होती है और इसे पहनने का ढंग भी अलग होता है। जिस तरह एक धोती पहनी जाती है, ठीक उसी तरह से इस साड़ी को भी पहना जाता है।

 

 

१६. धनियाकली साड़ी

गांव में तैयार की जाने वाली इस धनियाकली साड़ी को बनाने के लिए मोटा कपास लिया जाता है। गिनती करके १०० कपास के धागों को लेकर इस साड़ी को बनाया जाता है।

 

 

१७ फुलकारी साड़ी के चित्र 

यह पंजाब की प्रसिद्ध कला फुलकारी द्वारा तैयार की जाती है। इसमें दिलचस्प बात यह है, कि यह कढ़ाई कपड़े पर सीधी ओर से नहीं बल्कि कपड़े की उलटी साइड से की जाती है।

 

 

१८. संबलपुरी साड़ी के चित्र  :

यह साड़ी की विशेषता यह है, कि इस साड़ी की बुनाई करने से पहले ही इसे टाई रंगाई की जाती है। यह साड़ियाँ मुख्यतः ओडिशा में ही पाई जाती है।

 

तो कैसी लगी आपको दसबस की यह साड़ी चित्र प्रदर्शनी? आप को अगर ऐसे और भी फोटो-लेख देखने का शौक हो हमें अवश्य बताइये.



 

Jasvinder Kaur Reen

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