फिर से साल का वह समय आ गया है जब हम भारतीय जी खोल के खरीदारी करते हैं | अगर आप भी इस नवरात्री –दुर्गा पूजा –दिवाली पर खरीदारी करने की सोच रहे हैं , तो विक्रेताओं के इन हथकंडों से बचिए जो आपको अपने बजट से ज्यादा खर्च करने पर मजबूर करते हैं |
1. गतिशील ऑनलाइन मूल्य निर्धारण:
हांलाकि ऑनलाइन खरीदारी के फायदे बहुत है इसके कुछ संभावित नुकसान भी हैं |आजकल वेबसाइट यूजर के व्यव्हार और कितना समय वेबसाइट पर बिताया इस बात का आंकलन कर सकती हैं | तो अगर आप किसी वेबसाइट पर ज़यादा देर रहते हैं , तो हो सकता है आपको एक तभी आये ग्राहक की तुलना में उत्पाद की ज्यादा कीमत दिखाई जाये |
ऐसा पता चला है की अमेरिका में एयरलाइन और होटल वेबसाइट व्यक्ति के स्थान के आधार पर अलग अलग कीमतें प्रदान करती हैं |छोटे शहर में रहने वाली औरत की तुलना में न्यू यॉर्क की औरत को ज्यादा कीमत दिखाई जाएगी |
इससे और अन्य ऐसी ऑनलाइन चालाकियों से बचने का तरीका है इनकोग्नीटो टैब में खरीदारी करें |
2.आसान दांव
आप स्टोर सिर्फ कुछ देखने के लिए जाते हैं | घुसते हे आपकी नज़र एक छोटी वस्तु पर पड़ती है मसलन जुराबों का जोड़ा और वो भी 50% छूट पर | ये एक अच्छा सौदा है और आप उसे खरीद लेते हैं | अब स्टोर ने आपके डर की दीवार को तोड़ दिया है ! अब आप शायद कुछ और सामान भी खरीद लें !!
3.असममित प्रभुत्व प्रभाव:
मान लीजिये एक परफ्यूम ब्रांड में माप के दो विकल्प हैं :
विकल्प 1 | विकल्प 2 |
50 एम् एल | 100 एम् एल |
1000रु | 1600 रु |
इस स्थिति में हम में से कुछ लोग पहला विकल्प चुनेंगे और कुछ दूसरा विकल्प | ये चुनाव इस बात पर निर्भर करता है की हमें ज्यादा माप का विकल्प चाहिए या कम कीमत का विकल्प |
अब मान लीजिये कंपनी एक और विकल्प सामने लाती है
विकल्प 1 | विकल्प 2 | विकल्प 3 |
50 एम् एल | 100 एम् एल | 75 एम् एल |
1000रु | 1600रु | 1500रु |
लो ! अब कई ग्राहकों के लिए स्थिति बिलकुल बदल गयी है | अब आपको बोला जा रहा है की आपको 25 एम् एल सिर्फ 100 रु अतिरिक्त देने पर मिल रहा है (ध्यान दें , अब आप कीमत तुलना 1000 रु से नहीं बल्कि 1500 रु से कर रहे हैं और येही सब कुछ बदल देता है )
4. दरवाज़े पर शौपिंग बैग /कार्ट देने का महान कार्य
अगर आप के हाथ में पहले से ही कोई वस्तु है तो दुसरे उत्पाद को शेल्फ से उठा कार्ट ,में डालना उसे लेकर घूमने से बेहद आसान है |
जैसे ही दुकान में घुसें अगर दरबान आपको मदद भाव से कार्ट पकड़ाए तो उसे साफ़ मना कर दें | पहले आस पास देखें ,अगर आपको सच में वस्तुएं खरीदने का मन करे तभी कार्ट लें |
5. कैश काउंटर के पास पड़ी छोटी-मोटी वस्तुएं :
याद है कैसे कैश काउंटर के पास चॉकलेट ,पेन ,जुराबें जैसी छोटी वस्तुएं यूँ ही पड़ी रहती हैं ? उनके बारे में कुछ भी यूँ ही नहीं है | पहले ही इतना पैसा खर्च करने के बाद आपका दिमाग एक सस्ते उत्पाद को सकरात्मक नज़र से देखेगा | जब पहले ही 5000 रु खर्च दिए तो 200 रु और खर्चने में क्या दिक्कत है ?
6. भूल भुलैय्या मॉल और स्टोर
अगर आप दिल्ली या उसके आस पास रहते हैं तो आपने नॉएडा का नया डी एल एफ मॉल ऑफ़ इंडिया तो देखा होगा | ये मॉल विषम परिवेश में बनाया गया है | विचार ये था की आपको मॉल के प्लैन की आदत नहीं पड़ेगी जिससे आप ज्यादा वक़्त विंडो शौपिंग में बिताएंगे और हो सकता है इस में से कुछ समय खरीदारी में तब्दील हो जाये |
आयिकीया के स्टोर का फ्लोर प्लान नीचे दर्शायी गयी तस्वीर में देखें | फ्लोर प्लान बनाने वाले का मकसद है की सभी खरीदारों को स्टोर से गुजरने के लिए घूम के लम्बा रास्ता लेना पड़े – इससे उसकी ज्यादा चीज़ों पर नज़र पड़ेगी और उसकी कोई चीज़ खरीदने की सम्भावना बढ़ेगी(जो शायद वह नहीं करना चाहती हो )
“उसकी विंडो शौपिंग बढ़ाओ” – यही मन्त्र है .
चित्र सूत्र : डेलीमेल
7. मुद्रा मूल्य प्रभाव
इसमें कोई विज्ञान नहीं है की एक व्यक्ति के लिए 500 रु के देखे 100 रु खर्च करना ज्यादा आसान है | इसीलिए कई ब्रांड छोटी मात्रा के उत्पाद लौंच करते हैं | स्टोर से कोई भी वस्तु बस इसीलिए न खरीदें क्यूंकि इसकी कीमत कम है |
जब भी आप एक कम कीमत की वस्तु उठाएं ,खुद से पूछें : क्या मुझे वाकई इसकी ज़रुरत है ?
8. आप जो देखेते हैं वही खरीदते हैं !
स्टोर अक्सर ज्यादा गुन्जायिश वाले उत्पादों को शेल्फ पर आँखों के स्तर –भारत में 5 या 5.5 फीट -पर रखेंगे | हम लोग ठहरे आलसी और ज्यादा किफायती उत्पादों को देखना का प्रयत्न ही नहीं करते हैं |
तो अगली बार जब शौपिंग करने जायें तो ध्यान दें और झुक कर उन उत्पादों को देखना न भूलें जो नीचे की शेल्फ पर रखें हैं |
ध्यान दें कैसे स्टोर ने बुद्धिमानी से बच्चों के उत्पादों को नीचे स्तर पर रखा है
इसके पीछे रिटेल विज्ञान की एक पूरी शाखा है | अगर आप और जानकारी चाहते हैं तो एवेक़ुअन्त ब्लॉग की ये लिंक देखें |
चित्र सूत्र : सी बी एस न्यूज़
9. डिस्काउंट जो असल में डिस्काउंट नहीं है |
ऐसे ब्रांड से संभल कर रहे जो पूरे साल डिस्काउंट देते हैं |इनकी ‘असली कीमत ‘ एक ,झूठ छलावा है | अगर आप थोड़ा सतर्क रहेंगे तो देखेंगे की कुछ ब्रांड पूरे साल “एक के साथ दो मुफ्त “ सेल चालू रखते हैं !!
10. 6 पैक एब्स अच्छे हैं , 6 पैक उत्पाद सही नहीं है :
1 उत्पाद 50 में मिल रहा है पर उसका 6 का पेक सिर्फ 200 रु में मिल रहा है | अगर आपको सिर्फ एक चाहिए तो 6 के चक्कर में न फंसें ! ये न सिर्फ आपको अल्पविधि में नुक्सान देगा बल्कि लम्बे समय के लिए भी हानिकारक होगा | ये निति आपके उपभोग को बढ़ाने के लिए है ,तो सावधान रहे !
11. मुफ्त सैंपल
जहाँ कुछ सैम्पलिंग ऑफर एक विश्वसनीय तरीका है जिससे ब्रांड किसी नए उत्पाद के प्रति जागरूकता उत्पन्न करें या किसी रिसर्च में सहयोग हासिल करें ,कई सैंपल स्टेशन एक तरीका है सिर्फ आपको अन्दर लाने का | एक बार आप अन्दर आ गये तो सम्भावना है की आप इधर उधर देखेंगे और कुछ और सामान भी देख लेंगे | हर चीज़ मुफ्त नहीं मिलती !
12. ध्यान रखें, सुविधा महंगी पड़ सकती है
छांट कर प्याज़ खरीदने से पहले से भर कर रखी गयीं प्याज़ को उठाना ज्यादा सहज है | पर ये ज़रूरी नहीं की बैग में सारे प्याज़ उत्तम क्वालिटी की हों |
13. डाउनलोडेड एप्स /पुश नोटीफ़िकेशन :
अगर आपके मोबाइल में पड़े एप में कोई डील है तो दूसरी वेबसाइट ढूडने के बजाय यहाँ से खरीदारी करने की सम्भावना ज्यादा होती है |
इसके इलावा एप्स और वेबसाइट भी आपको तब तक पॉप आप दे परेशान करती रहती हैं जब तक आप नोटीफ़िकेशन पाने के लिए तैयार नहीं हो जाते | और फिर आप कभी न कभी तो इन पुश नोटीफ़िकेशन पर क्लिक कर ही देंगे |
14. एयरलाइन /होटल कुछ सीटें बची हैं चालाकी
ऐसा नही है की वह आपसे झूठ बोल रहे हैं ,पर जब आपका ध्यान इस बात पर ले जाया जाता है की सिर्फ दो सीटें ही बची हैं तो आप अपनी खरीद जल्दी ख़तम करने की कोशिश करेंगे | इसलिए सावधान रहे और विक्रेताओं को अपने आप को इतनी जल्दी परेशान न करने दें |
15. ट्राई करके देखने के कोई पैसे नहीं लगेंगे !
ये सच है की ट्राई करने की कोई कीमत नहीं लगती | पर ऐसी सम्भावना है की आप एक अच्छे इंसान हैं जिसके अन्दर पश्चताप की भावना भी है एक बार आपने कई तरीके के कपडे पहन के देख लिए ,तो आपकी पश्चाताप की भावना आपको कम से कम कुछ खरीदने के लिए उकसाएगी | इसलिए ट्राई करने से पहले एक बार सोच लें !
16. ऑनलाइन कैश बैक स्कीम
ये एक जाल है – कभी नहीं बाहर आने देने वाला जाल | आप 2500 रु का कुछ सामान खरीदतें हैं आपके वॉलेट में 10% का कैशबैक आ जाता है |
आप खुश हैं आपके वालेट में अब 250 रु हैं
अगली बार आप ऑनलाइन शौपिंग करेंगे आप सबसे पहले इस एप या वेबसाइट पर जायेंगे क्यूंकि आप वॉलेट में पड़े उन मुफ्त के ‘250 ‘रु का इस्तेमाल करना चाहते हैं |
अब तक चलो ठीक था | बुरा तब होता है जब आप उन 250 रु का इस्तेमाल करने की सोचते हैं जो नहीं तो बर्बाद हो जायेंगे L
जाल ने अपना शिकंजा कस लिया है| सावधान रहिए |
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