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12 आदतें जो रिश्तों में दरार पैदा कर सकती हैं

रिश्ते-यह एक ऐसा शब्द है जो अपने आप में  सहज स्नेहभाव, लाड़, दुलार, समर्पण  जैसे खूबसूरत जज्बों को अपने आप में समेटे हुए है। जिसके पास नि:स्वार्थ रिश्तों की अनमोल थाती है, वह शायद आज की गला काट प्रतिस्पर्धा के भौतिकवादी युग में सबसे सुखी इंसान है। अपने जीवन में रिश्तों  की हरियाली को लहलहाता  देखने के लिए आपको उसे नि:स्वार्थ प्यार, समर्पण, समय, संवेदनाओं और एहसासों के खाद, धूप, पानी से सींचना होगा। तभी आप इनका आनंद सही मायनों में ले पाएंगी।

कई महिलाएं शिकायत करती देखी जा सकती हैं कि “क्या करें, मायके पक्ष से तो मेरा रिश्ता बहुत अच्छा है, लेकिन ससुराल पक्ष या पति से मेरे रिश्ते कड़वाहट भरे हैं।” यहां  आपको याद रखना चाहिए कि ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती। इस  प्रकरण में आपके ससुराल पक्ष के लोग भी गलती पर हो सकते हैं वहीं क्या आपने कभी यह विश्लेषण करने का प्रयास किया कि उनके साथ रिश्ते निभाने में आप कहां चूक कर रही हैं?  यह लेख पढ़ते वक्त यदि आपको लगता है कि आप के अधिकतर रिश्ते मधुर और सहज नहीं हैं तो सोचिए, आप कहीं निम्न आदतों की शिकार तो नहीं, लेकिन फिक्र न करें, यदि आप में निम्न आदतों में से एक भी आदत विद्वमान  है तो आप  उन से मुक्त होने का प्रयास करें, और फिर देखें आपकी रिश्तों की बगिया आपकी तनिक समझदारी से कैसे महकने गमकने   लगेगी।

1. रिश्तों में फायदा नुकसान देखना:

रिश्तों में फायदे नुकसान की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। संबंधों को फायदे नुकसान की कसौटी पर कसने की प्रवृत्ति उनकी जड़ खोदने का काम करती है। याद रखें, रिश्तो को मात्र स्नेह भाव, अपनेपन, केयरिंग, शेयरिंग की जरूरत होती है ।
किसने मेरे लिए क्या किया, इस बात का लेखा-जोखा लेने के बदले यह सोचे कि अपनों को और करीब कैसे लाया जाए?

2. दूसरों में मीन मेख निकालना:

कहीं आप में बात-बात पर दूसरों में कमियां निकालने की आदत तो नहीं?
कई महिलाएं अपने आप को परफ़ेक्ट और दोषहीन मानती हैं, और अन्य लोगों को हमेशा उपदेश देने में विश्वास रखती हैं। सामने वाले से मामूली गलती हो जाने पर उनकी इतनी आलोचना करती हैं मानो वह तो कभी वह गलती कर ही नहीं सकतीं।
“तुम एक काम ढंग से नहीं कर सकतीं, तुम्हें तो यह काम देना ही नहीं चाहिए था,” रिश्तेदारों से यह कहने से बचें, नहीं तो आपके रिश्ते में दरार आते देर नहीं लगेगी।

3. मन में मैल रखना और अगले को माफ़ नहीं करना:

यह पारिवारिक रिश्तो में जड़ें खोदने का काम करता है। याद रखें परिवार में जब दो बर्तन होते हैं तो टकराते  ही हैं।   ननद भाभी का रिश्ता हो अथवा बहन बहन का, देवरानी जेठानी का हो या सास बहू का, आप दोनों के मध्य कभी किसी बात पर खटास आ भी जाती है तो आपसी बातचीत से उस कटुता की जड़ में जाकर मसले का हल कर लें और बात को फ़ौरन रफा-दफा करें । अगली  बार जब भी मिलें, पुरानी बात को पूरी तरह से भुलाते हुए गर्माहट से मिलें।

4. जिम्मेदारियों से दूर भागना:

जिम्मेदारियों से डरकर उनसे कतराने की आदत एक ऐसी आदत है जो आप के रिश्ते को खोखला कर सकती है। यदि कभी भी आपकी किसी भी रिश्तेदारी में जिम्मेदारियां निभाने का मौका आता है तो उसे निभाने के लिए हंसते-हंसते पहल कीजिए। यदि आप अपने भाई भाभी के यहां जाती हैं, और आपकी भाभी अचानक बीमार पड़ जाती हैं तो उस दिन घर के कामों की जिम्मेदारी स्वयं ले लें। आप के इस व्यवहार से भाभी आप की मुरीद ना हो जाए तो हमसे कहिएगा।

5. खर्च करने से बचना:

रिश्तेदारों के साथ कई बार बाहर घूमने जाने पर पैसे खर्च करने की जरूरत पड़ जाती है।
यदि आप अपनी बड़ी बहन या भाभी के साथ होटल या किसी एग्जीबिशन या मेले में गई हैं, तो हर बार बाहर जाने पर उनसे खाने पीने पर खर्च करवाना कतई ठीक नहीं।
यूं इस तरह साथ साथ बाहर जाने पर आपको भी अपने चेहरे पर बिना शिकन लाए कुछ खर्च करने के लिए तैयार रहना चाहिए। आपका यह विचारशील भाव अवश्य ही उन्हें आपके और करीब लाएगा।

6. नियंत्रण की आदत:

क्या आप में अपने करीबी संबंधों जैसे बेटी, बेटे, बहू, देवरानी, ननद आदि को उनके जीवन के हर क्षेत्र में नियंत्रित करने की आदत है? यदि आप चाहती हैं कि ये रिश्तेदार आपसे छोटी छोटी बातों पर आपकी अनुमति लें तो इस आदत को आज ही वरन अभी छोड़ दीजिए।
स्वस्थ रिश्तो में स्वतंत्र विचारों की अहम भूमिका होती है। अतः अपने से जुड़े हर रिश्ते में आप इस बात का ध्यान रखें कि कहीं आप अपने व्यवहार से अगले को नियंत्रित करने की गलती तो नहीं कर रही।

7. मात्र लेने में विश्वास रखना:

हर रिश्ता आदान-प्रदान के सिद्धांत पर चलता है। यह आदान-प्रदान प्यार, स्नेह का हो सकता है, समय और श्रम का हो सकता है, या फिर पैसों का भी हो सकता है।

यह मानव स्वभाव है कि इंसान किसी भी रिश्ते में अगले इंसान को दिए गए प्यार, केयर, समय, श्रम के प्रतिदान की अपेक्षा रखता है। लेकिन जब एक ही इंसान इन सब को अगले को देता रहता है तो उस रिश्ते की नींव कमजोर पड़ने लगती है।

अतः यदि आप चाहती हैं कि आपका कोई भी रिश्ता चाहे वह ससुराल की ओर का हो अथवा मायके पक्ष का हो, उसे आप हर स्तर पर अपनी ओर से समृद्ध करने का प्रयास करें और अपना सिद्धांत बना लें कि आपको किसी भी रिश्ते में सामने से जितना भावनात्मक प्यार, दुलार, केयर, समय, श्रम मिल रहा है, आप उसे सवाया या ड्योढ़ा करके देंगी, कम नहीं और फिर देखिए आपका रिश्ता किन बुलंदियों तक पहुंचता है ।

8. स्वार्थ का चश्मा पहन रिश्ते निभाना

रिश्तेदारी कोई भी हो, उसमें स्वार्थ का पुट निस्संदेह उनकी जड़ें काटता है। रिश्तेदारी निभाते वक्त कभी भी यह न सोचें कि इस रिश्ते से मुझे कुछ फायदा होगा और इस रिश्ते में मुझे फायदे की कोई संभावना नहीं।

रिश्तों को नि:स्वार्थ भाव से निभाएं और फिर देखें सामने वाला भी आपको भावनाओं की बेशकीमती दौलत से मालामाल न कर दे तो हमसे कहिएगा।

9. रोब जमाने की आदत:

कुछ लोग स्वभाव से बेहद डोमिनेटिंग और निरंकुश होते हैं। बात-बात पर अपने रिश्तेदारों पर धौंस जमाते हैं। अपने रौबीले लहज़े से अगले को छोटा महसूस कराते हैं। उसके लिए नियम निर्धारित करते हैं। यदि आप भी इनमें से एक हैं तो इस आदत से तौबा करने का प्रयास करें। याद रखें, करीबी से करीबी रिश्ते इस गलत व्यवहार से मुर्झा जाते हैं ।

10. ईगो या अहंकार रखना:

रिश्तों में ईगो रखने की प्रवृत्ति सही नहीं। रिश्ते मात्र नि:स्वार्थ प्यार, स्नेह, केयरिंग और शेयरिंग की माटी में पनपते हैं। आप पैसे वाली हैं और आपकी बहन या भाभी आप से कम पैसे वाली हैं तो भी उन्हें अपनी किसी बात से यह जताने की भूल कतई ना करें। याद रखें रिश्तो में अहंकार उसकी कब्र खोदने में देर नहीं लगाता।

11. अपमान करना:

कुछ महिलाओं की ज़ुबान बेहद कड़वी होती है और वह मौका मिलने पर किसी भी रिश्तेदार का अपमान करने से नहीं चूकतीं। ऐसी महिलाएं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तायनों या व्यंगबाणों के जरिए संबंधियों को बात-बात पर अपमानित करने का मौका नहीं छोड़तीं। याद रखें, यदि आप भी इनमें से एक हैं तो देर सवेर आपकी यह आदत आपको भारी पड़ेगी और आपको उस रिश्ते से हाथ धोते देर नहीं लगेगी।

अतः कभी भी किसी का अनावश्यक रूप से अपमान करने से बचें और रिश्तों की गरिमा बनाए रखें ।

12. आलोचना करना:

हर व्यक्ति का सोचने का नज़रिया, सोचने की प्रक्रिया, दृष्टिकोण, सिद्धांत अनूठे होते हैं। आपको जो चीज सही लगती है जरूरी नहीं कि वह अगले को भी सही लगेगी। यदि आपकी कोई रिश्तेदार आपकी आलोचना करता है तो उसे अपना अपमान न समझें। आलोचना का विश्लेषण करें और देखें कि क्या सचमुच आप में वह कमी है। और यदि इसका उत्तर हां में है तो उस कमी को भरसक दूर करने का प्रयास करें ।

Renu Gupta

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  • आपने बहुत सुंदर लेख लिखा है ।वर्तमान में ऐसे लेख की बहुत जरूरत है।इन सभी बातों का ध्यान कर रिश्ते बचा सकते हैं❤️।धन्यवाद जी बधाई सुंदर लेख हेतु।

  • बहुत ही सुंदर लेख वर्तमान की मांग है यह लेख

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