वास्तु शास्त्र एक ऐसा ज्ञान है जो दिशाओं के माध्यम से आपको यह जानकारी उपलब्ध कराता है कि कौन सी वस्तु का स्थान किस दिशा में होना चाहिए। मत्स्य पुराण में भी वास्तु शास्त्र का उल्लेख किया गया है। यहां हम आपको 101 वास्तु टिप्स देंगे, जो आपके घर और संसार को खुशियों से भर देंगे।
मत्स्य पुराण के अनुसार वास्तु पुरुष भगवान शिवजी के पसीने से उत्पन्न हुआ था। वह एक राक्षश की तरह था, जिसके मुख के करीब जो चीज आ जाती वह उसे खा जाता।
इस बात से चिंतित सभी देवगणों ने मिलकर उसका संहार करने का प्रयत्न किया। पहले देवताओं ने उसे चारों ओर से घेर लिया और फिर उसे धरती के भीतर धकेल दिया। उसका शमन करने के लिए उसे वास्तु नाम दिया गया और साथ ही यह वरदान भी दिया गया कि जब भी धरती पर किसी भी चीज का निर्माण होगा सर्वप्रथम वास्तु को पूजा जायेगा।
आधुनिक जमाने में भी वास्तु का ख्याल किया जाता है। इस विज्ञान के जरिये नैचुरल एनर्जी का अधिकतम प्रयोग कैसे किया जाता है – यह बखूबी समझाया गया है। चाहे पारंपरिक पुराणों को मानें या फिर आधुनिक विज्ञान को, वास्तु का अपना एक खास महत्व होता है।
हम मुख्यतः चार दिशाओं से अवगत हैं, जिसमें पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशाएं शामिल हैं। अगर वास्तु ज्ञान की बात की जाये, तो वास्तु के अनुसार कुल आठ दिशाएं होती हैं, जिनमें पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान (उत्तर पूर्व), वायव्य (उत्तर पश्चिम), अग्नि (दक्षिण पूर्व) और नैऋत्य (दक्षिण पश्चिम) के नाम शामिल हैं। कुछ वास्तु जानकारों का यह भी मानना है कि नभ और पाताल के नाम भी सूची में शामिल हैं अर्थात उनके अनुसार दिशाएं 10 हैं।
101 वास्तु टिप्स:
1. घर के मुख्य द्वार के समक्ष कभी भी आपका डाइनिंग टेबल नहीं लगाना चाहिए। डाइनिंग एरिया तय करते समय इस बात का आवश्य ध्यान रखें कि वह आपके मुख्य द्वार से सीधा दिखाई न दे।
2. उत्तर पूर्व अर्थात ईशान दिशा में तुलसी का पौधा लगाएं।
3. घर में रखी हुई तिजोरी या पर्स जिसमें आप धन इकठ्ठा करके रखते है, वह हमेशा ही दक्षिण में रखा जाना चाहिए।
4. घर में रखी हुई अलमारियों को इस प्रकार रखें कि जब भी उनका द्वार खुले तो वह उत्तर दिशा में खुले।
5. अगर घर के दरवाजे पुराने हो गए हैं और उन्हें खोलने या बंद करते समय उसमें से आवाज आती है, तो यह शुभ नहीं होता है इसलिए उन्हें समय पर तेल डाल कर ठीक करवाते रहें।
7. दक्षिण पूर्व दिशा अग्नि की दिशा है। इस दिशा में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित नहीं की जाती है। अगर घर में इस दिशा में हनुमान जी की मूर्ति हो, तो उसका स्थान परिवर्तन कर दें।
8. घर में उत्तर पूर्व दिशा को जितना हो सके उतना खुला छोड़ दे। इस दिशा में ज्यादा कंस्ट्रक्शन नहीं किया जाना चाहिए।
9. आपके बेडरूम में बेड रखते समय यह आवश्य ध्यान दें कि आपके बेड के ऊपर कोई भी बीम न पड़े। यह नकारत्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है इसलिए बेड को बीम के नीचे रखने से बचें।
10. घर में ईशान दिशा (उत्तर पूर्व) को हमेशा ही साफ रखा जाना चाहिए। अगर इस दिशा में गंदगी होगी तो घर के मुखिया का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
11. घर के सभी टॉयलेट और बाथरूम का उपयोग नहीं करते समय उनके दरवाजे को बंद रखें। बाथरूम का दरवाजा खुला छोड़ने से घर में नकारत्मक ऊर्जा का संचार होता है।
12. घर के हॉल, ड्रॉइंग रूम या लिविंग रूम में सूर्य की उगती हुई पेंटिंग या फोटो जरूर लगाएं। इस तस्वीर के लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी।
13. साफ-सफाई में उपयोग होने वाले सारे उपकरण – झाड़ू, पोंछा वगैरह को घर की रसोई में नहीं रखा जाना चाहिए।
14. किचेन में शीशा या उसकी दिवार पर भी शीशा नहीं लटकाना चाहिए। रसोई में शीशा लगाना शुभ नहीं माना जाता है।
15. वायव्य (उत्तर पश्चिम) या अग्नि (दक्षिण पूर्व) दिशा में घर के टेलीफोन को रखना चाहिए लेकिन यह ध्यान रहे कि कभी टेलीफोन ईशान या नैऋत्य में न रहे।
16. पूजा घर और बाथरूम का स्थान आस-पास नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा है तो पूजा घर का स्थान परिवर्तन कर लें।
17. पूजा घर में संध्या के समय धूप (अगरबत्ती) जलाने से पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
18. भगवान की आराधना करते समय हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि आपका मुख उत्तर पूर्व दिशा की ओर ही हो।
19. घर के लिविंग रूम के ईशान दिशा में फिश एक्वेरियम रखना चाहिए। इसमें आप 9 सुनहरी गोल्डफिश और 1 ब्लैक गोल्डफिश रखें। यह घर में सुख स्मृद्धि बनाये रखता है।
20. आपके बेडरूम में कभी भी कोई पानी वाली वस्तुएं – जैसे कि कोई वॉटरफॉल की सीनरी या फिर पौधा न लगाएं। अगर ऐसा है तो उन्हें हटा दें।
21. घर में कंप्यूटर या टी.वी. हमेशा ही लिविंग रूम या स्टडी रूम में रखें। कंप्यूटर या टी.वी. को दक्षिण पूर्वी स्थान में रखेंगे तो यह और शुभ रहेगा।
22. इस बात का आवश्य ध्यान रखें कि घर के मुख्य द्वार पर रोशनी में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। मुख्य द्वार पर छोटे-छोटे नहीं अपितु बड़े-बड़े लाइट लगवाएं।
23. धन की अल्पता को दूर करने के लिए एक पात्र में साबुत नमक लें और उसे ईशान कोण में जाकर रख दें। इस नमक को समय-समय पर बदलते रहना चाहिए।
24. दक्षिण पश्चिम दीवारों पर हीं आप अपने बेड और अलमारियों को जमायें। यह अवश्य ध्यान में रखें कि उत्तर और पूर्वी दिशा में दीवारों पर चीजें कभी भी सेट न की जाये।
25. कुबेर दिशा अर्थात उत्तर दिशा में अपने विवाह की तस्वीर को लगाना चाहिए।
26. अपनी कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए रोज सोते समय अपने सर के पास एक ताम्बे के पात्र में जल भरकर रखें। इससे आपको सकारत्मक ऊर्जा मिलेगी।
27. पूर्व दिशा में कैलेंडर लगाने से आपके जीवन में तरक्की आएगी। पूर्व दिशा सूर्य देव की दिशा है जो आपको वर्ष भर ऊर्जा प्रदान करेगी।
28. घर के सारे कोनों में रौशनी की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए। सभी कोनों को लैंप व कैंडल्स से सजाया जा सकता है। इस बात का आवश्य ध्यान दें कि कोनों में कभी किसी प्रकार की गंदगी न हो।
29. घर में कभी भी किसी भी दीवार पर कोई भी ऐसी तस्वीर को न लगाएं जो नकारत्मक ऊर्जा को आमंत्रित करती हो। हरियाली वाली तस्वीरें लगाना लाभदायक होगा।
30. पूजा घर बनाते वक्त यह ध्यान दें कि वह ईशान कोण में ही बनाया जाए। अगर किसी कारणवश ऐसा नहीं कर पाते हैं तो भगवान की मुर्तियां ऐसे रखें कि उनका मुख ईशान दिशा की ओर ही हो।
31. घर में बच्चो का शयनकक्ष (बेडरूम) कभी भी उत्तर पश्चिम में नहीं होना चाहिए।
32. घर में कभी भी रसोईघर को दक्षिण पूर्वी दिशा में नहीं बनवाना चाहिए। इससे घर की शांति भंग होती है।
33. बाथरूम का निर्माण करते समय यह ध्यान दें की वह दक्षिण दिशा में न बनवाए जाएं।
34. नैऋत्य दिशा में कभी भी शयनकक्ष का निर्माण नहीं होना चाहिए। यह घर में लड़ाई का कारण भी बन सकता है।
35. घर की खिड़कियां और दरवाजे पूर्व या उत्तर दिशा में ही होना चाहिए।
36. घर के बुजर्गों की कोई भी तस्वीर कभी भी पूजाघर में नहीं रखनी चाहिए। उनकी तस्वीरें आप दक्षिण दिशा में लगाएं।
37. भोजन करने के पश्चात जूठे बर्तनों को ज्यादा देर तक सिंक में नहीं रखना चाहिए। इससे घर में दरिद्रता आती है।
38. घर निर्माण करते समय यह ध्यान अवश्य दें कि घर में कोई भी तीन दरवाजे एक ही सीध में न रहें।
39. घर का मुख्य द्वार कभी भी घर के ठीक बीचों बीच नहीं बनवाना चाहिए।
40. पूर्व या उत्तर दिशा में घर का मुख्य द्वार बनवान ही उचित माना जाता है।
41. अपने इष्ट देवी या देवता का स्मरण रोज करें।
42. घर में किसी भी स्थान पर कांटेदार या दूध वाले पौधे (उदाहरण : कैक्टस व आकड़ा) कभी भी नहीं लगाना चाहिए।
43. घर के आंगन में हमेशा ही खुशबूदार फूल वाले पौधे लगाना चाहिए।
44. घर के प्रवेश द्वार पर कोई भी मांगलिक चिन्ह जैसे की स्वास्तिक या ॐ को सिन्दूर से बनाएं।
45. घर के मुख्य द्वार पर आप गणेश जी की प्रतिमा या धन की देवी लक्ष्मी माता की प्रतिमा भी रख सकते हैं।
46. प्रवेश द्वार बनवाते समय यह ध्यान दें कि उसकी लम्बाई चौड़ाई से दोगुनी हो।
47. घर में मुख्य द्वार के एकदम सामने कोई भी जल का स्त्रोत होना शुभ नहीं माना जाता है।
48. घर में पेंट करवाते समय यह ध्यान रखें कि घर की खिड़कियों और दरवाजों को काला रंग न दिया जाए।
49. घर के किसी भी कोने में दीवार, छत या कोई भी कोना क्षत्रिग्रस्त न हुआ हो। अगर ऐसा है तो उसे तुरंत ठीक करवाएं।
50. घर के मुख्य द्वार के सामने मंदिर भी नहीं होना चाहिए यह वास्तु के अनुरूप शुभ नहीं माना जाता है।
51. घर में किसी भी कोने में बंद पड़ी हुई घड़ी न लगाएं। टूटे हुए कांच की चीजों को भी घर से बाहर कर दें।
52. अपने बेडरूम में कभी भी आईना नहीं लगवाना चाहिए।
53. शयनकक्ष में आपके बेड के ठीक सामने कभी भी ड्रेसिंग टेबल को न रखें।
54. श्वेत आर्क और शमी का पौधा घर में लगाने से पारिवारिक प्रेम में वृद्धि होती है।
55. रसोई में खाना बनाते वक्त यह ध्यान में रखना चाहिए की मुख पूर्व दिशा में रहे।
56. भोजन ग्रहण करते वक्त भी पूर्व दिशा की ओर मुख रखें। इससे आपकी पाचन शक्ति बढ़ेगी।
57. विवाह योग्य कन्याएँ अपना कमरा उत्तर पश्चिम दिशा में ही रखें। इससे उनके विवाह में आ रही अड़चने दूर हो जाएंगी।
58. पढाई में कम रूचि रखने वाले बच्चों को हमेशा पूर्व की और मुख करके अध्यन्न करवाएं। इससे उन्हें लाभ मिलेगा।
59. नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने के लिए घर में हफ्ते में एक बार पानी में नमक डालकर पोछा लगवाएं।
60. घर में शंख आवश्य रखा जाना चाहिए। इसे बजाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा।
61. घर में रखी हुई विवाह के निमंत्रण पत्रों को कभी भी फाड़ कर नष्ट न करें; इससे गुरु और मंगल दोष हो जाता है।
62. ऑफिस में आपका मुख्य केबिन हमेशा नैऋत्य कोण में होना चाहिए।
63. अगर आप दफ्तर में काम करते हैं तो हमेशा ही उत्तर पूर्व की ऒर मुख करके अपना काम करें।
64. रसोई का सिंक हमेशा ही ईशान कोण में बनवाना चाहिए।
65. किचन में लगी हुई अलमारी को पश्चिम या दक्षिण की दीवारों पर लगाना चाहिए।
66. रसोईं घर के दक्षिण दिशा में कोई भी खिड़की न बनवाएं।
67. रसोईं घर से लगा हुआ कोई भी जल का स्त्रोत नहीं होना चाहिए।
68. घर की स्त्री द्वारा प्रातः रोज उठकर मुख्य द्वार पर जल डलवाना चाहिए। इससे घर में माँ लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहेगी।
69. प्रवेश द्वार का वास्तु दोष दूर करने हेतु वहां घंटियों वाला तोरण अवश्य लगाएं।
70. रसोईं घर और प्रवेश द्वार एकदम सीध में नहीं होने चाहिएं। ऐसा करना सम्भव न हो तो आप रसोईघर के द्वार पर पर्दा लगवा दें।
71. मुख्य द्वार हमेशा ही घर के भीतर खुले, बाहर नहीं।
72. उत्तर दिशा की ओर धातु से बना हुआ कछुआ रखने से घर में समृद्धि बनी रहती है।
73. घर के भीतर पूर्व दिशा में पीपल का पेड़ नहीं लगा होना चाहिए।
74. खाद्य सामग्री को रसोईं के दक्षिण पश्चिम भाग में रखना चाहिए।
75. कभी भी किचन में रौशनी के आभाव में चूल्हा नहीं जलना चाहिए; इससे संतान कष्ट होता है।
76. किचन में जाकर कभी भी रोना नहीं चाहिए; इससे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
77. पूर्व दिशा में लगे हुए फर्श या टाइल्स का रंग गहरा होना चाहिए।
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78. उत्तर पश्चिम दिशा में लगे हुए पर्दों का ग्रे कलर हो तो यह सबसे शुभ माना जाता है।
79. सीढियाँ बनवाते समय यह ध्यान रखें कि उसके प्रारम्भ या आखिर में कोई द्वार नहीं होना चाहिए।
80. घर में कभी भी, खासकर कोनों में, जालें न लगने दें। यह वास्तुदोष का प्रमुख कारण है।
81. सीढ़ियों के नीचे कभी भी पुराना सामान रखने के लिए स्टोर रूम न बनवाएं।
82. बिजली का मेन बोर्ड अग्नि कोण में लगवाना चाहिए।
83. पूजा घर का द्वार हमेशा दो पल्ले वाला हीं बनवाना चाहिए।
84. बेडरूम में कभी भी देवता की मूर्ति नहीं लगानी चाहिए।
85. अपने स्नानघर में नीले रंग की बाल्टी आवश्य रखें।
86. बाथरूम में गहरे रंग की टाइल्स के प्रयोग से बचना चाहिए।
87. आपके शयनकक्ष को बाथरूम से थोड़ा उंचाई पर रखें।
88. घर में कभी भी कोई भी नल को टपकता हुआ न छोड़ें। इसे तुरंत ठीक करवाएं।
89. बाथरूम में लगा हुआ आईना आपके द्वार के सीध में नहीं होना चाहिए।
90. बच्चों की अलमारी हमेशा नैऋत्य कोण में ही बनी हुई होनी चाहिए।
91. लिविंग रूम की ढलान हमेशा उत्तर पूर्व दिशा की ओर ही होनी चाहिए।
92. घर के पश्चिमी क्षेत्र में शनि देव की स्थापना से इस दिशा का वास्तु दोष कट जाता है।
93. उत्तर दिशा में कभी भी सीढ़ियों का निर्माण नहीं करवाना चाहिए।
94. पूर्व दिशा की ओर सीढ़ियों का उतार होना चाहिए।
95. दक्षिण और नैऋर्त्य दिशाओं में बनी हुई दीवारें हमेशा ही मोटी बनवानी चाहिए।
96. घर से पानी को बाहर निकालने के लिए उत्तर पूर्व दिशा ही उप्युक्त माना जाता है।
97. सोलह साल की आयु वाले लोगों का बैडरूम पश्चिम में हीं बनवाना चाहिए।
98. रात में सोते समय आपके पैर कभी भी किसी द्वार की ओर नहीं होना चाहिए।
99. शयनकक्ष में पति-पत्नी के लिए पलंग पर अलग अलग गद्दे नहीं लगे होने चाहिए।
100. बहुमंजिला इमारतों में घर के प्रमुख का बेडरूम हमेशा ऊपर की या पहली मंजिल पर होना चाहिए, ग्राउंड फ्लोर पर नहीं।
101. घर में तलघर में कोई भी बेडरूम का निर्माण नहीं किया जाना चाहिए। इससे आर्थिक और स्वास्थ्य दोनों की समस्या होगी।
हर व्यक्ति या हर घर के लिए इन सभी वास्तु टिप्स पर अमल करना संभव नहीं है। आप जीतने टिप्स पर अमल कर सकते हैं, अच्छा है – जिस पर नहीं कर सकते, उसको लेकर अनावश्यक स्ट्रैस न लें।
Rachna
Apne Arak ke podhey ko lagane ke lite mana kiya hai or fir next point me shubh samjh nai ayi ye bat
42. घर में किसी भी स्थान पर कांटेदार या दूध वाले पौधे (उदाहरण : कैक्टस व आकड़ा) कभी भी नहीं लगाना चाहिए।
HUmne rent ke Ghar me shift hona hai Ghar ke bahar Arak Ka bahut BADA podha laga hai kta kare kat de usko
Rakesh
Ghar me underground bana sakte hn ya nahi … sone ke alawa kisi or purpose of liye … agar bana sakte hn to kis direction me ..