इस सूची में से अगर आपने कोई भी फ़िल्म मिस की है, तो समझ लीजिये कि यह किसी घोर पाप से कम नहीं। फटाफट पूरी लिस्ट पर गौर फरमाइए। और अगर कोई फ़िल्म छूटी है, उसे देखने का जल्द से जल्द बंदोबस्त करें।
नायिका निरुपा रॉय के जीवन की यह पहली फ़िल्म थी जिसमें वो ‘बगैर ग्लिसरीन लगाए रोयी थी’! ऐसा जबर्दस्त माहौल बनाया था निर्माता-निर्देशक बिमल रॉय ने दो बीघा ज़मीन के सेट पर।
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की एक कविता पर आधारित यह फ़िल्म एक गरीब किसान के ‘सूखे से ग्रस्त’ जीवन की दर्द भरी दास्तान बयां करती है। किसान की भूमिका अदा की बलराज साहनी ने ।
पहले फिल्मफेयर अवार्ड में इस फ़िल्म को श्रेष्ठ फिल्म घोषित किया गया था। बिमल रॉय को श्रेष्ठ निर्देशक के पुरुस्कार से नवाजा गया।
भारत के फिल्म इतिहास में ‘दो बीघा ज़मीन’ का एक अति विशिष्ट स्थान है और आज भी कई निर्देशकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है यह फ़िल्म ।
दो बीघा ज़मीन
रिलीज़ डेट: 16 जनवरी, 1953
निर्देशक: बिमल राय
निर्माता: बिमल राय
प्रमुख कलाकार: बलराज साहनी, निरूपा रॉय, मुराद, मीना कुमारी
‘प्यासा’ की मूल कहानी गुरु दत्त ने खुद लिखी थी । यह फ़िल्म उन्होनें अपने मुफलिसी के उस दौर में लिखी जब उनको लगता था कि ये समाज कलाकारों का आदर नहीं करता ।
अगर ‘प्यासा’ को हिंदी सिनेमा की महान फिल्मों में से एक कहा जाये, तो बिलकुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगी।
‘बाजी’ और ‘आर पार’ जैसी मनोरंजक मसाला फिल्में देने वाले निर्देशक ने एक ऐसी फ़िल्म बनाई जिसमें केवल दुःख ही दुःख था। इस फ़िल्म में हैप्पी मूड देने के लिए फायनेंसरों का प्रेशर भी गुरुदत्त के लिए परेशानी की वजह था।
दिलीप कुमार के मना कर देने के बाद इसमें ख़ुद गुरुदत्त को बतौर हीरो काम करना पड़ा। गुरुदत्त को रीटेक लेने की आदत थी। उनका एक सीन माला सिन्हा के साथ था। सुबह 9 बजे से रात के 12 बजे तक सीन के रीटेक पर रीटेक हुए। लेकिन न सीन हुआ, न गुरुदत्त ने हार मानी।
गुरुदत्त ने विजय के क़िरदार में जो जान डाली, वो शायद दिलीप कुमार भी नहीं कर पाते। प्यासा फ़िल्म का अंत का सीन भी गुरुदत्त को लोगों के प्रेशर में आकर बदलना पड़ा । आप उस फ़िल्म को देखकर ख़ुद अंदाज़ा लगाएं – क्या सही था, क्या ग़लत।
प्यासा
रिलीज़ डेट: फ़रवरी 19, 1957
निर्देशक: गुरु दत्त
निर्माता: गुरु दत्त
प्रमुख कलाकार: गुरु दत्त, माला सिन्हा, वहीदा रहमान
जब भी बॉलीवुड में बेस्ट फिल्म्स की बात होती है, तब उनमें ‘मदर इंडिया’ का नाम ज़रूर शामिल होता है। कहा जाता है कि अगर आपने ‘मदर इंडिया’ नहीं देखी, तो कोई फ़िल्म नहीं देखी। मदर इंडिया महबूब खान की ही 1940 में आई फिल्म ‘औरत’ की रीमेक थी। आज भी किसी हिन्दी रीमेक को ‘महान’ कहा जाता है, तो वह ‘मदर इंडिया’ ही है। ठेठ हिन्दुस्तानी जीवन को परिभाषित करती है ये फ़िल्म। इस फ़िल्म का नाम नरगिस का ही दिया हुआ है ।
नरगिस, राजकुमार, राजेन्द्र कुमार, सुनील दत्त अभिनीत ये फ़िल्म एक ऐसी औरत की कहानी है जो अपने सम्मान के लिए दुनिया से लड़ती है। अंत में इस फ़िल्म की नायिका अपने पथभ्रष्ट बेटे को गोली मार कर एक नई मिसाल कायम करती है।
मदर इंडिया
रिलीज़ डेट: 25 अक्तुबर 1957
निर्देशक: महबूब खान
निर्माता: महबूब खान
प्रमुख कलाकार: नरगिस, सुनील दत्त, राजेन्द्र कुमार, राज कुमार
निर्देशक के. आसिफ ने 1944 में मुग़ल सम्राट अकबर के जीवन पर एक नाटक पढ़ा और तब से ही उन्होनें इस पर एक फिल्म बनाने का कार्य शुरू कर दिया। पर इस फिल्म के बनने में ढेर सारी अड़चनें आयीं और फिल्म पूरी करने में पूरे सोलह साल लग गए।
मधुबाला और दिलीप कुमार अभिनीत इस फ़िल्म में कई रोचक वाक़ये हैं। जैसे ‘प्यार किया तो डरना क्या’ – इस गीत को फिल्माने में 10 लाख रुपये खर्च हुए। उस जमाने में इतने रुपयों में एक पूरी फिल्म बन कर तैयार हो जाती। 105 गानों को रिजेक्ट कर नौशाद साहब ने यह गाना चुना था।
इस गाने को लता मंगेशकर ने स्टूडियो के बाथरूम में जाकर गाया था, क्योंकि रिकॉर्डिंग स्टूडियो में उन्हें वो धुन या गूंज नहीं मिल पा रही था जिसकी उन्हें तलाश थी।
‘ऐ मोहब्बत जिंदाबाद’ के लिए मोहम्मद रफ़ी के साथ 100 गायकों से कोरस करवाया गया था। के. आसिफ़ ने अपने सोलह साल की पूरी कमाई मुग़ल-ए-आज़म में लगा दी थी। पर क्या खूब नतीजा आया!
मुग़ल-ए-आज़म
रिलीज़ डेट: 5 अगस्त 1960
निर्देशक: के. आसिफ़
निर्माता: शपूरजी पल्लोंजी
प्रमुख कलाकार: दिलीप कुमार, मधुबाला, पृथ्वीराज कपूर, दुर्गा खोटे
फ़िल्म दोस्ती 1964 में रिलीज़ की गयी। जिसके निर्देशक सत्येन बोस और निर्माता ताराचंद बड़जात्या थे। यह फ़िल्म एक अपाहिज लड़के और एक अन्धे लड़के के बीच दोस्ती पर बनाई गयी है। साल 1964 में फ़िल्मफ़ेयर के सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार के साथ अन्य छ: पुरस्कार भी इसी फ़िल्म को मिले।
दोस्ती 1964 में सुपर हिट 10 फिल्मों की लिस्ट में भी शामिल थी। फ़िल्म दोस्ती उस समय के दो नए कलाकारों सुशील कुमार और सुधीर कुमार को लेकर बनाई गयी थी।
इस फ़िल्म के गाने आज भी लोगों की ज़बान पर हैं।
दोस्ती
रिलीज़ डेट: 6 नवंबर 1964
निर्देशक: सत्येन बोस
निर्माता: ताराचंद बड़जात्या
प्रमुख कलाकार: सुशील कुमार, सुधीर कुमार, बेबी फ़रीदा, उमा राजू
कुछ फ़िल्मों का आकर्षण हर दौर में रहता हैं। कुंदन शाह निर्देशित जाने भी दो यारों ऐसी ही फ़िल्म है, जो आज भी तरोताज़ा और समाज से जुड़ी लगती है। जहां मुग़ल-ए-आज़म का एक गाना दस लाख की लागत पर बना था, वहीं यह पूरी की पूरी फिल्म सात लाख में तैयार की गयी थी!
35 साल पहले बनी फ़िल्म की कहानी, किरदार, घटनाएं और इसका संदेश आज के दौर से मेल खाता है। फ़िल्म 1983 में 12 अगस्त को रिलीज़ हुई थी। फ़िल्म में वो सभी कलाकार शामिल थे, जिन्हें आज वेटरन एक्टर कहा जाता है।
नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, पंकज कपूर, रवि वासवानी, सतीश शाह, सतीश कौशिक, विधु विनोद चोपड़ा, अनुपम खेर, नीना गुप्ता जैसे दिग्गज इससे जुड़े थे।
फिर भी जाने भी दो यारों रिलीज़ के वक़्त फ़्लॉप रही थी। इस फ़िल्म को दर्शकों ने नकार दिया था। फ़िल्म में सिस्टम के ऐसे ही एक भ्रष्टाचार को व्यंगात्मक लहज़े में पेश किया गया है।
डिमैलो का किरदार मुख्य रूप से हँसायेगा । डिमैलो के किरदार को सतीश शाह ने निभाया था। फ़िल्म के कुछ दृश्य ऐसे हैं जो गुदगुदाते हैं, मगर उनमें एक गंभीर संदेश दिया गया है।
जाने भी दो यारों की कामयाबी में इसके स्क्रीन प्ले और संवादों की भूमिका बेहद अहम थी। फ़िल्म को रंजीत कपूर ने लिखा था।
जाने भी दो यारों शुरू में सात घंटे की फ़िल्म थी। बाद में इसे छोटा करके 2 घंटे 12 मिनट का किया गया। महाभारत वाला सीन, जो सबसे मज़ेदार है, उसे लिखने में 10 दिन का वक़्त लग गया था । इस फ़िल्म को देखे बिना न जाने देना यारो ।
जाने भी दो यारो
रिलीज़ डेट: 12 अगस्त 1983
निर्देशक: कुंदन शाह
निर्माता: भारतीय राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम
प्रमुख कलाकार: नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, सतीश शाह, सतीश कौशिक, पंकज कपूर
यह फ़िल्म राजश्री प्रोडक्शंस की 1982 की भोजपुरी फिल्म ‘नदिया के पार’ की रीमेक थी। इस फिल्म ने कई अवॉर्ड्स जीते। बेस्ट पॉपुलर फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड भी इसे ही मिला था।
बॉक्सऑफिस पर तो इस फिल्म ने धमाल ही मचा दिया था। यह पहली हिन्दी फिल्म थी जिसने बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड़ रुपयों से अधिक का व्यवसाय किया।
सूरज बड़जात्या के निर्देशन में बनी इस फिल्म में सलमान खान, माधुरी दीक्षित, मोहनीश बहल, रेणुका शहाणे, अनुपम खेर, आलोक नाथ, रीमा लागू और लक्ष्मीकांत बेर्डे अहम भूमिका में नज़र आये थे। कुल मिला कर ये एक पारिवारिक फ़िल्म थी जो दर्शकों को आज भी बांध कर रख लेती है ।
हम आपके हैं कौन
रिलीज़ डेट: 5 अगस्त 1994
निर्देशक: सूरज बड़जात्या
निर्माता: अजीत कुमार बड़जात्या, कमल कुमार बड़जात्या, राजकुमार बड़जात्या
प्रमुख कलाकार: माधुरी दीक्षित, सलमान ख़ान, मोहनीश बहल, रेणुका शहाणे
फ़िल्म पा में अमिताभ बच्चन ने प्रोजेरिया पीड़ित बच्चे का अभिनय किया है। जिसमें 12 साल के बच्चे को 65 साल का दिखाया गया । इस मेकअप को करने में घण्टों का टाइम लगता था। ये एक हास्य तरीके से बनाई गई फ़िल्म है ।
निर्देशक बाल्की ने छोटे-छोटे दृश्यों के जरिये हास्य, व्यंग्य और इमोशन प्रस्तुत किया है। फिल्म में भावनात्मक दृश्यों की थोड़ी कमी लगती है लेकिन बाल्की ने इसके लिए कुछ ख़ास नहीं किया।
कुछ दृश्यों में ये फ़िल्म हंसाती है कहीं रुलाती भी है। फिल्म का नाम ‘पा’ है, लेकिन ऑरो और उसकी माँ के रिश्ते को बेहद खूबसूरती के साथ पेश किया गया है। अभिषेक-अमिताभ के कई दृश्य मजेदार हैं। एक बार पा ज़रूर देखें।
पा
रिलीज़ डेट: दिसम्बर 4, 2009
निर्देशक: आर. बल्कि
निर्माता: अमिताभ बच्चन, सुनील मनचंदा, अभिषेक बच्चन
प्रमुख कलाकार: अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन, विद्या बालन, परेश रावल
11 अगस्त 2017 के दिन रिलीज़ टॉयलेट एक प्रेम कथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरित फ़िल्म थी। दर्शकों ने इस फिल्म को काफी पसंद किया था। टॉयलेट के महत्व का संदेश कॉमेडी और रोमांस में लपेट कर उन्होंने दिया है।
फिल्म में मैसेज के साथ एंटरटेनमेंट का भी ध्यान रखा गया है। अक्षय कुमार ने अपना काम ईमानदारी के साथ किया है। उन्होंने ग्रामीण लहजे और बॉडी लैंग्वेज काफ़ी बढ़िया ढंग से प्रस्तुत किया । भूमि पेडनेकर का अभिनय शानदार है। दृश्य के मुताबिक वे अपने चेहरे पर भाव लाती हैं और सभी पर वे भारी पड़ी हैं ।
टॉयलेट एक प्रेम कथा
रिलीज़ डेट: 11 अगस्त 2017
निर्देशक: श्री नारायण सिंह
निर्माता: अरुणा भाटिया, शीतल भाटिया, एबनडेंटया, वायकॉम 18 मोशन पिक्चर्स, अर्जुन कपूर, हितेश ठक्कर
प्रमुख कलाकार: अक्षय कुमार, भूमि पेडनेकर, दिव्येंदु शर्मा, अनुपम खेर
‘चीनी कम’, ‘पा’, ‘शमिताभ’ और ‘की ऐंड का’ जैसी फ़िल्में देने वाले निर्देशक आर. बाल्की ने महिलाओं के मेंस्ट्रुअल हाइजीन के मुद्दे पर नया हाथ आजमाया। अक्षय कुमार के साथ मिलकर मासिक धर्म को लेकर समाज द्वारा बनाये गए नियमों पर खुलकर चर्चा हुई।
रियल लाइफ हीरो अरुणाचलम मुरुगानन्थम की कहानी पर आधारित फ़िल्म के चुटीले संवाद और लाइट कॉमिक दृश्य फ़िल्म को मज़बूत बनाते हैं।
फिल्म का दूसरा भाग पहले भाग की तुलना में कहीं ज्यादा मजबूत है। बाल्की ने दक्षिण के बजाय मध्यप्रदेश के महेश्वर शहर (महेश्वरी साड़ियों के लिए मशहूर) का बैकड्रॉप रखा है। अक्षय कुमार फ़िल्म का सबसे मजबूत किरदार है। उन्होंने पैडमैन के किरदार के हर रंग को दिल से अदा किया है।
राधिका आप्टे और सोनम कपूर की अदाकारी भी बेहतरीन हैं। फिल्म की सपॉर्टिंग कास्ट भी मजबूत है। फ़िल्म में महानायक अमिताभ बच्चन की एंट्री कमाल की है। पर बेस्ट हिन्दी फिल्मों की इस सूची में हमने इस फिल्म को शामिल इसलिए किया कि महिलाओं के जीवन को लेकर एक अहम मुद्दे पर इस फिल्म ने एक चर्चा शुरू करवा दी।
पैड मैन
रिलीज़ डेट: 9 फ़रवरी 2018
निर्देशक: आर. बल्कि
निर्माता: ट्विंकल खन्ना, एसपीई फिल्म्स भारत, क्रिआर्ज मनोरंजन, केप ऑफ गुड फिल्म्स, होप प्रोडक्शंस
प्रमुख कलाकार: अक्षय कुमार, राधिका आप्टे, सोनम कपूर
खूबसूरत और चमकता चेहरा पाने की ख्वाहिश तो हर किसी की होती है लेकिन चेहरे…
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प्यासा गुरु दत्त की आख़री फ़िल्म नहीं थी ना हीं दो बीघा ज़मीन मीना कुमारी की पहली
शुक्रिया जनाब। हमने दोनों गलतियों को अब सुधार दिया है।
Hum saath saath hain movie best family movie
Bakwaas list h SRK ki koi film nhi.. 3 idiots bhi nhi rakha h.
Sholay ka naam nahi aap ki is list mai
असहमत, आपकी लिस्ट में बहोत सारी जबरदस्त फिल्मो को छोड़ दिया गया है। जैसे कि, शोले, लगान, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, 3 इडियट्स, दंगल, बाहुबली.
और कुछ फिल्में आपने जो इसमें लिए है उससे हम असहमत है।
tolet ek Prem Katha best movie
इस श्रेणी में गाइड मूवी का नाम भी आना चाहिए था, टॉयलेट एक प्रेमकथा से ज्यादा प्रेरक मूवी थी वो.
Kyuki srk ki koi bhi movie iss list me shaamil movies ki barabari ni kr skti..... Na hi 3 idiots
Isme p k v Rakh sakte hai .3 idetes
Black ka name nhi