“होली कब है, कब है होली?” – फिल्म शोले में गब्बर सिंह का यह संवाद शायद हिन्दी फिल्मों के सबसे लोकप्रिय हुए संवादों में सबसे शीर्ष पर होगा। चलिये फिर, गब्बर सिंह के सवाल का जवाब दे देते हैं।
सभी जानकारी कलकत्ता के पंडित ओमप्रकाश पुरोहित के हिन्दू पंचांग के आंकलन और अन्य हिन्दू पंचांग के आधार पर हैं।
१७ मार्च २०१९ (रविवार) – प्रातः ८:१४ से १०:१० के बीच
(प्रातः १०:११ से रात्रि ८:५० का मृत्युलोक की भद्रा है।)
२० मार्च २०१९ (बुधवार) – प्रातः ६:१४ से ९:४२ तक
(प्रातः १०:४४ से रात्रि ८:१५ तक मृत्युलोक की भद्रा है।)
होलिका दहन की रीति भक्त प्रह्लाद को याद कर किया जाता है। जैसे प्रह्लाद ने बुराई का अग्नि में दहन किया था, वैसे ही आप भी अपने मन में आई हर बुराई – चाहे अहम-अहंकार हो, द्वेष या ईर्ष्या हो, अपने मन के गब्बर सिंह की होली इस दिन जलाइए।
हिन्दू धर्म की मान्यता और हिन्दू पंचांग के अनुसार होलिका दहन निर्धारित दिन के प्रदोष काल, यानि सूर्यास्त के पश्चात किया जाना चाहिए।
होलिका दहन का दिन और समय: २० मार्च २०१९ (बुधवार) रात्रि ८:५८ से ११:४३ तक। कुल दो घंटे और ४५ मिनट का मुहूर्त है।
ध्यान रखें कि पूर्णिमा २० मार्च को सांय १०:४४ से शुरू होगी। अगर आप होलिका दहन
रंगों से खेलने वाली होली को छारंडी या धुलंडी या के नाम से भी जाना जाता है।
२१ मार्च २०१९ (गुरुवार) – आप पूरे दिन होली खेल इस पर्व का आनंद उठा सकते हैं।
➡ इस बार खेलिए होली इन मस्त-मस्त होली गीतों के साथ।
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