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होली का हर रंग कुछ कहता है

कहते हैं जीवन में केवल दो रंग यानि सफ़ेद जो खुशी और प्रसन्नता का प्रतीक है और काला जो दुख और परेशानी का प्रतीक हैं, ही महत्व रखते हैं। लेकिन जिंदगी को खुशगवार बनाने के लिए इनके अलावा ही बहुत सारे रंगों की ज़रूरत होती है जो प्रकृति में चारों ओर किसी न किसी रूप में दिखाई ही दे जाते हैं। इसी बात को सार्थक करता हुआ एक त्योहार है जिसे सरल शब्दों में होली कहा जाता है। रंगों के इस त्यौहार पर हर व्यक्ति, अपनी आयु, धर्म और सामाजिक स्तर के भेद को छोड़कर किसी न किसी रंग में रंगा हुआ नज़र आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली का हर रंग कुछ कहता है, तो आइये सुनते हैं ये रंग हमसे क्या कहते हैं:

नीला रंग:

प्रकृति ने ऊंचे-विशाल आसमान से लेकर गहरे और उमगते समुद्र तक नीले रंग की छटा बिखेर रखी है। दरअसल नीला रंग जीवन में गति और जीवन देने वाली शक्ति का प्रतीक है। कहते हैं न कि जल ही जीवन है। इसी तरह नीला रंग भी जीवन में उत्साह, उल्लास और पानी के समान शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। नभ समान विशालता धारण करने वाला नीला रंग सम्बन्धों में प्रेम, विश्वास और कोमलता को भी दर्शाता है।

सफ़ेद रंग:

जीवन और समाज में शांति के प्रतीक के रूप में सफ़ेद रंग का इस्तेमाल किया जाता है। जीवन में पोजिटिविटी लाने के लिए और आधायत्मिक शांति के लिए भी सफ़ेद रंग को प्रयोग किया जाता है। होली के दिन सफ़ेद रंग का प्रयोग किसी भी क्रोधी मन को तुरंत शांत करने में पूरी तरह सफल रहता है।

हरा रंग:

प्रकृति के प्रतीक के रूप में हरे रंग का प्रयोग किया जाता है। चारों ओर फैला हुआ हरा रंग जहां एक ओर बैचेन मन को शांति देता है वहीं पर्यावरण की भी सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। इसलिए प्रकृति की गोद में जाते हैं मन के किसी कोने में बैठा तनाव और चिंता तुरंत गायब हो जाते हैं। यही कारण है कि अस्पतालों में गंभीर स्थानों जैसे ऑपरेशन थियेटर या एमर्जेंसी रूम में डॉक्टर व कर्मचारी हरे रंग के कपड़े पहने दिखाई देते हैं।

लाल रंग:

मानव शरीर में जीवन देने वाले रक्त का रंग लाल होने के साथ ही रोज़ उगते सूरज का रंग भी लाला होता है। हिन्दू धर्म से जुड़ी भक्ति के साथ ही यह रंग शक्ति और स्फूर्ति को देने वाला और प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से लाल रंग शरीर में जीवन के चिन्ह के रूप में रक्त का भी होता है। होली पर इस रंग को प्रेम व सौहार्द की भावना को बढ़ाने के साथ ही मानसिक बल को सुदृढ़ता देने के लिए भी किया जाता है।

पीला रंग:

प्रकृति में पीला रंग सरसों, सूरजमुखी के फूल के रूप में हम अपने आस-पास रोज़ ही देख सकते हैं। इस रूप में यह रंग रोग दूर करने वाला और बैचेनी को खत्म करके मन को शांत करने वाला रंग भी माना जाता है। यौवन और बुद्धिमता के प्रतीक के रूप में पीला रंग स्पष्टवादिता को भी दर्शाता है।

एक रंग का अर्थ चाहे कोई भी हो होली के दिन हर रंग केवल प्यार और सम्मान की भाषा ही बोलता है।

Charu Dev

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