
मुरली-मनोहर, बंसीधर बनवारी,
राधा प्यारी खड़ी तेरे द्वारे,
लिए प्रेम पिचकारी।
नैनन लिए अनुराग गुलाबी,
माथे रचा सुहाग दोआबी,
स्वीकार करो गिरधारी।
नैनन लिए अनुराग गुलाबी,
माथे रचा सुहाग दोआबी,
स्वीकार करो गिरधारी।
कंगन डारे चमक सुनहरी,
खड़ी मुस्काए वृषभानु दुलारी
रंग डारो श्याम-मनोहारी।
रंग गुलाल से रंगा है अंबर
रंग गयी है धरा ये सारी
होली खेलें राधा-मुरारी।
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