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क्या आपकी सास / ननद आपको बात-बात पर टोकती हैं? ऐसे सुलझाएँ इस समस्या को

नब्बे के दशक तक परिवार में जब भी कोई नई बहू आती थी तब एक अलिखित नियम के अंतर्गत वो ससुराल के हर रिश्ते को अपने अंदर आत्मसात कर लेती थी। इसके साथ ही ससुराल के लोग भी नई बहू का स्वागत अधिकतर मन से ही करते थे। लेकिन समय के बदलाव के साथ ही बहू की ओर से यह शिकायत मिलने लगी कि सास और ननद उसके हर काम में रोक-टोक करती हैं।

कभी-कभी तो यह शिकायत वाजिब होती है और कभी यह केवल बहू का भ्रम ही होता है। ऐसी स्थिति में बहू निम्न उपायों से इस समस्या को सुलझा सकती हैं।

1. सम्मान दें और लें:

सास और ननद के व्यवहार को अनदेखा करके अपनी ओर से सम्मान में कमी न आने दें। कहते हैं प्यार का ठंडा पानी हर अग्नि को शांत कर देता है। बहू का दिया हुआ सम्मान सास और ननद को अच्छा व्यवहार करने के लिए बाध्य कर सकता है।

2. अपनी बात खुलकर कहें:

अक्सर देखा गया है कि सास और ननद का बहू के साथ खुली बातचीत का संबंध नहीं होता है। ऐसे में बहू के किसी भी काम को गलत समझ कर व्यवहार में तीखापन आ ही जाता है। इसलिए अधिक टोका-टाकी को रोकने के लिए अपनी सास और ननद के साथ दुराव-छिपाव नहीं, सखियों वाला भाव रखना चाहिए।

3. मायके से तुलना न करें:

बहुत सी लड़कियां शादी के बाद भी मायके के नियम व रीति-रिवाज को ही अच्छा मानकर उन्हें ही निभाने का प्रयास करती हैं। ऐसे में ससुराल पक्ष के लोग इसे अपना अपमान समझ कर बहू के हर काम को गलत मानते हैं। इसलिए बहू को दोनों पक्षों में समन्वय बैठाने कि कला आनी चाहिए।

4. परेशानी को समझें:

ससुराल में अगर सास और ननद आपके काम को नहीं समझती हैं तब उन्हें ठंडे दिमाग और मीठी भाषा में समझाने का प्रयास करें। अगर उन्हें आपके ऑफिस के काम से कुछ परेशानी है तब आप उनकी परेशानी को समझने का प्रयास करें। हो सकता है शांतिपूर्वक हल निकालने से व्यवहार भी शांतिपूर्ण हो जाए।

5. प्रोफेशनल जिंदगी की जानकारी:

आजकल युवतियाँ पारंपरिक नौकरियों के साथ हर प्रकार के काम और क्षेत्र में नौकरी भी कर रही हैं। ऐसे में घर में रहने वाली सास-ननद स्वयं को उपेक्षित समझती हैं। किसी गृहिणी का काम दफ्तर के काम से किसी माने में कम नहीं है। आप उनके कार्यों की सराहना करें और उनके लिए काम को अहमियत देते हुए उन्हें भी पूर्ण सम्मान दें। ऐसे में दोनों ही पक्ष आपस में एक दूसरे को समझ सकते हैं।

ससुराल में आने के बाद पहले वहाँ के वातावरण को समझ कर उसके अनुसार काम करना ही अच्छा रहता है। उसके बाद अगर जरूरत समझें, तब धीरे-धीरे से ही बदलाव की हवा लाने की कोशिश करें।

Charu Dev

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