बम-बम भोले और ॐ नमः शिवाय की ध्वनि से गूँजती है शिव की नगरी। सावन के महीने की बात ही कुछ ऐसी होती है कि सभी श्रद्धालु शिव की भक्ति में लीन रहते हैं। सावन के महीने में वे शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा पर निकल जाते हैं। अगर आप ज्योतिर्लिंगों की यात्रा नहीं भी कर पा रही हैं, तो आप सावन सोमवार व्रत रखकर शिवजी को प्रसन्न कर सकते हैं।
सावन के सोमवार का व्रत रखने वालों से भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
इस व्रत को कुछ लोग सावन मास के हर सोमवार को करते हैं, और कुछ केवल पहले और आखरी सोमवार का व्रत रखते हैं। दोनों ही बेहद फलदायी होते हैं।
• कुँवारी कन्याएँ सावन व्रत रखतीं हैं, तो उन्हें आदर्श पति की प्राप्ति होती है।
• विवाहित महिलाएं यह व्रत करती हैं, तो उन्हें दीर्घायु प्राप्त होती है। साथ ही, उनके पति और संतान को हर तरह के सुख की प्राप्ती होती है।
• पति–पत्नी अगर साथ में यह व्रत रखते हैं, तो उनका वैवाहिक जीवन सुखी रहता है।
➡ सोलह सोमवार का व्रत क्यों किया जाता है?
सावन सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा दिन के तीसरे पहर तक की जा सकती है।
सुबह सूर्योदय के बाद स्नान कर भगवान शिव की पूजा करने के लिए नंगे पाँव घर से नज़दीकि शिवलिंग की ओर निकल जाएँ। अगर आपके घर में शिवलिंग, मूर्ति या चित्र है तो उसकी भी श्रद्धा मन से “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते हुए पूजा करें। ॐ नमः शिवाय का जाप 108 या 1008 बार करना शुभ और अत्यंत लाभदायक है।
आप बेलपत्र, श्वेत फूल, चन्दन, जल, फल, भांग दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों का तेल, काले तिल, पंचामृत, सुपारी और गंगाजल को ज़रूर शामिल करें।
➡ शिवलिंग पर बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है?
तुलसी, हल्दी, कुमकुम, नारियल को न शामिल करें।
ईख के रस से लक्ष्मी की प्राप्ति, मधु और घी से धन की प्राप्ति, दूध से पुत्र प्राप्ति, जल की धारा से शांति, एक हजार मंत्रों के साथ घी की धारा से वंश की वृद्धि और केवल दूध की धारा से अभिषेक करने से हर मनोकामना की पूर्ति होती है; सरसों या तिल के तेल से शिव अभिषेक करने से शत्रु का नाश होता है। पूजा के बाद सोमवार के व्रत की कथा पढ़ना या सुनना आवश्यक होता है।
अभिषेक करते वक़्त आप महा मृत्युंजय जाप भी कर सकती हैं।
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !!
सुबह की पूजा के बाद आप फलहार, शरबत, फल, सुखी भुनी मूँगफलियाँ, चाय, नारियल पानी, मखाने, सिंगारे का हलवा, तीखुर, साबुदाना, चुकुंदर, कद्दू की खीर, इत्यादि का सावन कर सकते हैं।
सांध्य बेला में स्नान कर स्वछ कपड़े पहन कर शिव-पार्वती की आरती ज़रूर करें।
अमूमन, लोग सूर्यास्त के बाद सेंधा नमक से बना भोजन का ग्रहण करते हैं, कुछ केवल फलहार करते हैं, या निर्जला व्रत रखते हैं।
पर ध्यान रखें – सूर्यास्त के बाद ही आप सेंधा नमक से बने भोजन का ग्रहण कर सकती हैं। भोजन करने से पूर्व भगवान को भोग चढ़ाएँ, और भगवान से हाथ जोड़ कर प्रार्थना करें कि “मैंने यह उपवास किया है। मैं आशा करती हूँ कि मेरा आज का यह उपवास सफल होगा। मुझसे अगर उपवास में कोई क्रूटि हुई हो, तो मुझे क्षमा करें और मुझे सदबुद्धि प्रदान करें।”
• उपवास के दिन बाहर खाने से बरतें सख़्त दूरी।
• अनाज का सेवन न करें।
• ज़मीन पर आसान लगा कर रात के भोजन का सेवन करें; एक ही बैठक में सम्पूर्ण फलहार खत्म करें, तभी व्रत का फल आपको प्राप्त होगा।
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