जब से प्रधानमंत्रीजी का स्वच्छ भारत अभियान का नारा बुलंद हुआ है, सबका ध्यान अब तक अनजानी जगह ‘शौचालय’ की ओर चला गया है। गाँव से लेकर शहर और छोटे मकानों से लेकर ऊंची-ऊंची अट्टालिकाओं तक, सभी घर में शौचालय बनवाने के समय वास्तु नियमों को देखने लगे हैं।
अभी तक अपना आशियाना बनवाते समय अधिकतर लोग स्नानघर और शौचालय अपनी सुविधा के अनुसार बनवा लेते थे। लेकिन अब घर के हर कोने को वास्तु के नियम के अनुसार बनवाने की कोशिश करी जा रही है। तो क्या आप जानते हैं कि शौचालय को किस दिशा में होना चाहिए?
भारत में स्वतन्त्रता के कुछ समय बाद तक शौचालय का निर्माण घर के बाहरी हिस्से में किया जाता था। इस संबंध में बड़े-बुज़ुर्गों का तर्क था कि मल-मूत्र त्यागने का कार्य घर से बाहर होना चाहिए, क्योंकि घर में पूजा व तुलसी का वास होता है। लेकिन स्थान की कमी के कारण न केवल शौचालय घर के अंदर बल्कि अब तो कमरे के अंदर ही बनने लगे हैं।
दूसरी ओर बदलती जीवनशैली के कारण तेज़ी से बढ़ते हुए तनाव को दूर करने के लिए लोग वास्तुशास्त्र का सहारा ले रहे हैं। वास्तु के नियमों के अनुसार दक्षिण-पश्चिम दिशा को अशुद्धि विसर्जन के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस नियम के अनुसार शौचालय को घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा के मध्य में बनवाना हर तरह से लाभकारी माना जाता है।
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शौचालय का काम जीवन से बेकार और अपवित्र चीजों को बाहर निकालना होता है। इसी प्रकार दक्षिण-पश्चिम दिशा को विसर्जन के लिए पूरी तरह उपयुक्त माना जाता है। इसलिए इस दिशा में शौचालय का निर्माण करने से व्यक्ति के जीवन से हर उस चीज़ को विसर्जन हो जाता है जो व्यक्ति की जिंदगी में बेकार या कष्टक्कारी होता है।
इस नियम को ध्यान में रखते हुए शौचालय का निर्माण उस दिशा में करना चाहिए जिससे खराब ऊर्जा वाला क्षेत्र माना जाता हो और जहां से सकारात्मक ऊर्जा का संचार न होता हो। इस संबंध में प्रसिद्ध ग्रंथकार विश्वकर्मा का मानना है कि दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिशा के मध्य यानि पुरीष कोण पर मल-त्याग के स्थान का निर्माण अत्यंत शुभकारी होता है।
1. वैवाहिक एवं अन्य पारिवारिक सम्बन्धों में मनमुटाव व कलह उत्पन्न होने की संभावना
2. व्यवसाय व नौकरी व पेशे से संबन्धित कामों में हानि होने की आशंका
3. पारिवार के सदस्यों का रोग से हमेशा घिरे रहने की प्रवृति
4. गलत दिशा में शौचालय बनने से गृह स्वामी के व्यक्तित्व में आत्मविश्वास की कमी और शारीरिक स्वस्थ्य में कमी दिखाई दे सकती है
घर में जब भी शौचालय का निर्माण करवाने का समय शौचालय में लगने वाले उपकरणों के साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि वहाँ से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह न हो रहा हो। ऐसा होने पर इसका प्रभाव घर कि समृद्धि और घर में रहने वाले निवासियों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव होता है।
अंत में आपको यही सुझाव दे सकते हैं कि शौचालय के निर्माण के समय वास्तुज्ञाता का परामर्श अवश्य लेना चाहिए।
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