सभी जानते है, कि लौंग का इस्तेमाल खाने में व माउथ फ्रेशनर के तौर पर किया जाता है। लेकिन इसके साथ-साथ लौंग में आरोग्यवर्धक गुणों का भंडार भी छिपा हुआ है, जिसके बारे में शायद कम ही लोग जानते हो। आयुर्वेद में, लौंग को एक महत्वपूर्ण औषधी माना गया है। तो चलिये, बात करते है लौंग के कुछ गज़ब के गुणों के बारे में।
1. बहु पोषक तत्वों से युक्त लौंग पाचन तंत्र को दुरूस्त रखने में सहायक होती है, इसके सेवन से पाचन क्रिया को नियंत्रित करने वाले एंजाइम्स का स्राव ठीक ढंग से होता है और अपच व अरूचि जैसी समस्या से भी निजात मिलती है।
2. एंटीऑक्सीडेंट व हिपैटोप्रोटेक्टिव गुणों के कारण यह शरीर के विभिन्न अंगों को फ्री रेडिकल्स से बचाने व मेटाबोलिज्म रेट को बढ़ाकर शरीर को स्वस्थ रहने में मदद करती है।
3. लौंग में मौजूद फेनोलिक कंपाउण्ड हड्डियों को मजबूती प्रदान करने में, उनकी घनत्वता व आवश्यक खनिज तत्वों की मात्रा को बरकरार रखने में मदद करते है।
4. लौंग के उपयोग से शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है और शरीर में सफ़ेद रक्त कणों की संख्या में इज़ाफ़ा होता है।
5. मुँह से दुर्गंध आने की समस्या को दूर करने के लिए लौंग का सेवन किया जा सकता है। इससे स्राव होने वाले एंजाइम्स बदबू पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म कर देते हैं।
6. आज की दौड़-भाग वाली जीवन-शैली में तनावरहित रहने के लिए लौंग का सेवन किया जा सकता है। यह मस्तिष्क व शरीर को रिलेक्स कर नयी ऊर्जा प्रदान करने का भी काम करती है।
7. लौंग त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने में भी सहायक होती है, इसके इस्तेमाल से कील-मुहासों के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद मिलती है, इसलिए कई प्रकार के फेस पैक, मसाज क्रीम व अन्य ब्यूटी प्रोडक्टों में लौंग का उपयोग किया जाता है।
8. मोर्निंग सिकनेस को ठीक करने के लिए लौंग का इस्तेमाल किया जाता है, यह समस्या ख़ासतौर पर गर्भवती महिलाओं को होती है, जिसमें सुबह-सुबह अरूचि व उल्टी होने लगती है ।
9. बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों में दर्द व सूजन की परेशानी आम बात हो जाती है, इससे निजात पाने के लिए लौंग का उपयोग किया जा सकता है। लौंग में प्राकृतिक प्रज्वलनरोधी क्षमता होती है, जो इस दर्द व सूजन से आराम दिलाने का काम करती है।
10. हाल ही में हुए कई शोधों व अध्ययनों से यह पता चला है कि अगर किसी भी प्रकार से लौंग का नियमित सेवन किया जाएं, तो यह कॉलेस्ट्राल स्तर को नियंत्रित कर हदय संबंधी रोगों से बचाने में सहायता प्रदान करती है।
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