महाशिवरात्रि का महापर्व अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार इस वर्ष 11 मार्च 2020 को मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि को हिन्दुओं का एक प्रमुख धार्मिक त्यौहार माना जाता है। भगवान शिव का यह प्रमुख त्यौहार है, जो फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है।
अगर पौराणिक कथाओं की मानें तो इसी दिन सृष्टि का उदय अग्निलिंग के रूप में हुआ था जो महादेव का विशालकाय रूप भी माना गया है। इसके साथ साथ आज ही के दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ संपन्न हुआ था।
दोस्तों, एक वर्ष में 12 बार शिवरात्रि पड़ती है पर उसमें से महाशिवरात्रि का पर्व सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है।
सिर्फ़ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में महाशिवरात्रि का ये त्यौहार बहुत ही उत्साह व उल्लास के साथ मनाया जाता है। लोग अपने-अपने घरों व समीप स्थित मंदिरों में पूजा पाठ के साथ साथ व्रत विधान भी करते हैं। आज आपको हम शिव शंकर के महाशिवरात्रि व्रत और पूजा पाठ की संपूर्ण जनकारी देने वाले हैं।
भारतीय पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि महाशिवरात्रि के दिन मध्यरात्रि में भगवान शिवलिंग के रूप में उत्पन्न हुए थे। पहली बार शिवलिंग की पूजा पाठ भगवान विष्णु और ब्रह्माजी ने की थी इसीलिए महाशिवरात्रि को भगवान शिव जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
हिन्दू शास्त्रों व पुराणों के हिसाब से देवी लक्ष्मी, इन्द्राणी, माँ सरस्वती, देवी गायत्री, सावित्री, माता सीता, देवी पार्वती और रति ने भी शिवरात्रि का व्रत किया था।
महाशिवरात्रि वाले दिन भगवान भोलेनाथ यानि शिवजी की पूजा की जाती है। वैसे तो ये पूजा दिन के समय की जाती है पर प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद भी कुछ लोग विशेष पूजा करते हैं यानि रात और दिन के बीच की गयी पूजा महत्वपूर्ण मानी जाती है। शिवरात्रि के दिन अगर शाम को पूजा करते हैं तो इससे भगवान शिव बहुत जल्दी खुश हो जाते हैं। इसके अलावा लोग रात भर जागरण भी करते हैं अर्थात जो लोग रात के चारों प्रहर पूजा करते हैं, उनसे शिवजी बहुत जल्दी खुश हो जाते हैं।
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करने से सारे पाप कट जाते हैं। आइए जानते हैं कैसे करें महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा:
- सबसे पहले जो लोग व्रत रख रहे हैं वो लोग दिन में लगातार भगवान शिव के मंत्र – ऊं नम: शिवाय का जाप करते रहें और अपने शारीरिक क्षमता के हिसाब से व्रत रखें।
- पूरे दिन व्रत रखकर आप घर में चाहें तो एक बार पूजा कर सकते हैं लेकिन पुराणों के अनुसार रात्रि के चारों प्रहर में शिव पूजन करना काफ़ी लाभदायक माना जाता है।
- सुबह नहा धोकर स्वच्छ कपड़े धारण करके नज़दीक शिव मंदिर में जाकर या अपने घर पर ही पूर्व या उत्तर दिशा की ओर बैठकर पूजन करें।
- सबसे पहले दूध, दही, घी, शहद और शक्कर सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत बनाएं और शिवलिंग को स्नान करवाएं व जल से अभिषेक करें। पूजा करते हुए शिवपंचाक्षर मंत्र यानी ऊं नम: शिवाय का जाप भी करें।
- पूजन करने के लिए फल, फूल, चंदन, बिल्व पत्र, धतूरा, धूप व दीप हल्दी अक्षत मिठाई के साथ भगवान शिवजी व पार्वती की पूजा करें व भोग भी लगायें।
- पूजा के दौरान आप शिव के इन नामों का उच्चारण भी करें – भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान। इन आठ नामों का जाप कर भगवान शिव को पुष्प अर्पित कर भगवान शिव की आरती और परिक्रमा करें।
- अगले दिन 22 फरवरी को सुबह-सुबह शुद्ध व स्वच्छ होकर भगवान शंकर की पूजा करने के बाद व्रत का समापन कर दें।
- भगवान शिव की पूजा से जुड़ी एक कहानी काफी प्रचलित है शिव पुराण के मुताबिक इस दिन एक शिकारी जंगल में शिकार करने गया और वहाँ शिकार करने के दौरान अचानक ही उसने शिवलिंग पर बिल्वपत्र और जल चढ़ा दिया था
जिससे भगवान प्रसन्न हो गए थे। इसी कहानी के आधार पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर जल और बिल्वपत्र चढ़ाने की प्रथा है। वैसे तो भगवान शिव बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देव हैं, बहुत भोले हैं पर पूजा के अंत में उनसे अपनी ग़लतियों की क्षमा ज़रूर मांग लें और ‘ॐ नमः शिवायः’ मंत्र का जाप ज़रूर करें।
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