मकर संक्रांति का पर्व सनातन हिंदू धार्मिक परंपरा के अनुसार एक अहम पावन त्योहार है। इस वर्ष यह पर्व 14 जनवरी 2020 को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण में आता है। दूसरी राशि में प्रवेश करने की विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार यह उत्सव सकारात्मक ऊर्जा का परिचायक है। अतः इस दिन दान, स्नान, जप और तप का खास महत्व है।
जयपुर स्थित ज्योतिष परिषद एव शोध संस्थान निर्देशक ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार इस दिन प्रातः काल स्नान कर एक लोटे में लाल फूल और अक्षत डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें। श्रीमद्भागवत के 1 अध्याय का पाठ करें अथवा गीता का पाठ करें। कंबल, घी, तिल, गुड़, नमक और नए अन्न का दान करें। भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनाएं। तदुपरांत भगवान को भोजन समर्पित करके प्रसाद रूप में ग्रहण करें । संध्याकाल में अन्न का सेवन न करें।
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार इस दिन दान पुण्य का श्रेष्ठतम मुहूर्त सुबह 8:15 से पूरे दिन रहेगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस त्योहार पर शुभ मुहूर्त में पवित्र नदी या जल कुंड में स्नान, दान पुण्य, अनुष्ठान आदि करने से व्यक्ति को सामान्य से हज़ार गुना पुण्य की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों में बताया गया है कि मकर संक्रांति के दिन शुरुआती 6 घंटों में किए गए दान पुण्य का विशेष महत्व होता है। पंडित जी के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता की कृपा पाने के लिए निम्न चीजों का दान करें।
शास्त्रों के अनुसार इस पवित्र दिन गुड़ और तिल का दान करना चाहिए।
इससे कुंडली में सूर्य एवं शनि की स्थिति को मजबूती मिलती है। सामाजिक मान प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है एवं मन वांछित परिणाम मिलते हैं ।
शनि से जुड़ी हर पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए मकर संक्रांति के दिन तिलों को किसी तांबे के बर्तन में भरकर बर्तन समेत किसी निर्धन जरूरतमंद को दान करें। इससे आपकी कुंडली में शनि का दोष मिटेगा और समस्याएं सुलझ जाएंगी।
मकर संक्रांति के दिन घी का दान करने से शुभ परिणाम मिलते हैं। आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं। घर में देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन नमक का दान करने से व्यक्ति का बुरा वक्त समाप्त होता है।
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी के दान से घर में सुख शांति का वास होता है, जीवन सुखी होता है और स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इस दिन अदाज का दान करने से सदैव माता अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है।
मकर संक्रांति के दिन नूतन वस्त्रों का दान शुभ फलदाई होता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि पुरुष एवं महिलाओं को मकर संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त में अपनी जन्म राशि के अनुरूप निम्न चीजों का दान करना चाहिए।
इस राशि के जातकों को मकर संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त में गुड़ और तिल का दान करना चाहिए।
इस राशि के जातक मकर संक्रांति के दिन सफेद तिल और सफेद कपड़ा दान करें, इससे लाभ के योग बनते हैं।
इस राशि वाले जातक मकर संक्रांति के दिन चावल, मूंग दाल का दान कर सकते हैं. इससे जीवन में लाभ होगा।
कर्क राशि के जातकों को मकर संक्रांति के दिन सफेद कपड़े और चावल का दान करना चाहिए।
इस राशि के जातकों को मकर संक्रांति के दिन सोने या तांबे की चीजें दान करनी चाहिए।
कन्या राशि के जातकों को मकर संक्रांति के दिन हरे कपड़े और हरी मूंग दाल दान करनी चाहिए।
अगर आपकी राशि तुला है तो आपको कंबल या चीनी दान करनी चाहिए।
इस राशि के जातकों को काला तिल और लाल कपड़ा दान करना चाहिए।
धनु एवं मीन राशि के जातक गुड़, तिल, चावल का दान कर सकते हैं।
मकर एवं कुम्भ राशि के जातकों को मकर संक्रांति के दिन चावल, गुड और तिल का दान करना चाहिए।
देवी पुराण एवं श्रीमद्भागवत के अनुसार शनि देव के अपने पिता सूर्य देवता से मतभेद थे क्योंकि उन्होंने उन्हें अपनी माता छाया एवं सौतेली मां संज्ञा के पुत्र यमराज के मध्य भेदभाव बरतते देख लिया था। परिणाम स्वरूप सूर्य भगवान गुस्सा हो गए एवं क्रोधवश उन्होंने अपने पुत्र शनि को अपने से अलग कर दिया। इससे रुष्ट हो कर शनिदेव और उनकी माता छाया ने भगवान सूर्य को कुष्ठ रोग से ग्रस्त होने का श्राप दे दिया और सूर्यदेव इस घातक रोग से ग्रस्त हो गए।
पिता को इस व्याधि से पीड़ित देख यमराज बेहद संताप ग्रस्त और दुखी हो गए। उन्होंने अपने पिता को कुष्ठ रोग से मुक्ति दिलाने के लिए घोर साधना की परंतु सूर्यदेव ने कुपित होकर शनिदेव के घर कुंभ (शनि की राशि) को जला दिया।
इसके फलस्वरूप शनि और उनकी माता छाया को असीम दुःखों का सामना करना पड़ा। यमराज ने अपनी विमाता और भाई शनिदेव को कष्ट भोगता देख उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को बहुत समझाया बुझाया। इसके उपरांत ही सूर्य भगवान शनि के निवास स्थान कुंभ में पहुंचे।
कुम्भ राशि में सब कुछ जल चुका था। उस समय शनि देवता के पास तिल के अतिरिक्त और कुछ नहीं बचा था। अतः उन्होंने काले तिलों से सूर्य देवता की पूजा अर्चना की।
शनि की उपासना से प्रसन्न एवं संतुष्ट होकर सूर्य भगवान ने शनिदेव को आशीर्वाद दिया कि शनि का द्वितीय घर यानि मकर राशि उनके आगमन से धन-धान्य संपन्नता से भर जाएगी। तिलों की वजह से ही शनि देव के जीवन में खोई संपन्नता समृद्धि वापस मिली। इस कारण तिल शनिदेव को अति प्रिय हैं।
इस प्रकार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता एवं शनि देवता की तिल से पूजा का विधान प्रारंभ हुआ।
संक्रांति से जुड़ी एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर फेंका था, लिहाजा भगवान की विजय को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है।
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बहुत ही बढिया और बिल्कुल सही कहा