भारत देश की इस पवित्र भूमि पर कई महान ज्ञानी ज्योतिषाचार्यों ने जन्म लिया है, जिनकी विलक्षण बुद्धिमता और ज्ञान के रहस्यों ने दुनियाभर में बहुत नाम कमाया है| इन्हीं महान ज्योतिषियों के कारण देश ने कई भविष्कालीन संकटों का पूर्वानुमान लगाकर उनका निदान पाया है| ऐसे ही 10 महान सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषियों के बारे में इस आर्टिकल में आपको बताया गया है|
प्रथम गणितज्ञ और ज्योतिष विद्या के ज्ञाता महान आर्यभट्ट ने अपने आविष्कारों में सूर्य और चंद्र ग्रहण, दिन व रात, पृथ्वी का घूमना, सूर्य व तारों का स्थिर रहना और कई गणितीय तथ्यों का अविष्कार ज्योतिष विद्या के माध्यम से किया है| इनके सबसे प्राचीन ग्रंथ आर्यभटीय-तंत्र में दशगीतिका, गणित, कालक्रिया तथा गोल नाम वाले चार पाद है|
ज्योतिष शास्त्र को सिद्धांत, संहिता और होरा के रूप में प्रकट करने वाले सर्वप्रथम आचार्य वराहमिहिर ने तीन स्कन्धों के निरूपण के लिए तीन ग्रंथों की रचना की- पंचसिद्धांतिका, बृहत्संहिता, बृहज्जातक| इन्होने फलित शास्त्र के सर्वाधिक प्रौढ़ तथा प्रामाणिक ग्रंथ बृहज्जातक को विज्ञानं की विलक्षणता प्रदान की है| इसके अतिरिक्त इन्होने अन्य 13 प्रसिद्ध ग्रंथों की रचना की है|
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य वराहमिहिर के पुत्र पृथुयश ने ज्योतिष के सात अध्याय वाले प्रसिद्ध ग्रन्थ “षट्पंचाशिका” की रचना की|
होराशास्त्र के अत्यंत प्रमाणिक और प्रमुख ग्रंथ “सारावली” के रचियता कल्याण वर्मा गुजरात के रहने वाले है| इस ग्रंथ में कुल 42 अध्याय है|
सिद्धांत स्कंध के प्रसिद्ध ज्योतिष ग्रंथ “शिष्यधीवृद्धितंत्र” के रचियता तथा रत्नकोष (संहिता ज्योतिष) और जातकसार (होरास्कंध) आदि ग्रंथों के प्रणयता लल्लाचार्य गणित, जातक और संहिता के ज्ञाता थे| शिष्यधीवृद्धितंत्र में दो प्रकरण गणिताध्याय और गोलाध्याय प्रधान रूप से विध्यमानहै| इनके गणिताध्याय में अनेक अधिकार (प्रकरण) है|
भास्कराचार्य, महाभास्करीय तथा लघुभास्करीय जैसे प्रसिद्ध ग्रंथों के रचियता ज्योतिषाचार्य रहे है| इन्होने “आर्यभटीय” की भी व्याख्या की है|
ब्रह्मसिद्धांत के विस्तारक गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त ने ब्राह्मस्फुटसिद्धांत तथा खंडखाद्य नामक ग्रंथों की रचना की| इनके तीन आचार्य आर्यभट्ट, वराहमिहिर और ब्रह्मगुप्त के नाम पर इन्होने तीन गणितीय सिद्धांत आर्य, सौर और ब्रह्म दिए|
प्रसिद्द ज्योतिर्विद श्रीधराचार्य ने त्रिशतिका (पाटी गणित), बीजगणित, जातक पद्धति तथा रत्नमाला आदि अनेक ग्रंथों की रचना की|
ज्योतिषाचार्यवित्तेश्वर ने आर्यभट्ट के सिद्धांतों को आधार मानकर प्रसिद्ध “करणसार” नामक ग्रंथ की रचना की|
आदरणीय मुंजाल का रोचक और सुगम शैली का लघुमानस करण ग्रंथ आठ प्रकरणों मध्याधिकार, स्पष्टाधिकार आदि में विभाजित है| ज्योतिष जगत के ज्ञाता भारद्वाजगोत्रीय मुंजाल गणित विषय से सम्बन्ध रखते थे|
इन्हीं प्रसिद्ध गणितज्ञ और भविष्यवक्ता ज्योतिषाचार्यों के अनन्य आविष्कारों के कारण ही हमारा देश अन्य देशों की अपेक्षा उच्चतम शिखर पर है| इनका भारत देश में जन्म लेना हमारे लिए सौभाग्य और गर्व की बात है| इनके द्वारा रचित ग्रंथों को आधार मानकर ही आज हमारा देश प्रगति के पथ पर अग्रसर हुआ है|
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