ब्रह्म मुहूर्त क्या होता है ?
हम सनातन धर्मी हिंदू कोई भी शुभ कार्य करने से पहले शुभ मुहूर्त अवश्य देखते हैं। विवाह हो अथवा मकान की नींव भराई, नूतन गृह प्रवेश हो अथवा नामकरण संस्कार, हर शुभ कार्य किसी शुभ मुहूर्त में ही किया जाता है। वास्तविकता में इसके पीछे यह सोच है कि कोई भी कार्य शुभ मुहूर्त में करने से ही सफल होता है। तो आइए पहले जानते हैं मुहूर्त के विषय में।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दिन के 24 घंटों में कुल 30 मुहूर्त होते हैं, अर्थात हम कह सकते हैं कि दिन रात का 30 वां हिस्सा मुहूर्त कहलाता है। इस प्रकार 48 मिनट का कालखंड एक मुहूर्त होता है। तो आइए अब जानते हैं ब्रह्म मुहूर्त के विषय में।
ब्रह्म मुहूर्त कब होता है?
ब्रह्म मुहूर्त सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटे पहले का वह स्वर्णिम काल है जो विभिन्न आध्यात्मिक एवं धार्मिक क्रियाओं जैसे ध्यान, चिंतन, योग, प्राणायाम, प्रार्थना, अध्ययन आदि के लिए सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता है।
ब्रह्म मुहूर्त 48 मिनट का वह शुभ काल है, जो सूर्योदय से ठीक 1 घंटा 36 मिनट पहले प्रारंभ होता है, और सूर्योदय से 48 मिनट पूर्व समाप्त होता है। ऋतु अनुसार यह समय 4:04 से 5:12 के मध्य का हो सकता है। वर्ष और भौगोलिक स्थिति के समय के आधार पर सूर्योदय का समय हर दिन परिवर्तित होता रहता है और इसी के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त का सही समय भी परिवर्तित होता रहता है।
ब्रह्म मुहूर्त की गणना कैसे करें?
आप अपने निवास स्थान के ब्रह्म मुहूर्त की गणना करने के लिए सबसे पहले अपने शहर के सूर्योदय के सही समय का पता लगाएं। उसके उपरांत उसमें से 1 घंटा 36 मिनट की अवधि घटा दें। ध्यान रखें, सूर्योदय का समय प्रत्येक दिन बदलता है।
ब्रह्म मुहूर्त का महत्व:
हमारे संत मुनियों के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त का खास महत्व है। उनके कथनानुसार यह काल निद्रा त्याग के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से विद्या, शक्ति, सौंदर्य, स्वास्थ्य एवं बुद्धि की प्राप्ति होती है। इस अवधि में निद्रामग्न होना शास्त्रों द्वारा निषेध किया गया है।
ब्रह्म मुहूर्त में पशु पक्षी जग जाते हैं। पंछी मधुर कलरव आरंभ कर देते हैं। पुष्प खिल जाते हैं। मुर्गे अपनी बांग देना शुरू कर देते हैं। इस प्रकार प्रकृति भी ब्रह्म मुहूर्त में चैतन्य हो हमें जागने का संदेश देती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी ब्रह्म मुहूर्त में जागने का विशेष महत्व है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ योग एंड एलाइड साइंसेज के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त की अवधि में वातावरण में नवजात ऑक्सीजन की अधिकता होती है। यह नवजात ऑक्सीजन सहजता से हीमोग्लोबिन के साथ जुड़कर ऑक्सिहीमोग्लोबिन का निर्माण करता है, जिससे हमें निम्न स्वास्थ्य लाभ होते हैं:
- शरीर के ऊर्जा के स्तर में बढ़वार होती है।
- रक्त पी-एच संतुलित रहता है।
- खराश, दर्द एवं ऐंठन में आराम पहुंचता है।
- शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सशक्त बनती है।
- खनिज तत्व एवं विभिन्न विटामिन का अवशोषण बेहतर होता है।
ब्रह्म मुहूर्त में क्या करें, क्या न करें?
हमारे हिंदू धर्म ग्रंथ, धर्मशास्त्र एवं अष्टांग हृदय जैसे प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ ब्रह्म मुहूर्त में निम्न गतिविधियां करने का परामर्श देते हैं:
ध्यान करें:
ध्यान स्वयं से साक्षात्कार करने का बेहतरीन जरिया है। ब्रह्म मुहूर्त में हमारी सजगता सर्वोच्च स्तर पर रहती है। अतः इस स्थिति में पूरी दत्तचित्तता से किया गया ध्यान आत्मिक शुद्धि में मददगार होता है।
आत्म निरीक्षण करें:
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर उन क्षणों के विषय में सोचें जब आपने क्रोध, ईर्ष्या, लालच जैसी गलत प्रवृत्तियों के अधीन होकर गलत काम किए। ऐसे पलों के बारे में सोच कर अपराधभाव से न भरें, वरन मात्र उस समय को याद करें जब आपने गलत प्रवृत्ति को अपने ऊपर हावी होने दिया।
इस प्रक्रिया से इन प्रवृत्तियों को महत्व देने की आपकी आदत में शनै: शनै: कमी आएगी और परिणाम स्वरूप आप बुरे कर्मों से विमुख होने लगेंगे।
भविष्य के लिए योजना बनाएं:
पूरे दिन में मात्र ब्रह्म मुहूर्त का समय वह समय होता है, जब हमारी जागरूकता और चैतन्यता शिखर पर होती है। हम तरोताजा होते हैं। अतः इस अवधि में जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं यथा वित्त, व्यवसाय, शिक्षा आदि के विषय में भविष्य की योजनाएं बनाने की आदत डालें।
अपने माता पिता गुरु एवं परमपिता परमात्मा का स्मरण करें:
रोजमर्रा की आपाधापी भरी जिंदगी में अमूमन हम अपने माता, पिता, गुरु, एवं ईश्वर को याद करना भूल जाते हैं। ब्रह्म मुहूर्त अपने जीवन में आए इन विशिष्ट व्यक्तित्वों एवं ईश्वरीय सत्ता को याद करने का उपयुक्त समय है।
ज्ञानार्जन करें:
हमारे प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ, अष्टांग हृदय के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित करने का सबसे उपयुक्त समय होता है।
पूजा पाठ करें:
यदि आप धर्म में आस्था रखते हैं तो ब्रह्म मुहूर्त का समय पूजा पाठ के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
अध्ययन करें:
छात्रों के अध्ययन के लिए ब्रह्म मुहूर्त से बेहतर कोई समय नहीं। इस समय शांत वातावरण, ताजी हवा एवं शांत मनोमस्तिष्क से अध्ययन करना बेहद प्रभावी होता है।
योग, व्यायाम करें:
आयुर्वेद के अनुसार इस काल में उठकर योग अथवा व्यायाम करने से शरीर में संजीवनी शक्ति प्रवाहित होती है। इस वक्त बहने वाली वायु पूरी तरह से प्रदूषण रहित होती है। अतः इस वायु को अमृत सदृश माना जाता है।
ब्रह्म मुहूर्त में क्या न करें:
- ब्रह्म मुहूर्त में अपने ऊपर किसी भी प्रकार की नकारात्मकता को हावी न होने दें। इस अवधि में बहस, तनाव, मतभेद को बढ़ावा न दें।
- इस समय भोजन, मादक पदार्थों का सेवन, यात्रा आदि को वर्जित माना गया है।
- कोई ऐसा कार्य करने से बचें जिसमें अत्यधिक मानसिक श्रम की आवश्यकता होती है।
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