
“आप, अगले महीने की दस तारीख को आ रहे हैं न “ कानों में मधुर घंटियाँ तो बजीं साथ ही दिमाग ने खतरे की घंटी भी बजा दी।
“ हाँ-हाँ क्यूँ नहीं आऊँगा” आवाज़ में शाहजहाँ वाला प्यार घोलते हुए लगभग एक माह से गई श्रीमति जी को कहा। “ यही तो दिन है जब मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए “ अच्छा सुनो, श्रीमति जी को आगे बोलने का मौका दिये बगैर मोबाइल पर बोला, ये मोबाइल की बैटरी खत्म हो रही है, इसलिए इसे चार्ज करते ही तुमसे बात करता हूँ” और फोन को नीचे ऐसे रख दिया मानों अगले ही पल ये बम की तरह फटने वाला हो।
आपको लगता होगा, कि यह तो पति-पत्नी के बीच होने वाली एक साधारण बात है, तो फिर इसको किस्सागो बनाने का फितूर दिमाग में क्यूँ आया।
तो साहेबान , अगले महीने की दस तारीख क्या है, आप सबको पता है, अरे हाँ भई होली का त्योहार है
हाँ भई, तो इसमें परेशानी क्या है।
परेशानी यह है साहब, कि हमने फिल्मों में देखा है कि किस तरह से छोटी-बड़ी सालियें और पास-पड़ोस कि भावजें होली के नाम पर नए जंवाई की क्या-क्या गत बनाती हैं।
अब हमारी अभी नयी-नयी शादी हुई है और हम अपनी नवेली पत्नी के साथ होली मनाना चाहते थे,लेकिन पहले ही सासु जी का सन्देस आ गया। एक बार आदमी बॉस के ऑर्डर को मना कर सकता है लेकिन सास की बात हो या सास की बेटी की बात, मजाल है जो दरकिनार कर दिया जाये। तो साहब लब्बे-लुबाब यह है कि हमारी श्रीमति जी हापुड़ जिले के एक शहर में अपने पीहर होली के लिए गई हैं और हमें भी बुलाया है।
खैर, मना करने का तो कोई ऑप्शन ही नहीं था, इसलिए बस पकड़ी और हापुड़ बस स्टेंड पर मुंह अंधेरे उतर गए। बस मन ही मन खुश हो रहे थे कि ससुराल वाले और श्रीमति जी इस सरप्राइज़ से खुश होकर पलकों पर बैठा लेंगे और शायद होली खेलते समय थोड़ी सावधानी बरत लें।
मन में श्रीमति जी के ख्याल सजाये चले जा रहे थे, कि अचानक पैर में कुछ गिलगिला सा आ लगा। बदबू के झोंके ने जब ख्यालों से बाहर निकाला तो देखा कि ताज़ा गोबर ज़मीन के साथ हमारे पैर की शोभा बढ़ा रहा है। कुछ कदम दूर ही एक झबरी सुंदर गाय अपने दैनिक कार्य से निवृत हो रही थी। बचपन का लंगड़ी टांग खेलना आज काम आ गया। खैर रास्ते के नल पर पैर में पहने जूते को स्नान करवा कर आगे का रास्ता लिया। ख्यालों में तो अलसाई पत्नी का दरवाजा खोलना बसा हुआ था, इसलिए ज़मीन पर कालीन की तरह बिछे हुए गोबर दिखाई ही नहीं दिया।
खैर किसी तरह गली में श्वान सेना को अपना परिचय देते हुए ससुराल के दरवाज़े पर लगी घंटी बजाने को हाथ ऊपर ही किया था कि अचानक ‘अरे मैया आप’ कहते हुए बड़ी सलहज सामने खड़ी थीं।
‘जी, नमस्कार’ कहते हुए हाथ तो जुड़ गए लेकिन निगाहें श्रीमति को ही ढूंढ रही थीं।
हमारी सलहज ने तुरंत ही अपने हुनर से सारे घर को जगा दिया और फलभर में ही ससुराल के तीन महीने से लेकर अस्सी वर्ष तक के सदस्य हमारी आवभगत में सामने खड़े दे।
लेकिन वो ही चेहरा नहीं था, जो हमारी रास्ते की थकान उतारने के लिए ज़रूरी था। हाँ एक बात थी जो खटक रही थी।
‘कैसे हो भैया’ सासु माँ ने अपनी आवाज़ में भरसक प्यार लाते हुए कहा, लेकिन पता नहीं क्या था, जो अलग महसूस हो रहा था।
खैर हाथ मुंह धोकर सबने हमें एक कमरे का रास्ता दिखा दिया इस हिदायत के साथ कि बाद में बात करेंगे, तब तक आप थोड़ा आराम कर लें।
हमने भी आराम करने में ही अपनी भलाई समझी और कमरे में आते ही श्रीमति जी को फोन मिला दिया।
घंटी बजते ही फोन उठा लिया ‘अरे कहाँ हैं आप, मैंने तो सारा घर देख लिया, आप कहीं दिखाई ही नहीं दे रहा है और यहाँ पड़ोस में भी कोई कुछ बता नहीं रहा है’….एक सांस में श्रीमति जी ने हमेशा की अपनी बात कह दी
हमने भी आवाज़ में रोमांस घोलते हुए कहा, ‘जानेमन नीचे तो आओ, हम यहाँ ही तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं ’ ‘नीचे , नीचे क्यूँ, क्या कोयले की टाल में आयें आपसे मिलने ’ उनका हैरानी और परेशानी से भरा सवाल सुनकर हम भी चौंक गए
‘कोयले की टाल’ गले में फंसे शब्द बड़ी मुश्किल से निकले, ‘कहाँ हो तुम…
अरे, कहाँ हुंगी मैं, अपने घर में हूँ…अबकी बार आवाज़ में झुंझलाहट थी
हमारे सामने हमउम्र साले मुंह बकबकाए और सलहज हंसी रोकते हुए बेचारी दोहरी हुई जा रही थीं
‘अपने घर’ हमारे मुंहे से सवाल सुनकर श्रीमति जी ने गुस्सा होकर कहा
अब उस दिन आपने फिर बात ही नहीं करी तो मुझे लगा आप नाराज़ हो गए हैं इसलिए आपको मनाने मैं यहाँ चली आई, सोचा था, अचानक आकर आपको सरप्राइज़ दूँगी…. कानों में आती हुई आवाज़ जब पड़ी तब समझ नहीं आया प्यार करें या गुस्सा करें
वो….वो…. आगे की बात निकलती इससे पहले ही फरमान सुनाई दिया, अच्छा जहां भी हैं, जल्दी से घर आ जाएँ, शाम को ख़रीदारी करने भी जाना है और फिर हमारे साथ ही माँ के घर चलिएगा होली खेलने, वहाँ सब आपका इंतज़ार कर रहे हैं….
हाँ —हाँ बस थोड़ी देर में ही आता हूँ
कहते हुए फिर से बस स्टेंड की ओर रुख कर लिया और मन ही मन अपने सरप्राइज़ देने के आइडिया का क़तल होते देखा तो ……
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