पेट में कीड़े की समस्या दूषित जल, बिना धोये फल , सब्जी को खाने या बनाने के लिए प्रयोग करना, रहने के स्थान के आसपास सफाई न होना आदि कारणों से हो जाती हैं। छोटे बच्चों के पेट में ज्यादातर कीड़े की समस्या पाई जाती है क्योंकि छोटे बच्चे धुल -मिटटी से दूषित सतह को छूने के बाद हाथ मुँह में दाल लेते हैं इसके अतिरिक्त व्यस्कों के पेट में कीड़े की समस्या होने का कारण दूषित चीजों के संपर्क में आना या सेवन करना है।
पेट में होने वाले कीड़े आँतों से अपना भोजन एवं खून चूस कर जीवित रहते हैं। इन्हें परजीवी कीड़े के नाम से जाना जाता है। ये कीड़े कई प्रकार के होते हैं। जैसे – फ़्लैटवर्म और राउंडवर्म इनके अंतर्गत थ्रेडवर्म, पिनवर्म, हुकवर्म, टैपवार्म आदि। जो आँतों के विभिन्न भागों में हो सकते हैं।
कई बार पेट में होने वाले कीड़े के कोई लक्षण नहीं दीखते हैं। किन्तु कीड़ों के आँतों में बड़े होने पर संक्रमण की स्थिति पैदा हो जाती है और रोगी में लक्षण साफ़ दीखने लगते हैं। आइये जाने आँतों में कीड़े होने के क्या लक्षण हो सकते हैं।
पेट में मरोड़ के साथ थोड़े अंतराल पर रुक -रुक कर दर्द होना। पेट में कीड़े होने के लक्षण की ओर इशारा करता है। यदि यह दर्द बच्चों या बड़ों में अक्सर पाया जाए। तो डाक्टर से संपर्क करना चाहिए।
यदि ठीक तरीके से भोजन लेने के बावजूद बच्चा या व्यस्क कमजोर होता जा रहा हो। तो पेट में कीड़े होने की संभावना हो सकती है।
अक्सर बच्चों के पेट में कीड़े होने पर दाँतों को पीसने या किटकिटाने के लक्षण दीखने लगते हैं।
पेट की आँतों की सतह में बहने वाले खून को चूस कर जीवित रहने वाले कीड़े होने पर रोगी के शरीर में खून की कमी रहने लगती है। जिससे थकान, कमजोरी एवं दुबलेपन की शिकायत हो जाती है।
पेट में कीड़े संक्रमण फैलाते हैं। जिसके कारण पेचिश की समस्या भी हो सकती है। पेचिश में खून या झाग भी निकलना कीड़े होने के आम लक्षणों में से एक है।
मितली का अनुभव होना कीड़ों के कारण पेट में गैस बनने लगती है। जिसके कारण मितली या उलटी होने की समस्या भी हो जाती है।
अक्सर बच्चों के पेट में कीड़े होने पर उनके मल के साथ कीड़े बाहर निकल जाते हैं।
गुदा (ANUS) में खुजली होना पेट में कीड़े होने पर मलद्वार की सतह पर खुजली होती है। कई बार मलद्वार के आसपास लाल चकत्ते हो जाते हैं।
यदि उपर्युक्त में से कोई भी समस्या एक हफ्ते से अधिक दिखाई दे, तो डाकटर से संपर्क करना चाहिए। इसके अतिरिक्त मल की जाँच करवाने से भी पेट में कीड़े होने का पता चल जाता है। जिसके आधार पर कीड़े की दवा डाक्टर की सलाह से लेने से समस्या का उपचार किया जा सकता है।
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