आराम एवं बेजोड़ खूबसूरती का प्रतीक पश्मीना फैब्रिक बेहद मुलायम, हल्का और अपूर्व गर्माहट भरा होता है। पश्मीना शॉल इतनी मुलायम होती है कि इसमें एक अंगूठी से आराम से आर पार होने की क्षमता होती है । यह धरती पर जन्नत कहे जाने वाले कश्मीर की अद्भुत पारंपरिक विरासत एवं शान है।
राजे रजवाड़ों एवं अभिजात्य वर्ग की पहली पसंद, कारीगरों की सम्मोहक कलाकारी का बेजोड़ नमूना, मखमली प्योर पशमीना शॉल खरीदने का ख्वाब पूरा कर पाना हर महिला के लिए संभव नहीं होता।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि विश्व की बेहतरीन ऊन, पश्मीना ऊन सामान्य ऊन की तरह भेड़ से प्राप्त नहीं होती, वरन बकरियों की एक दुर्लभ प्रजाति, चंगथांगी बकरियों से प्राप्त होती है। ये बकरियां कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र स्थित हिमालय पर्वत शृंखलाओं पर पाई जाती हैं। ये बकरियां सर्दी के मौसम में अपने पेट पर उगने वाले बालों को प्रत्येक बसंत ऋतु में गिरा देती हैं।
एक बकरी से लगभग 80 ग्राम से 225 ग्राम तक कच्ची ऊन प्राप्त होती है। यह बेहद कोमल होती है और मशीन पर बुनाई के दौरान टूट जाती है। अतः इसकी बुनाई मशीन द्वारा संभव नहीं होती। इन रेशों को हाथ द्वारा चर्खों पर काता जाता है। एक पशमीना शॉल को बनाने में 3 बकरियों से प्राप्त ऊन का उपयोग होता है।
एक पूरी लंबाई की प्लेन शॉल हाथ से बुनने में लगभग 8 से 15 दिन लगते हैं। एक पशमीना शॉल पर हाथ से कढ़ाई करने में कुछ महीनों से कुछ वर्ष लग सकते हैं। अतः यह बहुत महंगी होती है। साधारणतया पेटर्न वाली एक पश्मीना शॉल का मूल्य एक लाख से पांच से छह लाख रुपये तक होता है जबकि सादे शॉल की कीमत 10,000 से 20,000 रुपये और बॉर्डर वाले शॉल की कीमत 30,000 से 40,000 रुपये तक होती है।
जहां तक बात इसकी क्वालिटी की है तो एक पशमीना शॉल 40 से 45 वर्ष तक आपका साथ निभाती है। इस कारण इसका लेबल शॉल के साथ बुना जाता है। चलिये, अब आपको दिखाते हैं पश्मीना शॉल के कुछ खूबसूरत डिजाइन।
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