धूम्रपान आजकल की पीढ़ियों के लिए एक लत बनता जा रहा है। कई वैज्ञानिक शोधों में धूम्रपान को हानिकारक एवं जानलेवा भी सिद्ध किया गया है। परन्तु फिर भी लोगों में इसकी आदत बनी हुई है। धूम्रपान से धुँए के रूप में निकला हुआ निकोटिन नामक पदार्थ सीधा फेफड़ो में पहुँचता है। इससे ब्लड कैंसर एवं कई ह्रदय सम्बन्धी जानलेवा बीमारियाँ हो सकती है। यह सेवन करने वाले के साथ समीप उपस्थित लोगों को भी रोगग्रस्त कर सकता है। अतः धूम्रपान न करें, ना करने दें। इस आर्टिकल में हम आपको धूम्रपान छोड़ने के एक महीने के भीतर होने वाले अनेक फायदों से अवगत कराएंगे।
धूम्रपान से निकले हुए निकोटिन नामक पदार्थ में लगभग 200 तरह के हानिकारक तत्वों की उपस्थिति होती है। ये तत्व फेफड़ो के माध्यम से पूरे शरीर में खून के प्रवाह से हानिकारक बीमारियाँ उत्पन्न कर देते है। परन्तु वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि सही समय पर धूम्रपान बंद कर दिया जाए तो एक समय बाद ये सभी तत्व स्वतः ही समाप्त हो जाते है और एक माह के भीतर खून फिर से स्वच्छ हो जाता है।
धूम्रपान से शरीर का नर्वस सिस्टम बढ़ जाता है। इससे शरीर में रक्तचाप बढ़ जाता है एवं दिल की धड़कन तेज होने लगती है। थोड़ी देर बाद धूम्रपान बंद करते ही यह नॉर्मल तो हो जाता है परन्तु इससे शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है। अतः इसकी आदत समाप्त करने पर ही शरीर पुनः स्थाई रूप से अपना संचालन कर पाता है।
धूम्रपान से कार्बन मोनो ऑक्साइड शरीर में फैल जाती है। धूम्रपान छोड़ने के लगभग 12 घंटे बाद ऑक्सीजन पुनः शरीर में अपना स्तर बना पाती है। यदि कार्बन मोनो ऑक्साइड शरीर में अत्यधिक बढ़ जाए तो व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। इसलिए धूम्रपान ना करने से शरीर में ऑक्सीजन प्रवाह बना रहता है।
धूम्रपान छोड़ने के बाद ही व्यक्ति की सूँघने एवं स्वाद लेने की क्षमता बढ़ पाती है। क्योंकि धूम्रपान का नियमित प्रयोग फेफड़ों को अवरोधित कर देता है एवं इससे व्यक्ति न किसी चीज़ को सही से सूँघ पाता है और न ही उसे स्वाद का पता लगता है।
धूम्रपान छोड़ने के बाद लगभग तीन दिन तक व्यक्ति में चिड़चिड़ापन, सर दर्द, कमजोरी, थकान, झुंझलाहट आदि हो सकते है। परन्तु तीन दिन बाद अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट नार्मल हो जाने से साँस में आने वाली बाधा दूर हो जाती है। इससे ये सब समस्याएँ स्वतः समाप्त हो जाती है। धूम्रपान छोड़ने के लगभग 20 से 25 दिन में शरीर में रक्त का प्रवाह फिर से बढ़ जाता है। फेफड़ों की ऑक्सीजन ग्रहण क्षमता लगभग 30 प्रतिशत तक बढ़ जाने से शरीर रोगमुक्त हो जाता है। इससे फेफड़ों पर स्थित छोटे-छोटे छिद्र खुल जाते है एवं वे हानिकारक कणों को फेफड़ों तक नहीं आने देते।
धूम्रपान छोड़ने से ह्रदयाघात का खतरा बहुत कम हो जाता है और दिल का दौरा एवं कैंसर जैसी जानलेवा बिमारियों में भी राहत मिल सकती है। शरीर में रक्त का प्रवाह पुनः बन जाने से धूम्रपान से शरीर में उत्पन्न हुए हानिकारक पदार्थ खत्म होने लगते है।
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