दसबस के इस लेख में आज हम जानकारी लेंगे, दालचीनी के अनोखे फायदों के बारे में… पता करेंगे कि किस प्रकार यह मसाला वैज्ञानिक और शोध के आधार पर खरा उतरा है?
दालचीनी – ये मसाला न केवल खाने में खुशबू बढ़ाता है, बल्कि ये सेहत के लिए बेहद फायदेमंद भी साबित हुआ है। दालचीनी को अंग्रेजी में सिन्नमन (cinnamon) कहा जाता है। यह श्रीलंका एवं दक्षिण भारत में प्रचुर मात्रा में मिलती है। दालचीनी के छाल का मसाले में प्रयोग किया जाता है। एक अलग ही खुशबू होने के कारण इसे गरम मसालों की श्रेणी में रखा गया है। गरम मसालों में दालचीनी का उपयोग भारत में हजारों वर्षों से होता आ रहा है।
दालचीनी की छाल को २४ घंटों तक सुखाकर और साफ करके, हाथों से लपेटकर उनको एक मीटर लंबी, पतली नलियों के आकार में बाँधकर बेचा जाता है। दालचीनी के सुगंधित तेल का आर्थिक महत्व भी है।
दालचीनी में सिनामाल्डीहाइड नामक यौगिक की बहुतायत के कारण इसका विशिष्ट गंध और स्वाद रहता है । दालचीनी में पाये जानेवाले इस घटक की सेवन की वजह से शारिरीक स्वास्थ्य और चयापचय पर शक्तिशाली प्रभाव देखा जा सकता है।
दरअसल, दालचीनी अपने एंटी-ऑक्सिडेंट गुणों के लिए जानी जाती है। दालचीनी में पाया जानेवाला सिन्नामाल्ड़ेहाइड यौगिक सेहत के लिए बहुत लाभदायक होता है और बहुत सी बीमारियों को दूर करता है।
नए शोध में देखा गया है कि आपके भोजन पर दालचीनी का छिड़क आपके पेट को ठंडा करके स्वस्थ बनाता है। ये अपचन और ऐंठन के इलाज में मददगार है।
इसका चूर्ण भोजन में लिया जाये तो आपकी धमनियों में कोलेस्टरोल जमा नहीं होता है और ह्रदय रोग से बचाव हो सकता है। इसका नियमित उपयोग करने से द्रुतश्वास की कठिनाई दूर होती है । हृदय की धडकन में शक्ति का समावेश होता है। धमनी काठिन्य रोग में इसका हितकारी प्रभाव देखा गया है। बढे हुए कोलेस्टरोल को इसके सेवन द्वारा कम किया जा सकता है।
वैज्ञानिक शोध के द्वारा ज्ञात हुआ है कि दालचीनी का रोजाना सेवन करने से मधुमेह से बचाव होता है। मधुमेह रोगियों में दालचीनी रक्त शर्करा में कमी लाती है।
आमाषय और अस्थि केंसर की बढी हुई स्थिति को दालचीनी के उपयोग से पूरी तरह काबू में किया जा सकता है।
इसके सेवन से संधिवात के दर्द से मुक्त होने की संभावना है।
दालचीनी का पावडर मूत्रपथ का संक्रमण नष्ट करता है।
दालचीनी की पावडर के सेवन से शरीर की अनावश्यक चर्बी समाप्त होती है और अधिक केलोरीवाला भोजन लेनेपर भी शरीर में चर्बी नहीं बढती है।
दालचीनी की सहायता से फ़ंगल इफेक्शन रोका जा सकता है।
एचआइवी में प्रतीकारक शक्ति कम होती है जिसे बढ़ाने में दालचीनी सहायक है।
इन प्रभावों की पुष्टि करने के लिए मानव परीक्षणों की आवश्यकता है।
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