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छींक क्यों आती है?

अक्सर आपने घर में यह कहते सुना होगा कि घर से बाहर निकलते समय छींक आ जाये तो उस समय बाहर नहीं जाना चाहिए। हो सकता है आप उस समय किसी जरूरी काम से बाहर जा रहे हों और उस समय यह छींक आपको अपने राह का काँटा लग रही होगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कितना अच्छा होता अगर छींक का आना य न आना अपने कंट्रोल में होता।

तो यहाँ हम आपको बता दें, कि ऐसा होना न तो संभव है और न ही आपको ऐसा करने की कोशिश करनी चाहिए। तो फिर सवाल यह है कि छींक हमें आती ही क्यों हैं, आइये सबसे पहले यह जानने की कोशिश करते हैं कि छींक आते समय आपके शरीर में क्या परिवर्तन होता है:

छींकते समय क्या होता है:

क्या आप जानते हैं की हमारी नाक के अंदर कुछ छोटे-छोटे बाल होते हैं जो किसी भी बाहरी तत्व को नाक में प्रवेश करने से रोक देते हैं। लेकिन फिर भी किसी कारण से कोई छोटा सा भी दिखाई देने वाला या न दिखाई देने वाला बाहरी तत्व नाक में प्रवेश कर ही जाता है। ऐसी हालत में नाक की वह झिल्ली जो सुरक्षा कवच का काम करती है, उसमें से मानसिक तरंगे मस्तिष्क को सूचना देती हैं।

मस्तिष्क इस तत्व को बाहर निकालने की आज्ञा नाक की मांसपेशियों को देता है। छींक आना इसी आज्ञा का परिणाम होता है। अथार्थ नाक छींक के माध्यम से किसी भी बाहरी तत्व को शरीर में प्रवेश करने से रोक देती है।

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि छींक वास्तव में शरीर के रोग प्रतिरोधक के रूप में काम करती है।

छींकें क्यों आती हैं:

सामान्य रूप से जब किसी को छींक आती है तब समझिए कि आपके साथ इनमें से ऐसा कुछ या तो हुआ है या फिर होने वाला है।

1. आपको सर्दी-खांसी की शिकायत शुरू होने वाली है।

2. आपकी नाक में धूल, मिट्टी या कुछ बाहरी चीज़ नाक में चली गई है।

3. आपके शरीर में किसी प्रकार की एलर्जी, जैसे पालतू जानवर, कुछ फूल या फिर कुछ खाने-पीने की चीजों से परेशानी हो रही है।

4. कभी-कभी तापमान में एकदम परिवर्तन होने से जैसे गरम से ठंडा या ठंडे से एकदम गरम वातावरण में आने-जाने से भी छींकें आती हैं।

5. कुछ लोगों की नाक की अंदरूनी बनावट इस प्रकार की होती है कि उन्हें एक से अधिक छींक आती ही है।

6. कुछ वैज्ञानिकों ने शोध में यह भी पाया है कि कुछ लोग जब मानसिक रूप से ओर्गज़्म महसूस करते हैं तब भी उन्हें छींकें आने लगती हैं;

7. शरीर में किसी प्रकार का वायरस का प्रवेश हो गया है और आपको निकट भविष्य में कोई बीमारी हो सकती है।

8. आधुनिक समय में पर्यावरण के दूषित होने के कारण भी कुछ लोगों को छींकें आ सकती हैं।

क्या छींक को रोक देना चाहिए:

जब आपको छींक आती है तब आपके शरीर से लगभग 150 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से हवा निकलती है। अगर छींक को आने से रोका जाये तो शरीर पर निम्न प्रभाव हो सकते हैं:

1. छींक को रोकने से बाहर निकलने वाली हवा शरीर के दूसरे अंगों में फैल सकती है। अगर इस हवा को निकासी नहीं मिलती है और कान के रास्ते निकलती है तो इससे कान के पर्दे को भी नुकसान हो सकता है।

2. अगर आप किसी प्रकार छींक को शुरू होने से पहले ही रोक देते हैं तो इसका अर्थ है कि आपने शरीर में उस वायरस को शरीर में ही रोक दिया जिसे छींक के रास्ते बाहर निकल जाना चाहिए था।

3. छींक को रोकने से कभी-कभी गर्दन में भी मोच आ सकती है।

4. अगर छींक को ज़बरदस्ती बाहर आने से रोक दिया जाये तो इसका आँखों पर भी बुरा प्रभाव हो सकता है।

5. ऐसे व्यक्ति जो हृदय से संबन्धित किसी परेशानी से ग्रस्त हैं तो छींक रोकने से ह्र्दयाघात का भी खतरा हो सकता है।

इसलिए बेहतर होगा कि शरीर की किसी भी प्राकृतिक क्रिया को जबर्दस्ती न रोका जाये और न ही छींक को किसी शुभ-अशुभ संकेत से जोड़ा जाना चाहिए।

Charu Dev

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