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चंदेरी साड़ी का रोचक इतिहास

देश-दुनिया में प्रसिद्ध चंदेरी साड़ियाँ अपनी अनूठी डिजाइन, प्रिंट और फैब्रिक के कारण प्राचीन समय से ही लोगों के लिए पसंदीदा रही हैं। चंदेरी साड़ियों से प्रभावित होकर बॉलीवुड के कई अभिनेता एवं अभिनेत्रियाँ चंदेरी तक जा चुके हैं।

जानीमानी फिल्म ‘थ्री इडियट’ के प्रमोशन के लिए बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान और बॉलीवुड अभिनेत्री करीना कपूर चंदेरी गए और वहाँ के चंदेरी साड़ी बुनकरों की मदद का वादा भी किया।

चंदेरी का इतिहास 

मध्यप्रदेश राज्य के अशोक नगर जिले में स्थित चंदेरी नामक स्थान, यहाँ की अद्भुत कशीदाकारी और सुन्दर प्रिंटेड साड़ियों के लिए विश्वभर में विख्यात है। चंदेरी का गौरवशाली इतिहास, यहाँ की कशीदाकारी की भांति ही रोमांचक और अद्भुत रहा है। महाभारत काल से ही इस ऐतिहासिक नगरी का वर्णन कई ग्रंथों एवं पुराणों में होता आया है। 11वीं शताब्दी में देश का प्रमुख व्यापारिक मार्ग यहीं से होकर निकलता था और साथ ही यह उस समय का एक महत्वपूर्ण सैनिक केंद्र भी था।

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बुंदेलखंड और मालवा के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित यह इलाका दूसरी शताब्दी से ही बुनकरों का केंद्र रहा है। विंध्यांचल का यह इलाका बुनकरी के लिए तब से ही जाना जाता रहा है।

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चंदेरी फैब्रिक, जिससे चंदेरी की डिजाइनर साड़ियाँ निर्मित की जाती है, का इतिहास वैदिक युग से चला आ रहा है। कई जानकारों द्वारा प्राप्त किए गए तथ्यों एवं खोजकर्ताओं के मुताबिक यह पता चला है कि चंदेरी फैब्रिक की सर्वप्रथम खोज शिशुपाल (भगवान श्रीकृष्ण की बुआ के बेटे) ने की थी। चंदेरी साड़ियाँ, तीन तरह के मशहूर एवं शुद्ध फैब्रिक प्योर सिल्क, चंदेरी कॉटन और सिल्क कॉटन से निर्मित की जाती हैं।

सन 1890 में, जब बुनकरों के हाथों से निर्मित यॉर्न के स्थान पर मिल द्वारा निर्मित यॉर्न से कपड़ा बुना जाने लगा। इस प्रकार चंदेरी के विकास की सर्वप्रथम शुरुआत हुई। चंदेरी फैब्रिक के निर्माण के लिए मिलमेड यॉर्न के उपयोग के बाद अंग्रेज, मैनचेस्टर से कोलकाता होते हुए सूती धागा चंदेरी लेकर आए। यह चंदेरी फैब्रिक के इतिहास में एक बड़ा बदलाव लेकर आया।

चंदेरी फैब्रिक

इसके बाद 1930 में जब कपड़े के वार्प अर्थात ताने में जापानी सिल्क और वेफ्ट अर्थात बाने में कॉटन का प्रयोग हुआ तब इससे चंदेरी फैब्रिक की मजबूती कम होती गई। दोनों फैब्रिक्स के धागे सही तरह से नहीं जुड़ पाने के कारण फैब्रिक मुड़ने लगा। इसमें सुधार के लिए सन 1970 के करीब आते आते वीवर्स ने ताने-बाने के निर्माण के लिए कॉटन के ताने और सिल्क के बाने का प्रयोग किया। इससे चंदेरी फैब्रिक पहले की अपेक्षा अधिक मजबूत और विश्वासप्रद साबित हुआ।

धीरे-धीरे समय के साथ-साथ चंदेरी फैब्रिक से निर्मित चन्देरी साड़ियों के पैटर्न- नलफर्मा, डंडीदार, चटाई, जंगला और मेहंदी वाले हाथ आदि दुनियाभर में अत्यधिक प्रसिद्ध होते गए। चंदेरी फैब्रिक की शुद्धता और इसके रोमांचक इतिहास के कारण यह लोगों में एक मशहूर फैब्रिक के रूप में निखरता गया। भारतीय सरकार ने चंदेरी फैब्रिक को मध्यप्रदेश के ज्योग्राफिक इंडिकेशन (GI Indicator) के द्वारा संरक्षण प्रदान किया है।

Shalu Mittal

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