खाटू श्याम जी को भगवान श्री कृष्ण का एक अन्य अवतार माना जाता है। इसी वजह से खाटू श्याम जी लोगों के द्वारा पूजे जाते हैं। खाटू श्याम जी का मंदिर हमारे देश में राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में स्थित है। पूरे विश्व में खाटू श्याम जी की बहुत ही मान्यता है। यहां हर साल होली के समय मेला लगता है। दसबस के एक पिछले लेख में हमने जाना था कि आखिरकार खाटू श्याम जी के मंदिर की इतनी मान्यता क्यों है। चलिए, आज इस पवित्र मंदिर की निराली महिमा का कुछ और गुणगान करते हैं।
सबसे पहले मंदिर के विषय में ही कुछ मूल बातें जान लेते हैं। वास्तव में खाटू श्याम जी के मंदिर की स्थापना १०२७ में नर्मदा कंवर एवं उनके पति रूप सिंह चौहान द्वारा की गई थी। इसके पश्चात इस मंदिर को वर्ष १७२० में एक नया स्वरूप दे दिया गया था। इसकी स्थापना से ही यहां सदैव ही श्रद्धालुओं की भीड़ बनी रहती है।
खाटू श्याम जी के मंदिर की मान्यता एक पौराणिक कथा से जुडी हुई है। उस कथा के अनुसार महाभारत काल में भीम के पौत्र बर्बरीक बाल्यकाल से ही वीर थे। अग्नि देव ने उनके शौर्य से प्रसन्न होकर उन्हें एक धनुष दिया और भगवान शिव ने वरदान स्वरूप तीन तीर दिये। उन्हें महाभारत के भीषण युद्ध में शामिल होने की प्रबल इच्छा थी। अतः जब वो युद्ध में सम्मिलित होने के लिए जाने लगे तब भगवान कृष्ण ने उनकी परीक्षा लेते हुए उनसे कहा कि कोई केवल तीन तीरों से युद्ध नहीं जीत सकता है। तब बर्बरीक ने उन्हें अपने तीन तीरों का महत्व बताया।
उन्हें अपने वरदान के कारण दोनों ही पक्ष अपने साथ रखना चाहते थे। तब भगवान कृष्ण ने एक ब्राह्मण का रूप लेकर उनसे उनका सिर दान में माँगा। ऐसी विचित्र मांग के चलते उन्होंने ब्राह्मण को अपने वास्तविक रूप में आने के लिए कहा। तब भगवान ने अपने असली रूप में आकर उनसे कहा कि युद्ध के सबसे वीर योद्धा को सर्वप्रथम बलि देना अत्यंत ही आवश्यक है। यह सुनकर बर्बरीक ने उन्हें अपना सिर काटकर दान में दे दिया। इसपर भगवान ने उन्हें यह वरदान दिया कि उन्हें अपने नाम “श्याम” से जाना जाएगा।
युद्ध की समाप्ति पर भगवान ने उनका सिर रूपवती नदी में प्रवाहित कर दिया। इसके बहुत समय बाद एक बार कलयुग में खाटू गाँव के राजा को इसका स्वप्न आया और श्याम कुंड के पास हुए चमत्कारों के पश्चात इस मंदिर की स्थापना फाल्गुन मास में की गई। मंदिर के पास स्थित श्याम कुंड की बहुत ही अधिक मान्यता है।
इसी पवित्र श्याम कुंड में करीब सन १७२० से थोड़े पूर्व एक ‘शीश’ दिखा और खाटू श्यामजी के मंदिर की प्रमुख मूर्ति भी एक ‘शीश’ के रूप में यहां सन १७२० में मारवाड़ के राजा के हुकुम अनुसार दीवान अभय सिंह ने मंदिर का पूण: निर्माण कर श्यामजी की इस ‘शीश’ मूर्ति को यहां स्थापित किया।
ऐसा माना जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से लोगों की हर एक इच्छा पूरी हो जाती है। अतः इसी वजह से मंदिर की इतनी महिमा है।
लोक मान्यता अनुसार भारत के मशहूर चमत्कारी मंदिर और वहाँ हुए कुछ कथित चमत्कार
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