देश भर में कोरोनावायरस के चलते जो लॉकडाउन लागू हुआ था, वह कुछ हद तक खुल चुका था। इतने महीनों से सख्त लॉकडाउन के दौरान घर में बंद बंद हम सब बेहद पक चुके थे। सो दूसरे शनिवार को दफ्तर की छुट्टी के दिन मैंने अपनी ऑफिस की दो तीन अपनी करीबी महिला सहकर्मियों के लिए अपने घर पर एक गेट टूगेदर आयोजित किया।
हम सब बेफिक्री के आलम में बतिया रहे थे कि उस पूरी अवधि में अपनी एक युवा सहकर्मी को कुछ बेचैनी से बार-बार घड़ी देखते हुए देख मैं उससे पूछ बैठी, “क्या हुआ नहीं नेहल, सब कुछ ठीक तो है? तुम बार-बार घड़ी क्यों देख रही हो?” तभी उसके पति का फोन आ गया और पति के साथ बेहद असहज भाव से बातें करते करते उसकी आंखें डबडबा आई। उसे यूं परेशान देख मैंने उसके हाथों को थाम उससे पूछा, “क्या परेशानी है नेहल? हमें नहीं बताओगी? हम सब तो बहुत अच्छी फ्रेंड हैं। अपनी परेशानी हमसे शेयर करो। शायद हम उसका कोई हल तुम्हें दे सकें।” मेरी बाकी सहेलियों ने भी एक स्वर में मेरी बात को दोहराया जिसे सुनकर नेहल फूट-फूट कर रो पड़ी और उसने हमें बताया कि उसके पति उस पर बेहद शक करते हैं।
वह चुप चुपके चुपके उसकी जासूसी करते हैं।
वह घड़ी घड़ी उसे बिना बताए उसका मोबाइल चेक करते रहते हैं।
उसके ई मेल चेक करते रहते हैं।
दफ्तर से उसके देर से आने पर बेहद गुस्सा करते हैं।
यदि वह अपने किसी पुरुष सहकर्मी मित्र या किसी रिश्तेदार से भी मोबाइल पर थोड़ी देर बातें कर ले तो गुस्से से उसे घूरने लगते हैं।
दफ्तर से हर घंटे उसे फोन कर उससे पूछते हैं कि वह कहां है, दफ्तर में है या कहीं और।
वह उसकी फेसबुक पर बहुत देर तक उसकी गतिविधियां चेक करते रहते हैं।
उसने फिर बताया कि उसने अपने पति से बहुत तसल्ली से इस विषय में कई बार बात की लेकिन उसका कोई परिणाम नहीं निकलता।
उसकी यह बातें सुनकर हम उसकी समस्या पर विचार कर रहे थे कि तभी मुझे अपनी एक अन्य परिचिता दिल्ली के यंग इंडिया साइकोलॉजिकल सौल्यूशन्स की क्लीनिकल काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर सीमा शर्मा का ध्यान आया। मैंने नेहल से कहा कि उसकी इस समस्या के समाधान के लिए मैं उसे डॉक्टर सीमा के पास ले जाऊंगी क्योंकि वही उसकी इस समस्या का मनोवैज्ञानिक समाधान हमें दे सकती हैं।
अगले ही दिन मैं नेहल को डॉक्टर सीमा के क्लीनिक ले गई।
डॉ सीमा के अनुसार पति के शक की आचरण की तह में अनेक कारण हो सकते हैं जिनमें से प्रमुख हैं पति की पत्नी पर अधिकार की भावना। पत्नी पर अधिकार की भावना पति में पत्नी पर संदेह भाव को जन्म देता है। जब भी उसे दफ्तर से घर पहुंचने में देर हो जाती है वह निरर्थक संभावनाओं की कल्पना कर बैठता है। अपनी कल्पना की उड़ान के वशीभूत हो वह ऊल जलूल बातें सोचने लगता है। वह सोच सकता है कि उसकी पत्नी अपने पुरुष सहकर्मियों या मित्रों के साथ गुलछर्रे उड़ा रही है।
पत्नी के भरोसे का अभाव पति के शक की एक और अन्य वजह होती है। संदेह एक स्वस्थ एवं अनिश्चित मन की पैदावार होता है। जब पत्नी पति की अपेक्षा दबंग और भरपूर आत्मविश्वास से परिपूर्ण होती है और पति तनिक मृदु स्वभाव का होता है इस स्थिति में वह पत्नी से ईर्ष्या करने लगता है। उसे पत्नी का अन्य पुरुषों के साथ दोस्ताना व्यवहार फ्लर्टिंग प्रतीत होता है। इस वजह से जब भी पत्नी अपने पुरुष सहकर्मियों से दफ्तर के काम की बातें करती है तो भी वह अपने संशय के वशीभूत हो उसकी बातें छुप-छुपकर सुनता है।
पति के मन में बैठे संदेह की वजह से जब भी वह पत्नी से बात करता है उनकी बातों में तनाव आ जाता है और उनका वार्तालाप उग्र रूप धारण कर लेता है।
जब पति अपने शक के कारण उससे कुछ भी पूछता है, पत्नी उसकी बातों का बुरा मान जाती है।
अपने शक्की स्वभाव की वजह से वह अपनी पत्नी की काल्पनिक बेवफाई के हवाई किले बनाते हुए उस को लेकर उसके साथ बेहद कड़वाहट से लड़ता झगड़ता है।
और आखिरकार शक्की पति के हृदय में छिपा संशय का कांटा उनके वैवाहिक जीवन को तहस-नहस कर देता है।
कुछ पुरुषों में पत्नी को लेकर असुरक्षा का अभाव बेहद प्रबल होता है। इस कारण वह आश्वस्त होना चाहते हैं कि कहीं उसकी पत्नी उसे धोखा तो नहीं दे रही।
कुछ लोग स्वाभावतया अन्य लोगों को नियंत्रित करने वाले होते हैं। ऐसे पति अपनी पत्नी के हर कार्यकलाप की खोज खबर रखना चाहते हैं। ऐसा करने से वह पत्नी को नियंत्रित करने के एहसास से भर जाते हैं।
कुछ पुरुषों की इस शक्की मानसिकता की पृष्ठभूमि में उनके पिता का अपनी पत्नी के प्रति ऐसा रवैया होता है जिससे शक की प्रवृति उनके अपने व्यवहार में घुसपैठ कर बैठती है।
कभी कभी कुछ पति किसी दूसरी महिला से अपने अवैध संबंध छुपाने की वजह से पत्नी की सच्चरित्रता की ओर से आश्वस्त होने के बावजूद उसे चुप रखने के मक़सद से पत्नी पर बेबुनियाद इल्ज़ाम लगाते हैं।
डॉ सीमा ने नेहल को बताया कि पति के इस शक्की स्वभाव को दूर करने के लिए उसे अपनी ओर से कुछ प्रयास करने होंगे।
सर्वोपरि अपने पति के साथ उसे तसल्ली से बैठकर उसे पूछना चाहिए कि वह उस पर शक क्यों करते हैं? उन्हें बताएं कि उनका आप पर शक करना आपको बेहद आहत कर देता है। उन्हें समझाएं कि शक का जहर धीरे धीरे आप दोनों के मधुर संबंध की बुनियाद को खोखला कर देगा। उन्हें आश्वस्त करें कि आप अपनी तरफ से कोई ऐसा कार्य बिना उन्हें बताए नहीं करना चाहती जिससे उन्हें शक हो। अतः उन्हें भी अपने व्यवहार में अपेक्षित बदलाव लाना चाहिए ।
पति के मन से शक का कीड़ा पूरी तरह से निकालने के लिए आपको उनके सामने अपने जीवन को एक खुली किताब के तौर पर रखना होगा। निश्चित करें कि आपके जीवन की हर छोटी से छोटी बात उनकी जानकारी में हो।
यदि आपने कभी कुछ गलत नहीं किया है और नही यह आपकी मंशा है तो अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स के पासवर्ड उनके साथ साझा करें और उन्हें अपनी फ्रेंड लिस्ट में शामिल कर लें जिससे उन पर आपकी हर गतिविधि, हर कमेंट उनकी जानकारी में रहे।
अपने फोन में एक जीपीएस ट्रैकर इंस्टॉल कर लें जिससे आप कभी घर के बाहर भी हों तो उन्हें आप की लोकेशन का अंदाजा रहे।
पति जब आप पर बिना किसी बात के लांछन लगायें तो आपको उनके आरोपों को हमेशा चुपचाप नहीं सुनना चाहिए। बहुत शांति से बिना गुस्सा हुए उनसे कहें की उनका यह व्यवहार आपको अतीव मानसिक पीड़ा पहुंचाता है। उनसे ज़ोर देकर कहें कि “मैं घर में बस शांति बनाए रखने की खातिर चुप रहती हूं। मैं भी आप पर ऐसे आरोप लगा सकती हूं। मुझे क्या पता आप मेरी पीठ पीछे क्या करते हैं? लेकिन मैं आप पूरा भरोसा करती हूं। जब मैं आप पर विश्वास करती हूं तो आप मुझ पर फिजूल में शक कर घर की और मेरी मानसिक शांति क्यों भंग करते हैं?”
आप उनसे कह सकती हैं कि हमारा फ़ोकस अपना घर परिवार और बच्चे होने चाहिए ना कि ये निरर्थक बातें। जब हम विवाह के बंधन में बंधे हैं तो उसे अच्छी तरह से निभाना हमारा नैतिक दायित्व बनता है।
यदि आपके पति का शक इन सब उपायों से भी कम नहीं होता तो आपको अपने पति को चिकित्सकीय परामर्श के लिए किसी प्रतिष्ठित साइकियाट्रिस्ट से मिलवाना चाहिए।
पति की शक्की प्रकृति आपके हंसते खेलते जीवन में जहर घोल सकती है। अतः यदि इन उपायों के बाद भी आपके पति अपनी शक करने की आदत से बाज नहीं आते और उनकी इस आदत से आप अवसाद ग्रस्त होने लगी हैं तो आप इस मुद्दे के हर पहलू पर अति गंभीरता से सोच विचार कर पति से अलग होकर जीवन में एक नई शुरुआत करने की दिशा में भी सोच सकती हैं।
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