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कुमकुम लगाने के पीछे छिपा है यह कारण

भारतीय चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेद में शरीर के रोगों की पकड़ नाड़ी, शरीर के चक्र (तंत्रिका तंत्र के समूह), ध्यान एवं एक्यूप्रेशर आदि विधियों द्वारा किया जाता रहा है। इसी आधार पर पुरुषों एवं महिलाओं के स्वास्थ्य लाभ के लिए दैनिक दिनचर्या में कुछ नियमों को पालन करना आवश्यक बनाया गया है।

इन्हीं नियमों में से एक है रोज़ सुबह ईश्वर की पूजा करने से पहले माथे पर कुमकुम लगाना। महिलाओं द्वारा रोज़ सुबह नहाने के बाद बालों में सीधी माँग निकाल कर सिन्दूर या कुमकुम लगाना एवं माथे के बीच में कुमकुम की बिंदी लगाना।

चूँकि इन दो स्थानों पर स्थित चक्र के संतुलित रहने पर शरीर स्वस्थ रहता है। इसी कारण इसे स्त्रियों के सुहाग एवं पूजा के नियमों से जोड़ दिया गया। ताकि लोग इसका पालन करते रहें। फलस्वरूप स्वस्थ एवं खुशहाल जीवन हो। आइये जाने कुमकुम लगाने के वैज्ञानिक कारण क्या हैं ?

माथे के बीच में कुमकुम लगाने का वैज्ञानिक कारण

माथे के बीच में अर्थात भृकुटी (eyebrows) के मध्य में स्थित चक्र को तीसरी आँख या आज्ञा चक्र कहते हैं। इस चक्र के सक्रीय होने से अंतर्दृष्टि के प्रति जागरूकता बढ़ती है। मन शांत होता है। ध्यान केन्द्रित रहता है। जिससे शरीर एवं मन रोगमुक्त बना रहता है।

इस चक्र को सक्रीय केवल इस पर लगातार कुछ मिनट के लिए ध्यान केन्द्रित करके किया जा सकता है। यही कारण इस चक्र के स्थान पर कुमकुम लगाने की परम्परा बनाने का। जिससे अनजाने में भी धर्म के नियमो का पालन करने वाला व्यक्ति इस चक्र पर ध्यान लगाना न भूले।

इसके अतिरिक्त उस स्थान पर लाल रंग के कुमकुम लगाने से दुसरे व्यक्ति का भी ध्यान उस चक्र पर केन्द्रित हो सके। बार -बार उस चक्र पर कुमकुम लगाने से प्रेशर पड़ने के कारण भी चक्र को सक्रीय रखने में मदद मिलती है।

➡ क्यों  हिन्दू धर्म को संसार का सबसे वैज्ञानिक धर्म माना जाता है?

 

माँग में कुमकुम लगाने का वैज्ञानिक कारण

हिन्दू धर्म में विवाहित महिलाओं द्वारा बालों के बीच से सीधी मांग निकालकर कुमकुम या सिन्दूर लगाने की परम्परा है। इसका सीधा सम्बन्ध पिट्यूटरी ग्लैंड की सक्रियता को नियंत्रित करने से है। ये ग्लैंड सिर में सीधी मांग निकालने के स्थान पर स्थित नर्व से जुड़ी होती है। जिस पर सिन्दूर लगाने से रोज़ प्रेशर पड़ने के कारण सक्रीय रखने में मदद मिलती है।

ये ग्लैंड मस्तिष्क में होने के कारण शरीर की अन्य ग्रंथियों से निकलने वाले हार्मोन की सक्रियता को नियंत्रित करती है। जिसके कारण शरीर की हड्डियाँ का निर्माण, एस्ट्रोजन हार्मोन, प्रोलाक्टिन हरमोन जो स्त्रियों के गर्भधारण में अहम भूमिका निभाती हैं, संतुलित रहती हैं।

चूँकि कुमकुम में पारा धातु मिश्रित होती है। जो पिट्यूटरी ग्लैंड की सक्रिय करने में सहायक होती है। जिससे विवाह के बाद स्त्रियों के सुखमय जीवन के लिए सिन्दूर को बीच मांग में पूरा भरने का रिवाज बनाया गया है।

➡ हिन्दू महिलाओं के सोलह श्रृंगार कौन-कौन से होते हैं?

Ritu Soni

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