“महिलाएं सबसे ज्यादा चुगलियां करती हैं और एक औरत ही दूसरी औरत की दुश्मन होती है।” – काफी हद तक हमारा समाज इस बात को मानता है और अधिकतर महिलाएं भी इसे सच मानती हैं। महिलाएं अक्सर दूसरी महिलाओं से चिढ़ती हैं। फिर चाहे बात घर की चार दीवारी के भीतर की हो या फिर ऑफिस की या फिर रिश्तेदारी या महिला दोस्तों के बीच की। यह जलन की भावना क्यों महिलाओं में रहती है, चलिए इस बात की जरा छान-बीन करते हैं।
आधी दुनिया, यानी हम महिलाएं, अक्सर पुरूष प्रधान समाज में अपने आपको पिछड़ा हुआ पाती है। मगर महिलाओं की समस्या केवल पुरूष प्रधान समाज ही नहीं, बल्कि आसपास का महिलाओं का वह वर्ग भी है जो आपको आगे बढ़ने से रोकता है। जबकि होना यह चाहिए कि हर महिला को दूसरी महिला का साथ देना चाहिए ताकि महिलाएं अपनी वास्तविक क्षमता का प्रदर्शन कर आगे बढ़ सकें। ना कि किसी आरक्षण के दम पर।
पर सोचने वाली बात यह है कि आखिर ऐसा क्यों है जो महिलाएं एक दूसरे से चिढ़ती है। इसके पीछे छिपे कारणों को जानते हैं।
सबसे प्रमुख कारण है आपके जीवन का पुरूष। आपके जीवन का पुरूष केवल आपका ही नहीं होता है। उसके जीवन में अन्य महिलाएं भी होती हैं जो कि उसके रिश्ते में मां, बहन, दोस्त इत्यादि होती हैं। ऐसे में आप अपने जीवन के उस पुरूष को खोना नहीं चाहती है। और आप उसके जीवन की हर एक महिला को अपने लिए खतरा समझने लग जाती हैं। इसी कारण आप प्रयास करती है कि आपका पुरूष केवल आपका रहे और यही एक्स्ट्रा प्रयास आपके भीतर अन्य महिलाओं के प्रति जलन की भावना को जन्म देती है।
आवश्यकता इस बात की है कि आप यह समझें कि आपका पुरूष केवल आपका नहीं हो सकता है। उसके और भी बहुत से रिश्ते हैं जिनके प्रति उसकी जिम्मेदारी है। ऐसे में उनसे जलन या ईर्ष्या करना गलत है। आपको और आपके पुरूष के बीच में ऐसा तारतम्य स्थापित करने की आवश्यकता है जिसकी वजह से रिश्तों में संतुलन बना रहें।
कार्यक्षेत्र ऐसा स्थान है जहां पर सबसे ज्यादा महिलाओं के बीच आपस में प्रतिस्पर्धा रहती है। शायद आप में से अधिकतर कामकाजी महिलाएं पुरूष बॉस के साथ काम करना ज्यादा पसंद करती होंगी क्योंकि उनसे अपनी समस्या पर चर्चा करना और छुट्टी लेना आसान काम होता है। महिला बॉस की तुलना में!
हर महिला चाहती है कि कार्यक्षेत्र में वह सबसे श्रेष्ठ महिला बनी रहें और जब उसे कोई महिला ऐसी दिखती है जिसमें क्षमता होती है तो वह उसे तंग करने का हर संभव प्रयास करती है। जबकि वास्तव में इसके एकदम विपरीत होना चाहिए।
हर व्यक्ति को एक महिला या पुरूष के आधार पर न बांटे। प्रयास करें कि आप महिला कर्मचारियों के प्रति भी बेहतर रवैया रखें। जलन या ईर्ष्या मनुष्य प्रजाति की सबसे सामान्य भावना है। और यदि यह भावना आपके मन में आती है तो इसका यह अर्थ बिल्कुल भी नहीं कि आप बुरी हैं। बल्कि हमें प्रयास करना चाहिए कि हम इस बात को समझें कि हम सभी एक दूसरे से अलग हैं और कार्यस्थल पर इतनी जगह है कि आप अपनी क्षमता के दम पर टिक सकती हैं।
कई दफा ईर्ष्या के कारण एक महिला दूसरी महिला का केयर नहीं करती। जब एक महिला किसी महिला की केयर नहीं करती है तो उसमें उसके प्रति क्रोध का भाव आना सामान्य बात है। ऐसा इसलिए क्योंकि हर एक महिला चाहती है कि समान वर्ग का होने के नाते दूसरी महिला उसकी समस्याओं को समझे और उसका खयाल करें। अगर गहराई से समझें तो पाएंगे कि हर एक महिला दूसरी महिला को बहुत सम्मान और प्यार करती है। तभी वह दूसरी महिला से केयर की अपेक्षा करती है।
थोड़ा सा अपने व्यवहार में बदलाव लाएं। दूसरी महिलाओं का सम्मान करके देखें। आप पाएंगे कि आपका साथ देने के लिए महिलाओं का एक बहुत बड़ा वर्ग आपके साथ खड़ा होगा।
हमेशा हम सभी दूसरों की तरह बनना चाहते हैं। यही भावना है जिसकी वजह से हम या तो किसी की फिट बॉडी को देख जलन करते है या फिर किसी की खूबसूरती, तो किसी के व्यवहार से। ऐसा कुछ न कुछ अवश्य होता है जिसकी वजह से हम किसी अन्य महिला से जलते हैं। यहीं कारण है कि हम अक्सर दूसरी महिलाओं से चिढ़ते हैं।
हर कोई एक-दूसरे से एकदम अलग होता है। यह तो स्वाभाविक बात है कि कोई महिला किसी बात में श्रेष्ठ होगी तो कोई और किसी और बात में अव्वल। आपकी भी अपनी खूबियाँ और विशेषताएँ होंगी। यह बिलकुल नॉर्मल चीज़ है। इस बात को समझें कि आप हर चीज़ में बेस्ट नहीं हो सकती। जलने की बजाय अपनी खूबियों को पहचानिए और उन पर गर्व करिए।
असुरक्षा की भावना एक ऐसा सबसे महत्वपूर्ण कारण है जो एक महिला को दूसरी महिला से दूर करता है। यह असुरक्षा पद, प्यार, खूबसूरती किसी भी आधार पर हो सकती है।
यदि कोई महिला अपने प्रति आत्मविश्वासी होगी तो वह किसी से भी चिढेगी नहीं। और वह दूसरी महिलाओं को भी ऊपर उठाने का प्रयास करेगी। हमें अपने शरीर, अपनी क्षमता और अपनी विशेषताओं को समझने और उसमें आत्मविश्वास दिखाने का प्रयास करना चाहिए। हमें अपने आपसे प्यार करने की आवश्यकता है।
कई बार असुरक्षा का यह भाव आगे चलकर इतना अधिक बढ़ जाता है कि आप अपने आप से नफरत करने लगते हैं। और जब आप अपने आपसे नफरत करते हैं तो आप बाकी सबसे भी नफरत करने लग जाते हैं। हो सकता है कि कोई महिला जो हमेशा आपसे बुरी तरह से व्यवहार करती है, उसके इस बुरे व्यवहार का कारण यह हो कि वह अपने आपसे से भीतर ही भीतर नफरत करती हो।
इसका कारण यह भी हो सकता है कि हम महिलाओं के सामने या हमारे जीवन में ऐसे बहुत ही कम महिलाओं के उदाहरण होते है जो वास्तव में दूसरी महिलाओं को बढ़ावा देते है। इस तरह के उदाहरण के अभाव के कारण ही महिलाएं अपने भीतर में बदलाव नहीं ला पाती है। इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि हम महिलाएं ऐसे उदाहरण बनें ताकि अन्य महिलाएं आपसे प्रेरित हो स्वयं उदाहरण स्थापित करने का प्रयास करें।
अक्सर महिलाएं महिलाओं का बचाव नहीं करती जबकि पुरूष हमेशा पुरूषों का बचाव करते है। महिलाएं बचाव करती है केवल अपने पुरूष और अपने बच्चों का। जोकि गलत है। अपने पुरूष, बच्चे और अपनी सफलता की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। मगर हमें इस बात को समझना होगा कि किसी को नीचे गिराकर हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं। खासतौर पर एक महिला अपने ही वर्ग की महिला के साथ ऐसा व्यवहार नहीं कर सकती है।
महिलाओं के जीवन की समस्याओं का स्तर पुरूषों से अलग है। हमें महिला होने के नाते अन्य महिलाओं की समस्याओं को समझने की आवश्यकता है। याद रखिए – जब एक महिला दूसरी महिला से जलन करती है तो वह एक साथ आगे बढ़ने की भावना में बहुत पिछड़ जाती है। इसलिए अपने सम्मान के लिए और अपने अधिकारों के लिए यह जरूरी है कि महिलाएं एक दूसरे से प्यार करें, एक दूसरे का सम्मान करें।
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Bht achi bat kahi apne.kash ye bat puri duniya samjhti,to hamara bharat Kanha se Kanha phunch jata
Jrurt ek dusre Ko samjhne ki h Purushottam ki tarah hme b ek dusre ka bchav or sath Dena chahiye.
बहुत खूब लिखा है इस लेख में , अगर महिला विधवा है या तलाकशुदा है या किसी कारण से पीहर में रहती है तो अक्सर उस औरत का भाई , पिता,पुरुष मित्र वर्ग हमेशा साथ देते लेकिन कोई महिला उसका साथ नहीं देती है चाहे भाभी हो या कोई पड़ोसी महिला.
Very good written.