चैत्र मास की नवरात्रि के प्रथम दिवस के रूप में गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया जाता है। यह हिन्दू नव वर्ष के आगमन का प्रतीक है। आइए इस त्योहार के महत्व पर इसे मनाने के पीछे के कारणों को जानते हैं।
इस वर्ष गुड़ी पड़वा रविवार 18 मार्च 2018 को महाराष्ट्र सहित देश के सभी भागों में मनाया जाएगा।
गुड़ी पड़वा
चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में यह मान्यता है कि ब्रम्हाजी ने इस समय ही सृष्टि की रचना की थी। इसी दिन से नव संवत्सर की शुरुआत होती है।
चैत्र महीने की शुरुआत में इस त्योहार मनाने का कारण यह भी है की इस समय पौधों में नई कोपलें आना शुरू होती हैं और एक नई सी लहर की शुरुआत भी होती है। इस दिन चंद्रमा की कलाओं का प्रथम दिवस होता है, जिसकी शुरुआत की वजह से भी इस दिन को नव वर्ष के रूप मनाया जाता है।
गुड़ी पड़वा का महत्व
गुड़ी का अर्थ पताका या ख्वाजा होता है। यह भी मान्यता है कि भगवान श्री राम ने अपने वनवास के दौरान राजा बाली से उनकी प्रजा को मुक्त कराया था इसीलिए वहां के लोगों ने घर-घर जाकर पताका लहराया था। इसी कारण संपूर्ण भारत में खासकर महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के त्योहार को काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
इस दिन बहुत से लोगों द्वारा स्तन पूरण रोटी या खट्टी मीठी रोटियां बनाई जाती हैं, जो जीवन के उतार-चढ़ाव का प्रतीक होती हैं। खट्टी मीठी रोटियों से इस त्योहार का मजा और भी दोगुना हो जाता है। होली के बाद एक नयापन लाने के लिए भी इस त्योहार को मनाने की परंपरा है।
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